आपणी भासा म आप’रो सुवागत

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शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

चाळो राजस्थानी बांचणो सीखां-६ - शंभु चौधरी

विवेचनाः
आधुनिक राजस्थानी भाषा में हिन्दी के प्रायः रोजाना इस्तेमाल में आने वाले बहुत सारे शब्द समाहित हो चुके हैं जिसे समझने में कोई विशेष परेशानी नहीं होती है। नीचे के चन्द शब्दों की तरफ विशेष तौर पर आपका ध्यान दिलाना चाहता हूँ। जैसे - भ्रस्टाचार(भ्रष्टाचार), मुगती(मुक्ति), हाल (समाचार), सै’योग (सहयोग), संस्क्रति (संस्कृति), मैनत (मेहनत), वैवस्था (व्यवस्था), विसवास (विश्वास), टेसण(स्टेशन), म्हैं(हम), म्हारी (हमारी), हुयग्यौ(हो गये), सुण’र(सुनकर)।
जबकि राजस्थानी भाषा शब्दों के विशाल भंडार में ऐसे भी शब्द हैं जो हिन्दी सहित अन्य सभी भारतीय भाषाओं से अलग हटकर अपना स्वरूप बनाये हुए है। जैसे -
ओळ्यूं, हिवड़ा, सगळा, कोनी, घणौ, पाछा, कुचां, थारा, घणीं, सुहाली, गफ्फी, बटको, अंवेर, अंगेज’र, ओळखाण आदि-आदि।



राजस्थानी - हिन्दी

बीं रो सै’योग करण री हामळ(हामी) भरी।
उसको सहयोग करने की स्वीकृति दी।


अण्णा हजारे रै सागै आखो देस पगां होयग्यो।
अण्णा हजारे के साथ पूरा देश एक हो गया।


हर हिन्दुस्तानी अण्णा हजारे बणग्यो।
हर हिन्दुस्तानी अण्णा हजारे बन गया।


आज आखो देस भ्रस्टाचार सूं मुगती चायै।
आज पूरा देश भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहता है।


ओळ्यूं आवै, ओळ्यूं आवै।
हाल सुणां जद जलम भोम रो,
हिवड़ा में खुशियां नीं मावै।
हिन्दी में
तेरी याद आती है, तेरी याद आती है।
जन्म भूमि का समाचार जैसे ही सुनता हूँ,
मेरा में दिल खुशियों से झूम उठता है।


राजस्थानी - हिन्दी
सै’योग - सहयोग
हामळ, हामी - स्वीकारना
आखो - पूरा
पगां - एक होना
भ्रस्टाचार - भ्रष्टाचार
मुगती - मुक्ति
ओळ्यूं - याद
आवै - आना
सुणां - सुनना
जलम - जन्म
भोम - भूमि
हिवड़ा - दिल, घड़कन
नीं मावै - झूमना, नाचना

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