- सीताराम शर्मा
देश की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगाँठ के अवसर पर ‘इण्डिया टूडे’ ने जनमत संग्रह के आधार पर देश के 60 महानतम भारतीयों का चयन किया है। 20वीं शताब्दी के इन महानायकों की सूची में महात्मा गाँधी, नेताजी, इन्दिरा गाँधी, भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण, धीरूभाई अम्बानी, जे0आर0डी0 टाटा, प्रो0 अर्मत्य सेन, होमी भाभा से लेकर बाबा आमटे, फिल्ड मार्शल मनिकशा, जगदीशचन्द्र बोस, विक्रम साराभाई, राम मोहन राय, मदर टरेसा, मिलखा सिंह, सचिन तेन्दुलकर, ध्यान चन्द, बेगम अख्तर, राजकपूर, लता मंगेशकर, आर.के.नारायण, निराला, मुंशी प्रेमचन्द, विमल राय, सत्यजीत दे, रविशंकर, रविन्द्रनाथ टैगोर आदि को शामिल किया गया है।
20वीं शताब्दी के 60 महानतन भारतीयों की इस निर्वाचित सूची में हमारे समाज के दो महान भारतीयों के नाम है-डॉ राम मनोहर लोहिया एवं सेठ रामनाथ गोयनका।
यह दिलचस्प बात है कि मारवाड़ी समाज जिसे मुख्यतयाः व्यवसायिक समाज कहा एवं माना जाता है उसका व्यवसायिक क्षेत्र से इस सूची में कई प्रतिनिधित्व नहीं है। डॉ राममनोहर लोहिया राजनीति से एवं सेठ रामनाथ गोयनका सामाजिक क्षेत्र से मदर टरेसा, मानिकशा, बाबा आमटे, राममोहन राय के साथ चुने गये हैं।
इस सूची के संबंध में भिन्न मत हो सकते हैं। इण्डिया टूडे एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रत्रिका है। इसलिये इसकी विश्वसनियता पर कोई संदेह सम्भव नहीं।
मारवाड़ी समाज के कुछ स्वनामध्न्य नामों का सूची में अनुपस्थित रहना निश्चित रूप से अखरता है दो नाम सबसे पहले जहन में आते हैं। सेठ जमुनालाल बजाज, जिन्हें महात्मा गाँधी ने अपना पाचवाँ पुत्र माना था एवं वर्तमान औद्योगिक भारत के निर्माताओं में अग्रणी सेठ घनश्याम दास बिड़ला।
देश के साठ महानतम भारतीयों को चुनना कोई आसान कार्य नहीं है। इस निर्वाचन का नतीजा भी बहुत विस्मयकारी एवं दिलचस्प है। प्रथम स्थान पर 37 प्रतिशत वोट के साथ है शहिदए-आजाम भगत सिंह और द्वितीय स्थान पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जबकि महात्मा गाँधी 13 प्रतिशत मत के साथ तीसरे स्थान पर है। जे0आर0डी0 टाटा को जवाहरलाल नेहरू एवं इन्दिरा गाँधी से अधिक समर्थन प्राप्त हुआ है।
20वीं शताब्दी के 60 महानतम भारतीयों में मारवाड़ी समाज के दो सपुतों आईये को हम नमन एवं स्मरण करें।
डॉ राममनोहर लोहिया (1910-1967) का जुझारू जीवन स्वतंत्रता के पूर्व एवं उपरान्त प्रेरणादायक रहा। लोहिया जी 20 दफा जेल गये उसमें से उनकी 12 जेल यात्रा स्वतंत्र भारत में हुई। 23 वर्ष की उम्र में जर्मनी से अर्थशास्त्र में पी0एच0डी0 की। वे कई भाषाओं ज्ञाता के एवं एक प्रखर वक्ता थे। संसद में उनका 5 आना बनाम 15 आना वाद-विवाद देश की अर्थव्यवस्था पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी रही है। जयप्रकाश नारायण एवं राममनोहर लोहिया वे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने स्वतंत्रता के उपरान्त देश में अन्य, गरीबी एवं बेरोजगारी के विरुद्ध लगातार लड़ाई लड़ी। वे कोई भी गद्दी प्राप्त कर सकते थे लेकिन उन्होंने सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया। आज अगर लोहियाजी जीवित होते तो वे क्या कहते यह तो बोलना मुश्किल है पर वे कहां होते यह निश्चित है-जेल में।
सेठ नामनाथ गोयनका (1904-1991) जैसा कोई दोस्त नहीं और उनके जैसा कोई दुश्मन भी नहीं। भारत छोड़ो आन्दोलन में क्रान्तिकारियों को विस्फोटक पदार्थ मुहैया कराने वाला युवा रामनाथ गोयनका समय के साथ साथ देश के एक बड़े अखबार चेन इण्डियण एक्सप्रेस के मालिक बने। मद्रास में बसा इस मारवाड़ी के लिये जो एक धर्मभीरू एवं गांधीवादी व्यक्ति था, उद्देश्य अधिक महत्वपूर्ण था कि उसका रास्ता। उन्होंने एक बार कहा था कि ‘‘इण्डियन पेनल कोड के सभी जुर्म, हत्या को छोड़कर मैंने किये है।’’ कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं से गहरे परिवारिक सम्बन्ध थे लेकिन इस स्वाभिमानी, जिद्दी, निर्भयी एवं साहसी मारवाड़ी की जब कांग्रेस में इन्दिरा गांधी और उद्योगपति धीरूभाई अंबानी से लड़ाई हुई तो सब कुछ दाव पर लगाकर डटकर लड़ाई लड़ी। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद जयप्रकाश नारायण का खुलकर समर्थन किया। जनता सरकार के दौरान आ0एन0जी0 को ‘किंगमेेकर’ कहा जाता था। नेहरू जी से इनका पुराना रिश्ता था, इन्दिराजी इन्हें ‘अंकल’ कहती थी। एक समय नेहरूजी ने अपने दामाद फिरोज गाँधी के लिये इण्डियन एक्सप्रेस में नौकरी का अनुरोध किया था। फिरोज गाँधी को इण्डियन एक्सप्रेस में जनरल मैनेजर बनाया गया। लेकिन 1975 में इन्दिरा गाँधी द्वारा आपात्तकाल घोषित करने पर उसका भयंकर विरोध किया एवं सरकार की पूरी मशीनरी इन्हें एवं इनके अखबार को बर्बाद करने पर तुल पड़ी लेकिन ये न झूके न टूटे। हाल ही में प्रदर्शित ‘गुरू’ फिल्म में मिठुन चक्रवर्ती ने मानिकदास गुप्ता के नाम से अखबार के मालिक का रोल इन्हीं के जीवन पर आधरित है।
दोनों महानतम भारतीय मारवाड़ियों को हमारा शत शत प्रणाम ।
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