Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
आपणी भासा म आप’रो सुवागत
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बुधवार, 18 जून 2008
राजस्थानी साहित्यकार परिचय - 2
श्री जय कुमार 'रूसवा' का जन्म 10 अगस्त 1957 को रतनगढ़ ( रजस्थान) में हुआ। सन् 1971 से आप कोलकात्ता में स्थायी निवास। आपने कविता, छन्द, दोहे, मुक्तक, गीत, गजल क्षणिकाएं, कहानी, लघुकथा आदि कई विधाओं में रचनाधर्मिता का पालन करने का साथ-साथ हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में भारतवर्ष में ख्याति प्राप्त की है।
भारत भर के अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में 1980 से अबतक हजार से भी अधिक पृथक-पृथक विधाओं की रचनाएं प्रकाशित।
तीन दर्जन से भी अधिक काव्य-संकलनों में आपकी रचनाऎं समाहित। देश के विभिन्न शहरों में मंच का संचालन।
आकाशवाणी व दूरदर्शन से समय-समय पर रचनाओं का वाचन-अनुवाचन।
उपलब्धियां:
साहित्य सृजन सम्मन-97
काव्य वैभव श्री सम्मान - 99
सांस्कृतिक साहित्य खनन श्रृंखला--सावनेर-द्वारा।
हिन्दी विद्यारत्न भारती सम्मान -98-99
आपकी दो पुस्तक 'हंगामा', 'टुकड़े-टुकड़े सोच' प्रकाशित हो चुकी है।
संपर्क:
66-पाथुरियाघाट स्ट्रीट, कोलकात्ता-700006. मोबाईल : 0-9433272705
http://jaikumarruswa.blogspot.com/
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