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शनिवार, 27 जून 2009

म्हारो लक्ष्य राष्ट्र’री प्रगति

नन्दलाल रूँगटा,
अध्यक्ष, अखिल भरतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन

Nandlal Rungta, Chaibasa

आगामी लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है, पिछले दिनों सम्मेलन के द्वारा देश के विभिन्न प्रन्तों में ‘‘राजनैतिक चेतना शिविरों’’ का आयोजन किया गया था। हमारी यह योजना भी थी कि दिल्ली में एक राष्ट्रीय स्तर के शिविर का भी आयोजन हो सके। चुकिं कई प्रान्तों के चुनाव को देखते हुए एवं उसी समय सम्मेलन के साधारण अधिवेशन के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। इन शिविरों के माध्यम से हमने यह प्रयास किया था कि समाज के लोग न सिर्फ चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय हिस्सेदारी लेंवें, साथ ही चुनाव कार्यलयों में जाकर मतदाता सूची में अपने नाम की जाँच जरूर से करवां लें- कि उनके नाम को किसी ने हटा तो नहीं दिया? या फिर जिन्होंने अभी तक नाम न दर्ज करवायें हों तो मतदाता सूची में अपने और अपने परिवार का नाम जरूर से दर्ज करवायें, साथ ही अपने आस-पास रहने वाले समाज बन्धुओं को भी इस बात के लिये प्रेरित कि वे अपने नाम को मतदाता सूची में जरूर से दर्ज करा लेवें। हमें यह सूचना मिली है कि इस बार समाज ने इस बात के महत्व को समझा है और इस दिशा में पहल की है। जिन लोंगो ने अभी तक यह कार्य न किया हो वैसे समाज बंधुवों कि संख्या को धीरे-धीरे कम करने की आवश्यकता है।
हम लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं देश और
संविधान के प्रति भी हमारा यह दायित्व बनता है कि चुनाव की प्रक्रिया में भागीदारी कर देश की गणतांत्रिक व्यवस्था को मजबुत कर हमें बिना किसी जाति-पात के अच्छे उम्मीदवार या आप देश के किसी राजनैतिक पार्टी से तालूक रखतें हों तो उस दल के उम्मीदवार को अपना मूल्यवान मत देने जरूर जायें। राजनैतिक पार्टियों से समरसता और सहयोग भी बनायें ताकी हमारी एवं हमारे समाज की आशाओं एवं आकांक्षाओं के सम्बन्धी सार्थक वार्तालाप संभव हो सके।
आसन्न संसदीय चुनाव का देश में राजनैतिक स्थिरता एवं आर्थिक विकास की दृश्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। विश्व अर्थव्यवस्था एक संकटकालीन स्थिति से गुजर रही है। भारत इससे अछूता नहीं है आर्थिक मन्दी के चलते रोजगार कम हो रहे है एवं वित्तिय व्यवस्था चरमरा रही है। इन गम्भीर आर्थिक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये आने वाले समय में साहसपूर्ण राजनैतिक एवं आर्थिक कदम उठाने की आवश्यकता पड़ेगी। इस संदर्भ में स्थायी एवं मजबूत सरकार का महत्व और भी बढ़ जाता है। वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में एकदलीय बहुमत सरकार की कोई संभावना नहीं है। मिली-जुली सरकार का कोई विकल्प नहीं दिखता है। त्रिशंकु संसद गम्भीर राजनैतिक परिस्थिति प्रस्तुत कर सकती है। राजनैतिक दलों एवं नेताओं के साथ-साथ मतदाताओं को बड़ी सुझबुझ एवं परिपक्व का परिचय देना है। बढ़ते आतंकवाद एवं कठिन आर्थिक संकट की वर्तमान स्थिति में एक मजबूत केन्द्रीय सरकार समय की मांग है। हम सभी को इसमें अपनी भूमिका निभानी है।
हमारा समाज कई पीढ़ियों से देश के विभिन्न हिस्सों में रम-बस गया है। जो जिस प्रान्त में बसा, उस प्रान्त की भाषा- साहित्य-संस्कृति को न सिर्फ अपनाया साळा ही उसके विकास में महत्वपुर्ण योगदान भी दिया है। असम के श्री ज्योतिप्रसाद अगरवाला एवम् इनका परिवार इस बात का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करतें हैं। सम्मेलन की नींव रखने वालों ने भी यह नारा- ‘‘म्हारो लक्ष्य राष्ट्र’री प्रगति’’ रखा है। हम राष्ट्र की एकता और अखण्डता के साथ-साथ प्रान्तीय समरसता में विश्वास करते हैं। हम चाहतें हैं कि जिस प्रान्त में हम रहतें हैं उस प्रान्त की स्थानीय भाषा को भी हम अपनाये। उस प्रान्त के लोगों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर समाज सेवा के कार्य किये जायें। समाज ने विभिन्न प्रान्तों में समाज सेवा के जो भी कार्य किये हैं उनके आँकड़े एकत्र करने की योजना भी हमें लेनी होगी। इस कार्य के लिये हमें सभी प्रान्तों का विशेष सहयोग यदि मिला तो जल्द ही हम इस तरह के कुछ संकलन प्रकाशित कर पायेगें। end.

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