जन्म: 20 अगस्त 1968 को कलकत्ता शहर में हुआ है, शिक्षा: एम. ए, बी.एड.। आप 19 सालों से नट्य जगत से जुड़ी हुई हैं। अब तक आप 30 से भी अधिक नाटकों में काम कर चुकी है।
जब आधार नहीं रहते हैं में आपकी ‘कोरयोग्राफी’ भी काफी सफल रही। आप बाल रंगमंच के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। आपने बच्चों के लिए कई नाटक निर्देशित किए हैं जैसे- सद्गति (प्रेमचंद), ब्लैक संडे (जहीर अनवर), सीमा रेखा (उपेन्द्र नाथ अश्क), बुरे बुरे ख्वाब (स्वयं) - पर्यावरण पर, हमारे हिस्से की धुप कहाँ हैं (स्वयं) - कन्या भ्रूण हत्या पर, दलदल (लाभ शंकर ठाकुर), देवी रानी (बंकिम चन्द्र के उपन्यास पर आधारित), शैतान का खेल (स्वयं) - शराब से होने वाली हानि पर, जब आधार नहीं रहते हैं (मोती लाल क्यमू), जाने कहाँ मंजिल मिल जाए (स्वयं) - सांप्रदायिक संप्रति, पहले आप (इफ्तेखार अहमद), आग अब भी जल रही है (स्वयं) - ड्रग के सेवन से होने वाली हानि। आपने कई अनुवाद कार्य भी किए हैं। जिनमें ‘आबनुसी ख्याल’ मूल कवि-एन रशीद खान उर्दू से हिन्दी रूपान्तरण, ‘यादों के बुझे हुए सवेरे’ - मूल लेखक - इस्माइल चुनारा उर्दू से हिन्दी रूपान्तरण, ‘यतीमखाना’ आपको 1997 में राष्ट्रीय स्तर पर नाट्य जगत में इनकी सेवा के लिए महिला सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
इस संस्था का जन्म सन् 1994 में नाट्य जगत के समाज मे सामाजिक चेतना जगाने को उद्देश्य मानकर इस विद्या का चयन किया गया। जिस के माध्यम से बाल कलाकारों को प्रोत्साहन देकर उनके कला क्षेत्र के विकास में योगदान देना है, जिसका नेतृत्व पूर्ण रूपेण उमा झुनझुनवालाजी ही करती हैं। यह पश्चिम बंगाल की एक मात्र नाट्य संस्था है जो दार्जीलिंग के नेपाली लोक पिछले छः सालों से नाट्यों का मंचन करती आ रही है।
‘LittleThespain’: द्वारा कथा-कोलाज-1 और कथा कोलाज-2 (2007 में) ‘?’ प्रश्नचिन्ह (हिन्दी, 2007 में), मंटों की कहानी पर आधारित नाट्य मंटों ने कहा (उर्दू 2006) यादों के बूझे हुए सवेरे (उर्दू 2005) हयवदन (नेपाली 2004 में), शुतुरमुर्ग (हिन्दी 2004 में), काँच के खिलौने (हिन्दी 2002 में) लाहौर (हिन्दी 1999) सुलगते चिनार (उर्दू 1996) महाकाल (हिन्दी 1995) और जब आधार नहीं रहते हैं (हिन्दी 1997) और भी कई नाटकों मे आपकी संस्था ने महत्व पूर्ण पार्ट अदा किया है जिसमें बड़े भाई साहब (हिन्दी उर्दू 2006) रक्सी को श्रृष्टीकर्ता (नेपाली 2003) नमक की गुड़ीया (उर्दू 2001) तमसीली मुशायेरा (उर्दू 1998) सतगति (हिन्दी उर्दू 1994) और आग अब भी जल रही है (हिन्दी 1994) प्रमुख हैं। आपकी संस्था द्वारा कई स्ट्रीट नाटकों का भी मंचन किया गया- जिनमें ब्लैक संडे, किस्सा कुर्सी का, अटलबाबू-पटलबाबू, हाहाकार, खेल-खेल में आदि प्रमुख हैं। मोबाइलः 9331028531
[Script code: Uma Jhunjhunwala]
Father day
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-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
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