श्री पुष्करलाल केडिया को
श्री पुष्करलाल केडिया का परिचय:
सुपरिचित समाजसेवी श्री पुष्करलाल केडिया सेवा की प्रतिमूर्ति हैं। दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित, सैकड़ों संस्थाओं द्वारा अभिनन्दित एवं भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक स्वरूप एवं राष्ट्र की नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण हेतु दर्जनों से अधिक पुस्तकों के मूल चिन्तक एवं लेखक श्री पुष्करलाल केडिया का जन्म राजस्थान के गुढ़ा गौड़जी (जिला: झुंझुनूं) में 17 जुलाई 1928 को हुआ। कोलकाता आने पर 10 वर्ष की अल्पायु में ही विद्यालय में ‘कब’ के रूप में ‘स्काउट आन्दोलन’ से जुड़ गये और यहीं से शुरू हुई निष्काम सेवा की यह अविरल यात्रा। स्काउटिंग में विभिन्न पदों पर आसीन रहने के बाद सन् 1967 में भारत स्काउट्स एण्ड गाइड्स पश्चिम कोलकाता के डिस्ट्रीक्ट कमिश्नर एवं सन् 1985 में सहायक राज्य कमिश्नर (पं0 बंगाल) के पद पर पहुँचे। परहित चिंतन एवं मानव सेवा का पर्याय बन चुके श्री पुष्करलाल केडिया कोलकाता की कई शीर्षस्थ सेवा संस्थाओं से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं।
अपना पूरा जीवन स्काउट के जरिए समाज को समर्पित कर देने वाले श्री पुष्करलाल केडिया ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। जिन्होंने प्रतिक्षण समाज सेवा की चाह को सर्वोपरि रखा।
श्री पुष्करलालजी केडिया के तपः पूत व्यक्तित्व में यही सत्य अपनी समूची प्रखरता के साथ विद्यमान है। पिछले 25 वर्षों से शारीरिक अस्वस्थता के बावजूद जीवन की अष्टदशकीय सेवा यात्रा में भी उनकी क्रियाशीलता, ऊर्जा और चिन्तन पर आगे रहने की विलक्षण दृढ़ता पूर्ववत् देखकर नई पीढ़ी में चेतना का संचार होता है। उनके मानस की त्रिवेणी आज भी सद्प्रवृत्तियों और जीवन के उच्चतम आदर्शों की पवित्र धाराओं से गरिमामण्डित है।
जीवन्त प्रतीक आज कोलकाता के बड़ाबाजार अंचल में अमृत कलश के समान सुशोभित श्री विशुद्धानन्द हास्पिटल एण्ड रिसर्च इंस्टीच्यूट है। आप उसके कई दशकों से
प्रधान सचिव हैं। यह संस्थान आज महानगर के शीर्ष चिकित्सा संस्थानों में अपने आधुनिकतम उपकरणों एवं सुन्दर व्यवस्थाओं के कारण अपना गौरवमय स्थान सुरक्षित किए हुए है। बहुत ही कम व्यय पर सर्व साधारण को उत्कृष्ट सुविधाएं यहाँ प्राप्त है। श्री विशुद्धानन्द हास्पिटल उनकी अद्भुत कार्यक्षमता एवं अनुकरणीय टीम भावना का प्रतीक है यह मात्र एक चिकित्सा संस्थान ही नहीं अपितु विविध जनोपयोगी प्रकाशनों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कारण आकर्षण एवं प्रशंसा का केन्द्र बन गया है।
अपनी महिमामयी सेवाओं यथा नेत्र चिकित्सा शिविरों, उपयोगी प्रशिक्षणों आदि के कारण नागरिक स्वास्थ्य संघ का नाम सेवा संस्थानों के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित है। आप उसके संस्थापक मंत्री हैं। संघ की अनेक मंगलकारी योजनाएं उनके प्रबुद्ध मार्ग दर्शन में अविरल रूप में गतिशील हैं।
श्री केडिया जी के मार्गदर्शन में एवम् श्री केडिया जी द्वारा स्थापित ‘मनीषिका’ आज बालक-बालिकाओं एवं बुद्धिजीवियों के मध्य सम्पूर्ण राष्ट्र में अपना स्थान बना चुकी है। आप इस संस्था के संस्थापक अध्यक्ष हैं।
भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता प्रमाणित करने के लिए आपने अनेकों पुस्तकों का सृजन किया है। इन पुस्तकों का अंगे्रजी सहित अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी हुआ। नई पीढ़ी में चरित्र निर्माण एवं उसके सम्यक विकास हेतु आप प्रदर्शनियों, दृश्य श्रव्य माध्यमों एवं सेमिनारों के द्वारा एक अपूर्व चेतना जाग्रत कर रहे हैं। इसके कई प्रकाशन राष्ट्रीय स्तरपर समादृत हो चुके हैं।
इन्होंने अपने चिन्तन को, अपनी पुस्तकों ‘‘हमारा विराट स्वरूप’’ एवं ‘‘हमारी महान शक्तियाँ’’ में व्यक्त किया है। यह सब लिखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि हम उनके कर्ममय जीवन से शिक्षा ग्रहण करें। यदि हमारा संकल्प दृढ़ है तो हर असम्भव भी सम्भव बन जाता है। कदम बढ़ाते ही सफलता पैर चूमने लगती है। आज उनका अभिमान रहित जीवन, उनकी सादगी, आडम्बरहीन आचरण, विनम्रता, मधुर व्यवहार परदुःख कातरता, परमार्थ साधना एवं लोक सेवा का अखण्ड व्रत अनुकरणीय है। वे वस्तुतः समाज एवं राष्ट्र की एक अमूल्य निधि है।
आपके चिन्तनपूर्ण लेखन पर विक्रमशिला विद्यापीठ ने पी.एच.डी. की मानद उपाधि प्रदान की। उत्कृष्ट सामाजिक सेवाओं के कारण जहाँ पं.बंगाल के महामहिम राज्यपाल श्री वीरेन जे.शाह ने सेवा सम्मान में प्रदान किया वहीं महानगर सहित देश के शीर्ष सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं ने आपको अभिनंदित कर स्वयं को धन्य बनाया।
यह सम्मान हम सब अपने अहम् को विगलित करने के लिए नहीं अपितु इसलिए कर रहे हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां एक प्रकाशमान प्रेरणा प्राप्त कर सकें और लोकमंगल के विस्तीर्ण पथ पर निष्काम भाव से गतिशील हो सकें। हमें पूर्ण विश्वास है कि श्री केडिया जी ने लोक हित जिस दिवालोक का आह्वान करने के महत उद्देश्य से जो हीरक प्रदीप प्रज्ज्वलित किया है, उससे अनेक दीपक प्रज्ज्वलित होंगे।
आज दिनांक 20 दिसम्बर 2008 को नई दिल्ली में अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन आपको ‘‘भंवरमल सिंघी समाज सेवा पुरस्कार’’ से सम्मानित करते हुए काफी हर्ष महसूस करता है। हम ईश्वर से आपके शतायु होने की प्रार्थना भी करते हैं।
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