इन्दिरा चौधरी, कोलकाता
राखी पर्व है पावन का
शुभ, शगुन - लोक भावन,
अनेकता में एकता का
शुद्ध शाश्वत, आत्मीयता का
होते धन्य अपने
एक दूसरे के नेह से
पराये भी रक्षा सूत्र में
बांध-बंधवा
मिटाते भेद पराये का
आह!
राखी... कच्चे धागों का
अटूट रिस्ता
भारतमाता का अदभुत चित्रण
भौतिकता, अनैतिकता,
बाजारवाद, अलगावाद
हुंकार उठा इन धागों से
कोई तो सामने आयें
इस हुंकार को दबाओ
रक्षा-सूत्र की
मौलिकता, पावनता की
मर्यादा को बचाओ!
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