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रविवार, 11 जनवरी 2009

समाजवाद के प्रणेता अग्र शिरोमणि महाराजा अग्रसेन

सुरेश कुमार बसंल (लेघांवाला)



महाराजा अग्रसेन अग्रवाल जाति के पितामह थे। वे समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, रामराज्य के समर्थक एवं महादानी थे। महाराजा अग्रसेन उन महान विभूतियों में से थे जो "सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखायः" कृत्यों द्वारा युगों-युगों तक अमर रहेगें। महाराजा अग्रसेन केवल अग्रवालो के कुल प्रर्वतक ही नही थे अपितु महान लोकनायक, अर्थनायक, सच्चे पथ प्रदर्शक एवं विश्व बंन्धूत्व के प्रतीक थे। उनमें अलौकिक साहस, अविचल दृढ़ता गम्भीरता, अद्भुत सहनशिलता दुरदर्शिता, विस्तृत दृष्टिकोण गुण विद्यमान थे। इनका जन्म मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम की चौंतीसवी पीढ़ी में सूर्यवशीं क्षत्रिय कुल के महाराजा बल्लभसेन के घर में द्वापर के अन्तिमकाल और कलियुग के प्रारम्भ में आज से 5133 वर्ष पुर्व हुआ था।
युग पुरुष महाराजा अग्रसेन ने तत्कालीन एक तन्त्रीय शासन प्रणाली के प्रतिकार में एक नयी व्यवस्था को जन्म दिया, उन्होने पुनः वैदिक सनातन आर्य सस्कृंति की मूल मान्यताओं को लागु कर राज्य की पुनर्गठन में कृषी-व्यापार, उद्योग, गौपालन के विकाश के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा का बीड़ा उठाया। उन्होने अमीर-गरीब तथा उंच-नीच के भेदभाव को समाप्त कर सभी नागरिकों को समान अधिकार दिये। महाराजा अग्रसेन ने एक रुपया और एक ईंट के आदर्श द्वारा जहाँ एक और अपने राज्य को बेकारी बेरोजगारी-निर्धनता जैसे अभिशापों से मुक्त कर वहाँ सदाचार एवं भाईचारे की गहरी नींव रखी। महाराजा अग्रसेन इसलिए पूजनीय नहीं है कि वह अग्रवाल जाति के जनक थे वरन इसलिए पूजनीय है कि उन्होंने समय की मांग को देखते हुए तात्कालीन डांवाडोल परिस्थितियों में अहिंसा एवं समाजवाद के आधार पर एक सुदृढ़ गणतन्त्र की ठोस शुरुआत की जिस पर अग्रवालों के साथ-साथ पुरा राष्ट्र एवं विश्व गर्व करता है, समाजवाद, लोकतन्त्र एवं विश्व बन्धूत्व का इससे बढ़िया उदाहरण पुरी दुनिया के इतिहास में कहीं देखने सुनने को नही मिलेगा।
अग्रवाल समाज भारत की सभ्यता एवं संस्कृति का केन्द्र बिन्दू रहा है। विश्व में न जाने कितनी सभ्यताएं और सस्कृंतियां पनपी और काल के गाल में समा गई, किन्तु अग्रवाल समाज आज भी बड़े ही गर्व के साथ अपनी दान-धर्म परोपकार की परम्पराओं के साथ-साथ ईमानदारी और कर्मठता के कारण साहित्य, शिक्षा, धर्म, ज्ञान-विज्ञान, राजनिति, उद्योग कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जो इस समाज के योगदान से महिमान्वित न हुवा हो, सभी धर्मो को अपना समाज मानते हुए अपनी श्रद्धा और सम्मान के अलावा अपने ठोस योगदान के साथ हर समय तैयार रहता है। लाला लाजपतराय, जमनालाल बजाज, दानवीर भामाशाह, वैश्य शिरोमणि महात्मा गाँधी, भाई हनुमानजी प्रसाद पौद्दार, डॉ.रघुवीर, जयदयाल गोंइन्का, राममनोहर लोहिया, सर गंगाराम आदि विभूति इसी समाज की ही देन है। वर्तमान में फोर्ब्स पत्रिका न्यूयार्क अमेरिका ने संसार के सबसे धनी व्यक्तियों की सुची जारी की उसमें भी अग्रवाल समाज के श्री लक्ष्मीनिवास मित्तल को प्रथम स्थान मिला है। इसके अलावा इसी समाज के सुनील मित्तल (ऐयरटेल भारती समूह), नवीन जिन्दल , राहुल बजाज, सुभाष गोयल, नरोतम सेक्सरिया आदि भी इसी कड़ी में अपने-अपने उद्योग क्षेत्रों में राष्ट्र के नवनिर्माण में अपना योगदान देते हुए बुलन्दियो के झण्डे गाड़े हुए हैं। हमें हमारे समाज और हमारे पूर्वजो पर गर्व है।
अग्रवाल का अर्थ है आगे रहने वाला, सबका नेतृत्व करने वाला जो कि हमारे पूर्वजों ने किया, किन्तु वर्तमान में आधुनिकता और पाश्चात्य की चकाचौध, स्वार्थपरक नीति, व्यस्त जीवन प्रणाली में हम कुछ गुमराह से हो रहे हैं, सोच का दायरा अपने तक सिकुड़ कर सिमित रह गया है, सबको साथ लेकर चलने की सदासयता विलुप्त सी हो रही है। आवश्यकता से अधिक कमाए गए धन के घमण्डी धनाढ़य लोग अपने वैभव और समृद्धि का नगां नाच नाचते नजर आते है , शिक्षा के नाम पर सस्कारों का हनन हो रहा हैं, परम्पराएँ समाज से लुप्त होती जा रही हैं, समाज तो समाज परिवार सिकुड़ते जा रहे हैं, महाराजा अग्रसेन की मान्यताओं की धज्जीया उड़ाने में हम सभी में दौड़ लगी हुई है। अग्रवाल समाज का लक्ष्य क्या था और हम आज कहाँ जा रहे है? जरा चिन्तन करें।
आज महाराजा अग्रसेन कि जयंती हैं, अग्रवाल समाज पुरे देश में अपने-अपने स्थानीय स्तर पर अग्रसेन जयंती का आयोजन करता है, इन आयोजनो की भव्यता और विशालता से इन्कार नहीं किया जा सकता, पुरखों कि स्मृति को जीवन्त रखने हेतू जयंतीयों हमारे दायित्व के साथ-साथ एक माध्यम हैं। लेकिन प्रश्न है कि इन जयंतीयों से क्या हम महाराजा अग्रसेन के नियम और उद्देश्यों को पुरा करा पाते हैं, महाराजा अग्रसेन के जीवन उसके आदर्श उसके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से समाज को कहाँ तक परिचित करा पाते है। मेरी सोच में आज हम महाराजा अग्रसेन के सिद्धान्तों से भटक रहे हैं। यदि हमें महाराजा अग्रसेन के अनुयायी कहलाना है तो, आइये ! हम महाराजा अग्रसेन जयंती पर एक बार पुनः सच्चे मन से उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें, हम सब एक नयी सामाजिक क्रान्ति को जन्म देने कि तैयारी करें, समाज बन्धूवों में परस्पर घनिष्ठता एवं सहयोग कि भावना बढ़ाते हुए समाज में व्याप्त कुरीतियों व बुराइयों को दूर करने के लिए संगठित होकर कार्य करने और अपनी एकता का परिचय देकर हर समय प्रयत्नशिल रहें, हमारा अग्रवाल समाज नित नवल ज्योत्सना की सुधा से सरोवार हो। यदि हम अपने को अग्रसेन की सन्तान मानते हैं तो हमें भी अपने को प्रमाणित करना पड़ेगा, उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर स्वयं के जीवन को अग्रमय बनाने का संकल्प लेना होगा, यही उस युग पुरुष को सच्ची श्रद्धाजंली होगी और जयंती कि सार्थकता होगी।

10 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद आप अग्रवाल समाज के लेई इतना विचार करते हे
    हमारा प्रयास भी कुछ एशा ही हे
    जीवन साथी की तलाश हुई पूरी बस एक माउस किल्क की दुरी
    जीवन साथी का सपना अब आपका अपना
    अछे जीवन साथी की तलाश आये हमारे पास
    अग्रपरिचय अग्रवाल समाज के लिये पूरी तरह से

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  2. अग्र परिचय एक सशक्त मादयम हे अग्रवाल समाज के नव यूवको एवं यूवतियो के लिये अपने भावी जीवन साथी की तलाश का इसके माधयम से अग्रवाल समाज के नव यूवक एवं यूवती अपने अनुरप अपने जीवन साथी का चयन कर अपने जीवन में एक नया रंग भर सकते हे यह मध्य प्रदेश की पहली वैवाहिक वेब साईट हे जो अग्रवाल समाज के लिए निशुल्क रूप से काम कर रही हे मध्य प्रदेश के अग्र बंधुओ से मिले सहयोग और शुभकामनाओ से अग्र परिचय का परिवार बड़ता जा रहा हे और ये बड़े हर्ष की बात हे आप भी इस परिवार में शामिल हो सकते हे अग्र परिचय के लिए agrprichy.blogspot.com का ब्लाग भी लिखा जा रह हे इस पर जा कर आप अपनी राय दे सकते हे या आप WWW agrprichy .com पर ईमेल कर सकते हे आपका सवागत हे आपके सुझाव और शिकायत हमारा मार्ग दर्शन करगे आप के इंतजार में अग्र परिचय प्रशासक नमस्कार में अतुल अग्रवाल सिहोर मध्य प्रदेश से

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  3. I AM PROUND THAT I AGARWAL.............

    We agarwals as a true Indians contribute 24% of total INCOME TAX, 62% of total CHARITY FUNDS.
    Runs 12000 out of 16000 gaushalas.
    Have more than 50000 Temples in India with maximum no of trithdham & dharamshalas. 46% of share Brokers are AGARWALS. Most of the leading company Owners are Agarwals. We more than 28% of Indian Property. Contribute 20% of GDP of India.
    Only with 1% of Indian Population ….

    Yet We do not demand any this, no agitation, no reservation, no separate state.

    Proud to be an Indian & Proud be an “AGARWAL”

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  4. jahan jahan agarwal hoga vahan vahan jivan khush hal hoga

    by-
    D.N. AGARWAL & MEERA AGARWAL BANDA,

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  5. all agrawal respect to all person.remove to proud,remove to dowary system. then hum sachha agrawal khalaga

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  6. all girl are educated to agrawal family.tub hum saba ko proud hoga.

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  7. Realy it is wonderful that we are Agrawal. Can we continue to it that we proud on it ?

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  8. HUM PURI KOSIS KARENGE MAHARAJA AGARSEN JI KE ADARSH APNANE KE LIYE

    JAI AGROHA

    VIJAY SARAWGI
    SRIGANGANAGAR
    9414089383

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