आपणी भासा म आप’रो सुवागत

'आपणी भासा' ई-पत्रिका में मारवाड़ी समाज से जुड़ी जानकारी, सामाजिक बहस व समाज में व्याप्त कुरीतियोँ के प्रति सजग इस पेज पर आप समस्त भारतीय समाज के संदर्भ में लेख प्रकाशित करवा सकतें हैं। हमें सामाजिक लेख, कविता, सामाजिक विषय पर आधारित कहानियाँ या लघुकथाऎं आप मेल भी कर सकतें हैं। सामाजिक कार्यक्रमों की जानकारी भी चित्र सहित यहाँ प्रकाशित करवा सकतें हैं। मारवाड़ी समाज से जुड़ी कोई भी संस्था हमारे इस वेवपेज पर अपनी सामग्री भेज सकतें हैं। आप इस ब्लॉग के नियमित लेखक बनना चाहतें हों तो कृपया अपना पूरा परिचय, फोटो के साथ हमें मेल करें।- शम्भु चौधरी E-Mail: ehindisahitya@gmail.com



अब तक की जारी सूची:

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

राजस्थानी रचनाकारों की सूची


इस सूची को पूर्ण करने हेतु अपना पता हमें भेज सकते हैं- संपादक


अम्बू शर्मा - २०५, एसके देव रोड, लेक टाऊन, कोलकाता-४८/ ०३३-२५२११०५२
अजीतसिंह चारण - द्वारा कल्याणसिंह चारण, लिंक रोड, रतनगढ़ (चूरू)/ ९४१३७२४३२३
अर्जुनदान चारण - मु.पो. करमावास, वाया- समदड़ी, बाड़मेर
डॉ. अर्जुनदेव चारण - राजस्थानी विभाग, ज.ना.व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर/ ९८२९१०७७५१
अर्जुनसिंह शेखावत - २ घ ३६, कमला नेहरू नगर, पाली मारवाड़-३०६४०१/ ०२९३२-२५७०६२, २५७९६६
अतुल कनक - ३ ए ३०, महावीरनगर विस्तार, कोटा/०७४४-२४७०१६०, ९९५०६८८८६६
अन्नाराम सुदामा - पेट्रोल पम्म के सामने, गंगाशहर, बीकानेर/ ०१५१-२२७२९०९
अब्दुल समद राही - मोहल्ला सिलावटान, ढाल की गली, सोजत शहर (पाली)/०२९६०-२२१२०६, ९२१४६७७६७४
अरविंदसिंह आशिया - डी-५, टाइप ।।।, एम.वी. हॉस्पिटल कैम्पस, उदयपुर-३१३ ००१
अरूण कुमार दुबे - डाकघर के सामने, अहोर, जिला- नागौर
अवकाश सैनी - रामजस वैल, अगुणा मोहल्ला, चूरू/ ९८२८४४५१७१
अशोक जोशी क्रांत - हाकमों की प्रोल, बनियापाड़ा, जोधपुर-१/०२९१-२६२५०८०, ९४१४३१९८३८
अस्तअली खां मलकांण - गली नं. ९, कायमनगर, डीडवाना (नागौर)/ ०१५८०-२२३१२४
श्रीमती आंनदकौर व्यास - द्वारा भवानीशंकर व्यास विनोद, १ स ९, पवनपुरी, बीकानेर
आईदानसिंह भाटी - हिन्दी विभाग, राजकीय महाविद्यालय, जैसलमेर/ ९४१४३२५८६७
आर. एस. टेलर - लक्ष्मणगढ़, सीकर
आर.पी.सिंह - ७३, अरविंद नगर, सीबीआई कॉलोनी, जगतपुरा, जयपुर/ ९४१४८२६०२१
इकराम राजस्थानी - डी-३६, संजय नगर हाउसिंग बोर्ड, शास्त्री नगर, जयपुर-१६/ ०१४१-२३०५२४१
डॉ. उदयवीर शर्मा - संपादक-वरदा, पो. बिसाऊ (झुंझुनूं)/ ०१५९५-२६४२२१
डॉ. उपध्यानचंद्र कोचर - मरुधर हेरिटेज, गंगाशहर रोड, बीकानेर-३३४००१
उपेन्द्र अणु - ऋषभदेव, उदयपुर
उम्मेद गोठवाल - ए-२४, अग्रसेन नगर, चूरू/ ९४१४३५०६३५
उम्मेद धानियां - पो. राजपुरा, तारानगर, चूरू/ ०१५६१-२७०६९७, २७०६२७ पीपी
श्रीमती उमा पंवार - द्वारा वैजेन्द्रसिंह पंवार, ७/२१, डीडीपी नगर, मधुबन बासनी, प्रथम चरण, जोधपुर-५
ओंकारश्री - सूर्य सदन, ३ ब १८, सेक्टर-७, गुप्तेश्वर नगर, उदयपुर
ओमदत्त जोशी - साहित्य सदन, वर्धमान कॉलेज के पास, मुणोत कॉलोनी, ब्यावर,अजमेर
ओम पुरोहित कागद - कमला निवास, २४-दुर्गा कॉलोनी, हनुमानगढ़ संगम/ ०१५५२-२६८८६३, ९४१४३८०५७१
ओम नागर अश्क - ८५७, सेक्टर-४, मस्जिद के सामने, केशवपुरा, कोटा-९/०७४४-२४७२९६०, ९४६०६७७६३८
डॉ. ओमप्रकाश भाटिया - मातृछाया, भाटिया पाड़ा, जैसलमेर
ओमप्रकाश सरगरा अंकुद - मु.पो.- सांगरिया (भीलवाड़ा)

कंवल उणियार - १७/११५, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, जोधपुर-३४२००८
कन्हैयालाल भाटी - कुनीं निवास, छिम्पों का मोहल्ला, गंगाशहर रोड, बीकानेर
कन्हैयालाल सेठिया - ६, आशुतोष मुखर्जी रोड, कोलकाता-२०/ ०३३-२४५५१२४५(exp)
कमल रंगा - नालंदा पब्लिक स्कूल, नत्थूसर दरवाजे के बाहर, बीकानेर/ ०१५१-२५२४०५०
कमल शर्मा - डी १२५ अग्रसेन नगर, पो. चूरू/ ९४१४८९४७९४
श्रीमती कमला कमलेश - ५२५, कल्पना कुंज, छावनी, कोटा-७
डॉ. श्रीमती कविता किरण - नेहरू कॉलोनी, फालना-३०६११६ जिला-पाली/ ९४१४५२३७३०
कल्याणसिंह राजावत - ५३, शिल्प कॉलोनी, चितावा हाउस, झोटवाड़ा, जयपुर-१२/ ०१४१-२३४११६०, ९४१४९८४९५१
डॉ. कल्याणसिंह शेखावत - १५, सुभाषचंद्र बोस कॉलोनी, डिफेंस लेब, रातानाड़ा, जोधपुर/ ९३१४७१०७३२
डॉ. किरण नाहटा - ७ ग १५, पवनपुरी, दक्षिण विस्तार, बीकानेर/ ०१५१-२२४१३१९
किशोर कुमार निर्वाण - वार्ड नं. १, तारानगर, जिला-चूरू/ ९२५२२३१६२०
डॉ. कुंदन माली - २८/१६१५, टेकरी, उदयपुर-३१३००२
कुंदन सिंह सजल - उदय निवास, रायपुर (पाटन) सीकर
कुमार अजय - मु.पो.-घांघू, जिला-चूरू/ ९९२९५८२६१०
कुमार गणेश - लक्ष्मी कुंज, विश्वकर्मा गेट, बीकानेर-३३४००४
केशराराम - द्वारा रणजीत टाडा, दूरदर्शन केन्द्र, सेक्टर-१३, हिसार-१२५ ००१/ ९२५२२३१६२०
केसरीकांत शर्मा केसरी - आनंदपुरा, वार्ड नं. १, मण्डावा-३३३७०४, झुंझुनूं/ ०१५९२-२००६२५
श्रीमती कुसुम मेघवाल - राजभाषा अधिकारी, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, उदयपुर
कैलाश मण्डेला - नेहदीठ, ३, गांधीपुरी, शाहपुरा (भीलवाड़ा)/ ०१४८४-२२२४२६, ९८२८२३३४३४
कैलाश मनहर - स्वामी मोहल्ला, मनोहरपुरा, जयपुर
कृष्ण कल्पित - उपनिदेशक (कार्यक्रम), दूरदर्शन महानिदेशालय, कोपरनिक्स रोड, नई दिल्ली/ ९९६८२९५३०३
कृष्ण कुमार आशु - अक्षर, १२८, मुंशी प्रेमचंद कॉलोनी, माइक्रोवेव टावर के पास, पुरानी आबादी, श्रीगंगानगर/९४१४६५८२९०
कृष्ण कुमार बांदर - पो. बरवाली, त. नोहर, (हनुमानगढ़)/०१५५५-२४०७५२
डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई - बी-१११, समता नगर, कृषि उपज मंडी के सामने, बीकानेर/ ०१५१-२५२७२१
कृष्णा कुमारी - सी-३६८, तलवण्डी, कोटा/ ०७४४-२४०५५००, ९८२९५४९९४७
कृष्णा जांगिड़'कीर्ति` - पुत्री श्री देवीलाल जांगिड़, पो. जसाना, नोहर (हनुमानगढ़) स्वामी खुशालनाथ धीर - कल्याणपुरा मार्ग नं. ४, बाड़मेर-३४४००१
गंगाविष्णु बंशीवाला - शर्मा कॉलोनी, कालूसिंह के डेरे के पास, धोबी धोरा, बीकानेर-१/ ९२१४७४२६२०
गजानन वर्मा - चित्रकला भवन, रतनगढ़ (चूरू) ०१५६७-२२५३०५, २२२५३४
गिरधनदान रतनू दासोड़ी - मु.पो.- दासोड़ी, कोलायत, बीकानेर/ ९९८२०३२६४२
गिरधारीलाल मालव - केशव ज्ञानभारती उ.मा. विद्यालय, अंता, जिला- बारां
डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा - अलख सागर, बीकानेर
गोपीचंद प्राणेश वैद्य - मु.पो.- झझू, जिला- बीकानेर
गोविन्द अग्रवाल - पीपी अग्रवाल, सेल्स एण्ड केमिकल डिपार्टमेण्ट, हरिहर पोलिस्टर्स, कुमारपट्टनम, कर्नाटक
डॉ. गोविंद शंकर शर्मा - ए-६, सरस्वती कॉलोनी, टोंक फाटक, जयपुर-३०२ ०१५
गुलाबचंद कोटड़िया - ४६९, मिंट स्ट्रीट, चैन्नई-६०००७९/ ०४४-२५२०३०३६, २५२०९६०९
डॉ. गोरधनसिंह शेखावत - न्यू कॉलोनी, रोडवेज डिपो के सामने, सीकर/ ०१५७२-२४४५८६
गोरस प्रचण्ड - ६५, वीर सावरकर नगर, कोटा/ ०७४४-२४७७०८५, ९८२९५३०३८५
गौरीशंकर निमिवाल - मु.पो. कुलचंद्र, वाया संगरिया (हनुमानगढ़) ३३५०६३
गौरीशंकर प्रजापत - व्याख्याता, राजस्थानी विभाग, श्री नेहरू शारदा पीठ पी.जी.कॉलेज, जस्सूसर गेट, बीकानेर
गौरीशंकर मधुकर - पुरानी जेल रोड, बीकानेर-५/ ०१५१-२५४११८१, ९४१३४८१४४०
घनश्याम अग्रवाल - अलसी प्लाट, अकोला, महाराष्ट्र ४४४००४
घनश्यामनाथ कच्छावा - बागरेचा बास, सुजानगढ़, चूरू/ ०१५६८-२२५१००

डॉ. चंद्रप्रकाश देवल - ७४, बलदेव नगर, माकड़वाली रोड, अजमेर/ ०१४५-२६४०७१७ चंद्रशेखर अरोड़ा - सोजतिया घांचियां का बास, जोधपुर
चंदालाल चकवाला - ५५२, महावीर नगर द्वितीय, कोटा/ ०७४४-२४२९१०६, ९४१४९४६४४९
चतुर कोठारी - बड़ापाड़ा, पो. राजसमंद-३१३३२६/ ०२९५२-२२०८७३
श्रीमती चांदकौर जोशी - १५ ए, चौपासनी रोड नं. ७, सरदारपुरा, जोधपुर/ ०२९१-२६१५२६४, ९४१३८७१९४६
चेतन स्वामी - धानुका मंदिर के पास, फतेहपुर शेखावाटी/ ०१५७१-५१२४७१, ९४६१०३७५६२
चैनसिंह परिहार - १५५ए, शांतिप्रिय नगर, कमला नगर अस्पताल के पीछे, जोधपुर-८/०२९१-२७५२४३२
चौथमल प्रजापति - ८४७, मस्जिद के सामने, पार्क के पास, केशवपुरा, कोटा/ ९९२८२९७८२५
छगनलाल व्यास - खांडप, बाड़मेर/ ०२९००-२३७३४२, ९४६००७३७१९
ज्योतिपुंज - ए-१/१०४, वैशाली अपार्टमेण्ट, सेक्टर-४, हिरणमगरी, उदयपुर/ ९४१३७५२९९६
जगदीश प्रसाद बाणिया - मु.पो. बरवाली, नोहर, हनुमानगढ़
जनकराज पारीक - २९, मंडी ब्लाक, श्रीकरणपुर (श्रीगंगानगर)/ ०१५०१-२२०४१९
जबराराम कंडारा - मु.पो. अेलाना-३४३०२१ वाया-उम्मेदाबाद, जालोर
डॉ. जमनालाल बायती - बी-१८६, राधाकृष्ण नगर, भीलवाड़ा-३११००१
जयंत निर्वाण - कुमकुम प्रकाशन, पो. सरदारशहर, जिला-चूरू
डॉ. जयपालसिंह राठौड़ - गोपालबाड़ी, चौपासनी, जोधपुर
डॉ. जहूर खां मेहर - सिंधियों का बास, सिंवाची गेट के अंदर, जोधपुर-३४२००१
जीवनसिंह - १/१४, अरावली विहार, अलवर/ ०१४४-२३६०२८८, ९८२८६९४३९५
जुगल परिहार - १७/१९५, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, जोधपुर-३४२००८
जुगलकिशोर पुरोहित - कोटगेट के अंदर, जोशीवाड़ा, बीकानेर/ ९४१३२७८८०८
जेठनाथ गोस्वामी - प्रधानाचार्य, रा.उ.मा.विद्यालय, बालोतरा-३४४०२२/ २२०१३६
जेठमल मारु - २ अ २, पवनपुरी, बीकानेर/ ९४६०८९३९७४
श्रीमती जेबा रशीद - १५१, चौपासनी, चुंगी चौकी, जोधपुर -३४२००९/ ०२९१-२७५३६८२
जोगासिंह कैत जोगी - आकाशवाणी, सूरतगढ/ ०१५०९-२२३६२३ घर २२०२३४ कार्यालय
ट, त
ताऊ शेखावाटी - ३३, जवाहरनगर, सवाई माधोपुर/ ९४१४२७०३३६
डॉ. तारादत्त निर्विरोध - २५४, पद्मावती कॉलोनी ए, अजमेर रोड, जयपुर-३०२०१९/ ०१४१-२३९३६५०
श्रीमती तारालक्ष्मण गहलोत - मेडती गेट के अंदर, जोधपुर-३४२००२/ ०२९१-२५४८६३१
तुलसीराम गौड़ माणक - २ बी, वर्द्धमान काम्पलेक्स, कुंभानगर, हिरणमगरी, सेक्टर-४, उदयपुर
तेजसिंह जोधा - सी-८, बांगड़ कॉलेज कॉलोनी, स्टेशन रोड, डीडवाना-३४१३०३
दमयंती जाडावत चंचल - २४६, रावला, पसंद (राजसंमद) ३१३३२४
दलपत परिहार - जलते दीप भवन, जालोरी गेट, जोधपुर/ ९८२९०९९६१०
दिनेश पंचाल - राघव विला, मु.पो. विकास नगर, जिला-डूंगरपुर
दिलीप स्वामी मनु - मनु प्रकाशन, वार्ड नं. ४, रतनगढ़, चूरू/ ०१५६७-२२६९९७
दीनदयाल ओझा - साहित्य साधना सदन, केलापाड़ा, जैसलमेर/ ०२९९२-२५२५७६
दीनदयाल शर्मा - १०/२२, आरएचबी, डी रोड, हनुमानगढ़ जंक्शन-३३५५१२/ ९४१४५१४६६६
दीपचंद सुथार - गांधी बाजार, मंत्रियों का मोहल्ला, मेड़तासिटी, नागौर
दुर्गादानसिंह गौड़ - २२/१३३, मोखापाड़ा, कोटा/ ९४६०००६६१५
दुलाराम सहारण - १०५, गांधीनगर, चूरू-३३१००१/ ९४१४३२७७३४
देवकरण जोशी दीपक - मु.पो. कोहिणा, त. तारानगर, जिला-चूरू/ ०१५६१-२६५२१५
डॉ. देव कोठारी - १३-मालदास स्ट्रीट, मेहताजी की खिड़की, उदयपुर/ ९४१४१६३१९६
देवकिशन राजपुरोहित - सूर्य सदन, पो. चंपाखेड़ी, वाया- रैण, जिला- नागौर/ ९४१३० ३८८६६
देवदास रांकावत - एन.के. फोटोग्राफर, जस्सूसर दरवाजे के अंदर, बीकानेर/ ०१५१-२५२२४६१, ९३५१२६९८०१
दौलतराम डोटासरा - मु.पो.- रोड़ांवाली, जिला- हनुमानगढ़
धनंजय वर्मा - नगर परिषद के सामने, बीकानेर-१/ ०१५१-२५२८१२३
धनराज पंवार - २/१४६, हाउसिंग बोर्ड, पो. बालोतरा-३४४०२२ बाड़मेर
धोंकलसिंह चरला़ - चरला़ भवन, सी-९४, शास्त्रीनगर, जयपुर-३०२०१६/ ०१४१-२२८०४२७
नंद भारद्वाज, - ७१/२४७, मध्यम मार्ग, मानसरोवर, जयपुर-२०/ ०१४१-२७८२३२८, ९४१४०५१२८३
नंदकिशोर चतुर्वेदी - मु.पो. पाछुन्दा (बेगू) चित्तौड़गढ़
नथगिरि भारती - भारती भवन, रानी बाजार, नोहर (हनुमानगढ़)
नथमल केड़िया - केड़िया हाउस, ४ ए, शंभूनाथ पंडित स्ट्रीट, कोलकाता-२०
नमामीशंकर आचार्य - कोटगेट के अंदर, जोशीवाड़ा, बीकानेर
डॉ. नरपतसिंह सोढ़ा - १/२,प्रोफेसर कॉलोनी, सेठ मोतीलाल कॉलेज, झुंझुनूं/९४१४५४१४७६
नरेश मेहन - मेहन हाउस, ढिल्लो कॉलोनी, हनुमानगढ़ संगम/ ९४१४३ २९५०५
नवनीत पाण्डे - प्रतीक्षा, २ डी २, पटेल नगर, बीकानेर
नवल जोशी - नये हौज का रास्ता, चांदपोल चौक, जोधपुर-१/ ०२९१-२९९०८७७, ९४१३८६५१०८
नागराज शर्मा - बिणजारो प्रकासण, पिलानी/ ०१५९६-२४२९३५, ९४६०२७६४२६
नारायणसिंह पीथल - ई-९२०, न्यायपथ, गांधीनगर, जयपुर/ ९८२९२३७६३१
नारायणसिंह राव निरांकार - रेलवे फाटक के सामने, आमेट, राजसंमद/ ०२९०८-२५१२५१, ९४१३४२३५८५
निर्मोही व्यास - १ स २२, पवनपुरी, बीकानेर-३३४००३/ ०१५१-२२०००४०
निशांत - वनविभाग के निकट, पीलीबंगा/ ०१५०८-२३५६१६
नीरज दइया - ३ च १४, पवनपुरी, बीकानेर- ३३४००३

पन्नालाल कटारिया - मु.पो.- बिठौड़ा कलां, वाया- मारवाड़ जंक्शन, जिला- पाली ३०६००१/०२९३५-२५३३०१
पवन पहाड़िया - पहाड़िया लोर मिल, डेह, जिला- नागौर
पवन शर्मा - श्रीमती भगवानी देवी उ.प्रा. विद्यालय, वार्ड नं. ५, रेलवे लाइन के पास, भादरा (हनुमानगढ़)
डॉ. परमानंद सारस्वत - ५ डी-२११, जयनारायण व्यास कॉलोनी, बीकानेर-३३४००३/ ०१५१-२३१०५६
परमेश्वर प्रजापत - मु.पो.- गोगटिया चारणान, त. तारानगर, जिला-चूरू/ ९९८२५०४१४०
पांचाराम चौधरी - लक्ष्मीनगर, बाड़मेर/ ९४१४५२९३१३
पी.आर. लील - डी-१२, अंत्योदय नगर, गजनेर रोड, बीकानेर
पुष्कर गुप्तेश्वर - १९/३८७, आदर्शनगर, वि.वि. मार्ग, उदयपुर/ ०२९४-५१३१५८६, ९८२९५६२२१५
श्रीमती पुष्पलता कश्यप - पुष्पांजलि, पुराने डाकघर के पीछे, लक्ष्मीनगर, जोधपुर/०२९१-२५३१५८९, ९४६०१०६४०१
डॉ. पुरुषोत्तम आसोपा - १२४, बिन्नाणी बिल्डिंग, अलख सागर रोड, बीकानेर
डॉ. पुरुषोत्तम छंगाणी - पशु चिकित्सालय परिसर, चेतक सर्किल, उदयपुर/ ०२९४-२५२५११५
पुरुषोत्तम पल्लव - १/४२, हाउसिंग बोर्ड, गोवर्धन विलास, उदयपुर/ ०२९४-२४८५८४४
पुरुषोत्तम यकीन - ४-पी-४६, तलवण्डी, कोटा-३२४००५/९४१४९३९५७४
पूर्ण शर्मा पूरण - प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रामगढ़, नोहर, हनुमानगढ़/ ०१५५५-२४०७०८, ९८२८७६३९५३
पूरन सरमा - १२४/६१-६२, अग्रवाल फार्म, मानसरोवर, जयपुर-२०/ ०१४१-२७८२११०, ९८२८०२४५००
श्रीमती डॉ. प्रकाश अमरावत - व्याख्याता, राजस्थानी, डूंगर कॉलेज, बीकानेर
प्रकाश चाण्डालिया, ३०९,विपिन बिहारी गांगुली स्ट्रीट, २ तल्ला, कोलकाता-७०००१२ फोन: ०३३- २२२५१३९९/९८३००३८३३५
प्रमोद कुमार शर्मा - वरिष्ठ उद्घोषक, आकाशवाणी, बीकानेर/ ०१५१-२५२८०४२, ९४१४५०६७६६
प्रहलाद श्रीमाली - ४२/३१, डॉ. रघुनाथकुल स्ट्रीट, पार्क टाउन, चैन्नई-६०० ००३/ २५३५३८७६, २५२९१९८९
प्रहलादराय पारीक - १८ एसपीडी, बडोपल, सूरतगढ़, ३३५८०४/०१५०८-२८८०८२, ९८२८६६६२१४
प्रहलादसिंह राठौड़ - पलायथा हाउस, मोखापाड़ा, कोटा-३२४००६
प्रेम शास्त्री - १ के २५, महावीरनगर विस्तार योजना, कोटा-९
बजरंगलाल जेठू - चार भुजा चौक, लाडनूं, जिला- नागौर/ ९४१४९६१५९७
डॉ. बद्रीप्रसाद पंचौली - बी-६, दातानगर, रेम्बल रोड, अजमेर-३०५००१/ ०१४५-२४२५६६४
बद्रीलाल मेहरा दिव्य - दिनकर कुटीर, हथाई का चौक, सकतपुरा, कोटा-८/ ९८२९०७८५१८
बनवारी खामोश - २४२, काव्य कुंज, वार्ड नं. ३६, प्रतिभानगर, चूरू/ ९४१३६०५१७०
श्रीमती बसंती पंवार - विष्णु सदन, माहेश्वरी न्याति नोहरे के पास, बाबू राजेन्द्र मार्ग, मसूरिया, जोधपुर
बस्तीमल सोलंकी - भीम, राजसंमद-३०५९२९
बिशनाराम स्वामी - मु.पो.- बरवाली, त. नोहर, हनुमानगढ़/ ९९२८९२५८७४
बिहारीशरण पारीक - ६१, माधवनगर, रेलवे स्टेशन के पीछे, दुर्गापुरा, जयपुर
बीरुराम चांवरिया - आकाशवाणी, सूरतगढ़/ ०१५०९-२२०२३४ कार्यालय
बी.एल. माली अशांत - ३/३४३, मालवीय नगर, जयपुर/०१४१-२५२०८७४, ९४१४३८६६४९
बुद्धिप्रकाश पारीक - २४८६/२०, पुरानी बस्ती, जयपुर-३०२ ००१
बुलाकी शर्मा - सीताराम द्वार के सामने, जस्सूसर गेट के बाहर, बीकानेर-४/ ०१५१-२२०५६८८, ९४१३९३९९००
बैजनाथ पंवार - वार्ड न. १८, चूरू/ ०१५६२-२५३३४२
डॉ. ब्रजनारायण कौशिक - सेवा विकलांग, सेक्टर-६, हनुमानगढ़ जंक्शन
ब्रजराज स्नेही - ३/११८, हाउसिंग बोर्ड, टोंक
बद्रीलाल मेहरा दिव्य - दिनकर कुटीर, हथाई का चौक, सकतपुरा, कोटा-३४२ ००८
बृजरतन जोशी - जोशी मेडिकल एण्ड जनरल स्टोर, हर्षों का चौक, बीकानेर/ ०१५१-२५२२६६२२
डॉ. भंवर कसाना - वत्सला, प्रतापनगर, डीडवाना (नागौर)/ ०१५८०-२२३११९, ९८२८७३५३९५
पं. भंवर व्यास - एडवोकेट, हरसों की ढाल, बीकानेर
भंवरलाल भ्रमर - रामजी री कुटिया, एम.एम. स्कूल ग्राउण्ड के पास, जवाहरनगर, बीकानेर-३३४ ००४
भंवरलाल सुथार - ७१, नेहरू नगर, बीआर बिड़ला स्कूल के सामने, जोधपुर/ ०२९१-२७००५८१
भंवरसिंह सामौर - १३४, गांधीनगर, चूरू/ ०१५६२-२५३८३४, ९४६०५२८८३४
डॉ. भगवतीलाल व्यास - ३५, खारोल कॉलोनी, फतहपुरा, उदयपुर-३१३००१/ ०२९४-२४५०९५६, ९४१३५२८५२९
डॉ. भगवतीलाल शर्मा - शांति निकेतन, ७८, सरदार क्लब योजना, जोधपुर-३४२०११/ ०२९१-२६२३५२७
डॉ. भरत ओला - ३७, सेक्टर-५, नोहर-३३५५२३ हनुमानगढ़/ ९४१४५०३१३०
डॉ. भवानीसिंह पातावत - चौपासनी सी.से.स्कूल, चौपासनी, जोधपुर-३४२००१/ ९४१४२७९१७३
भविष्यदत्त भविष्य - ऋषभ कॉलोनी, ऋषभदेव (उदयपुर)/ ०२९०७-२३०६३४, ९४६०७२८४५८
भागीरथ परिहार - सी ३ ए/८२, फेज-२, रावतभाटा, कोटा
भागीरथ मेघवाल - ३४४, टीचर्स कॉलोनी, अंबा माता मंदिर स्कीम, उदयपुर-१
भागीरथ रेवाड़ - कार्यक्रम अधिकारी, आकाशवाणी, सूरतगढ़/ ०१५०९-२२०२३४ (का.) २२०३८१ (घर)
भागीरथसिंह भाग्य - बगड़, झुंझुनूं/ ९४१४९८३८८२
भूपतिराम साकरिया - सुविज्ञा, १३-१४, रघुवंश सोसायटी, वल्लभविद्यानगर, गुजरात/ ०२६९२-२३७२९३
भूराराम सुथार - ई-६, दुर्गा नर्सरी रोड, विश्वविद्यालय क्वार्टर्स, उदयपुर
भोजराज पेण्टर - कोटगेट, रेलवे फाटक के पास, बीकानेर/ ०१५१-२२१०६३५, २२०४७३६
भोगीलाल पाटीदार - सीमलवाड़ा, जिला-डूंगरपुर
भैंरुलाल गर्ग - नंद भवन, कावांखेड़ा पार्क, भीलवाड़ा-३११००१
भैंरुसिंह राव क्रांति - शारदा सदन, इंद्रपुरी, कानोड़ (उदयपुर)
डॉ. मंगत बादल - शास्त्री कॉलोनी, रायसिंहनगर-३३५०५१/ ०१५०७-२२०७१७, ९४१४९८९७०७
डॉ. मदन केवलिया - प्रतिमा, सी-६८, सादुलगंज, बीकानेर-३३४००३/ ०१५१-२५२५३६३
डॉ. मदन सैनी - विवेकनगर, अनाथालय के पीछे, बीकानेर/०१५१-५१२०८९९
मदनगोपाल लड्ढ़ा - १४४, लड्ढ़ा निवास, महाजन (बीकानेर)/ ९९८२५०२९६९
मदनमोहन परिहार - भाग्य भवन, प्रथम अ रोड, सरदारपुरा, जोधपुर-३४२००३/ ०२९१-२६२०३७८, २६२०३८६
मधुकर गौड़ - ब्ल्यू ओसन-१, ए-३०२, ब्ल्यू एंपायर कांपलेक्स, महावीरनगर, कांदिवली प., मुम्बई-६७
मनोजकुमार स्वामी - अशोक विहार, पुराना बस स्टेण्ड, सूरतगढ़/ ९४१४५८०९६०
डॉ. मनोहर प्रभाकर - सी-११८ ए, मंगल मार्ग, बापूनगर, जयपुर-३०२०१५/ ०१४१-२७०७८७७
डॉ. माधोसिंह इंदा - नेहरू कॉलोनी, फालना, जिला- पाली
मनोहरलाल गोयल - गोयल भवन, बिष्टुपुर, जमशेदपुर-८३१००१/ ०१४८०-२२८१५६, ९३३४८६६४७३
मनोहरसिंह राठौड़ - ई-२८, सिरी कॉलोनी, पिलानी/ ०१५९६-२४३५०१, २५२३५९, ९७८४५९०१०९
मरुधर मृदुल - अधिवक्ता, ७२, नेहरू पार्क, जोधपुर
महावीर जोशी - भैंसावता खुर्द-३३३५१६ झुंझुनूं
डॉ. महावीर दाधीच - १४२, भगवतीनगर-प्रथम, करतारपुरा, जयपुर-६/ ०१४१-२५००५४५
डॉ. महावीर पंवार - कालूबास, श्रीडूंगरगढ़/ ०१५६५-२२४१००
डॉ. महेन्द्र भानावत - ३५२, श्रीकृष्णपुरा, सेंट पाल स्कूल के पास, उदयपुर-१/ ०२९४-२४१२१७४
महेन्द्रसिंह लालस - ९७, लक्ष्मीनगर, पावटा, जोधपुर
डॉ. महेन्द्रसिंह नगर - नगर हाउस, पावटा बी रोड, जोधपुर-३४२००६/०२९१-२५४४९०७, ९४१४१९६९६०
महेन्द्रसिंह मील - मु.पो.- कोलिण्डा, जिला- सीकर, ३३२०४०
माधव नागदा - श्री गोवर्द्धन रा.उ.मा. विद्यालय, नाथद्वारा-३१३३०१/ ०२९५३-२८८४९४
मालचंद तिवाड़ी - प्रहेलिका, सोनगिरी कुआं, बीकानेर/ ९३१४४९८०२४
मीठालाल खत्री - लाल पोल, आसन रोड, जालोर/ ०२९७३-२२२७८८
मीठेश निर्मोही - ब्राह्मणों की गली, उम्मेद चौक, जोधपुर/ ०२९१-३२३२९७८४०, ९३५१२२३२२१
मुकनसिंह सहनाली - मु.पो.- सहनाली बडी, त.व जिला- चूरू
मुकुट मणिराज - वृद्धि, रोडवेज वर्कशॉप कॉलोनी, स्टेडियम के पास, कुन्हाड़ी, कोटा-३/ ९८२९९७१४२१
मुकेश आमेरा - ६२, आनंद विहार-ए, बेनाड़ रोड, झोटवाड़ा, जयपुर/ ०१४१-२३४४६२७
मुरलीधर वैष्णव - गोकुल, ए-७७, रामेश्वर नगर, बासनी-१, जोधपुर/ ९४६०७७६१००
डॉ. मूलचंद सेठिया - डी-५८, अम्बाबाड़ी, गणेश पार्क के सामने, जयपुर-३०२०२३
मेहरचंद धामू - मु.पो.- परलीका, त.- नोहर, जिला- हनुमानगढ़
मोहन आलोक - २०७, फोर्थ ब्लाक, चांदनी चौक, रामनगर, श्रीगंगानगर-३३५००१/ ०१५४-२४५०२३२
मोहनलाल जांगिड़ - व्याख्याता, राजकीय टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बीकानेर
मोहनलाल शर्मा - विद्या विहार, १ ई २१८, ज.ना. व्यास नगर बीकानेर-३/ ०१५१-२२३४२९७
मोहन सिद्धावत - तिलक नगर, जालोर
मोहनसिंह - श्रीमालों का मोहल्ला, झुंझुनू

यादवेन्द्र शर्मा चंद्र - आशालक्ष्मी, नयाशहर, बीकानेर/ ०१५१-२५४७७८८
योगेश कानवा - अभिव्यक्ति, १०५/६७, अहिंसा मार्ग, विजयपथ, मानसरोवर, जयपुर/ ९४१४६६५९३६
रघुराजसिंह हाड़ा - मालसदर मार्ग, झालावाड़-३२६००१/ ०७४३२-२३०१२३
मेजर रतन जांगिड़ - १११/४००, शिप्रा पथ, मानसरोवर, जयपुर-३०२०२०/०१४१-२३९८७२०, ९४१४०४०२८१
रतन राहगीर - सिंधी कॉलोनी, श्रीडूंगरगढ़ (बीकानेर)
रतन शाह - १४, चांदनी चौक स्ट्रीट, कोलकाता-७०००७२ फोन:०-९३३०९४७३७३
डॉ. रमेश मयंक - बी-८, मीरानगर, चित्तौड़गढ़-३१२००१/ ०१४७२-२४६४७९, ९४६११४१४८९
रवि पुरोहित - ३९७, कैलाशपुरी, बीकानेर/ ९४१४४१६२५२
रविकुमार सनाढ़्य - स्वस्ति, बी-२७५, आर.के. कॉलोनी, भीलवाड़ा/ ०१४८२-२४७८४
राज कादरी रियाज - मोहल्ला चूनगरान, बीकानेर
राजकुमार जैन राजन - चित्रा प्रकाशन, आकोला (चित्तौड़गढ़) ३१२२०५/ ०१४७६-२८३२२२, ९८२८२१९९१९
राजाराम भादू - समानांतर, ४३, हिम्मत नगर, टोंक रोड, जयपुर-३०२ ०१८/ ९८२८१६९२७७
राजूराम बिजारणियां - तहसील कार्यालय के सामने, लूणकरणसर, बीकानेर/ ०१५२८-२२३३३४, ९४१४४४९९३६
डॉ. राजेन्द्र बारहठ - ६०, गारियावास, उदयपुर/ ९८२९५६६०८४
राजेन्द्र स्वर्णकार - गिराणी, सुनारों का मोहल्ला, बीकानेर-३३४००५/ ०१५१-२२०३३६९
राजेश अरोड़ा - उपडाकपाल, गजसिंहपुर (श्रीगंगानगर) ३३५०२४/ ०१५०५-२३०९८७, २३०११०
राजेश रंगा - सी-२, जालुपुरा, मेनरोड जालुपुरा, जयपुर
डॉ. राजेशकुमार व्यास - धर्मनगर द्वार के बाहर, ओझा-सारस्वत भवन के पीछे, बीकानेर-३३४००४
राणुसिंह राजपुरोहित - भावण्डा , वाया- खींवसर (नागौर) ३४१०२५
राधेश्याम जोशी - ३ ख १, पवनपुरी, बीकानेर/ ०१५१-२२४०५४९, ९२१४९४९२२२
डॉ. रामकुमार घोटड़ - मुरारका मेडिकल स्टोर, सादुलपुर (चूरू)/ ९४१४०८६८००
रामकुमारसिंह - ७३/३०९ ए, टैगोर लेन, मानसरोवर, जयपुर-३०२०२०/ ९८२९२६६०७४
रामजीलाल घोड़ेला - वार्ड नं. २८, पाबूजी के मंदिर के पास, लूणकरणसर, बीकानेर/ ०१५२८-२२३२२५
रामदयाल मेहरा - राज. साहित्य अकादमी, हिरणमगरी, सेक्टर-४, उदयपुर/ ०२९४-२४६६३७१, ९४१३२७५७६०
रामधन अनुज - द्वारा श्री बहादुरराम निमिवाल, नजदीक सुखवंत पैलेस, पुरानी आबादी, श्रीगंगानगर-१
रामनरेश सोनी - जेल सदर के सामने, बीकानेर-३३४००१
रामनिरंजन शर्मा ठिमाऊ - ठिमाऊ का घर, पो. पिलानी, जिला- झुंझुनूं/ ०१५९६-२४२६४१
रामनिवास बोहरा - पारीक चौक, बीकानेर
रामनिवास शर्मा - वाणी विहार, पारीक चौक, बीकानेर/ ०१५१-२५२२६४५
डॉ. रामप्रसाद दाधीच - नैवेद्य, ९३, नेहरू पार्क, जोधपुर
रामपालसिंह राजपुरोहित - सर्वोदय बस्ती, बीकानेर-३३४००४
रामस्वरूप किसान - मु.पो.- परलीका, त.- नोहर, जिला- हनुमानगढ़/०१५५५-२८२२३३
डॉ. रामस्वरूप परेश - बी-५, पीरामल नगर, बगड़ (झुंझुनूं) ३३३०२३
रामेश्वर गोदारा ग्रामीण - भोपालवाला आर्य सीनियर सेकण्डरी स्कूल, श्रीगंगानगर/ ९४६००९५८०७
रामेश्वरदयाल श्रीमाली - चामुण्डा माता मंदिर मार्ग, जालोर-३४३००१/ ०२८७२-२२४५२१
रामेश्वर राही - मु.पो. पारेवड़ा, वाया- साण्डवा, जिला- चूरू/ ०१५६०-२७२०७१
लक्ष्मणदान कविया - मु. खैण, पो. मूंडवा, जिला- नागौर/ ०१५८४-२८३३११, २८३३९१, २८३३८६
लक्ष्मणसिंह आशिया - मु.पो.- पसूंद, जिला- राजसमंद/ ९४१४४७३३४२
श्रीमती लक्ष्मीकुमारी चूंडावत - लक्ष्मी निवास, डी-१९४, जगदीश मार्ग, बनीपार्क, जयपुर/ ०१४१-२२०५५२१
डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास - विजयश्री, १७, नयाघर, राजा कोठी के पास, गुलाबबाड़ी, अजमेर/ ९४१४२७३९५१
लक्ष्मीनारायण रंगा - नत्थूसर गेट, बीकानेर-४/ ०१५१-२२११०५०
लालदास पर्जन्य - ६/१७७, स्वराज्यनगर, पारस सिनेमा के पास, उदयपुर-१/ ०२९४-२४८४८२३
लालदास राकेश - ९०, सरस्वती सदन, हनुमान नगर, जालोर-३४३ ००१
लीटू कल्पनाकांत - कल्पनालोक, रतनगढ़, जिला-चूरू/ ०१५६७-२२२७८४, ९८२८५२४६५५
डॉ. सुश्री लीला मोदी - २९१, मोती स्मृति, टिपटा, कोटा/ ०७४४-२३८५३८०, २३८५६२५, ९३५२६२९५५५
वासु आचार्य - बाहेती चौक, बीकानेर
डॉ. विक्रमसिंह गूंदोज - राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर-३४२००९
विजय जोशी - २/४८, गणेश तालाब, बसंत विहार, कोटा-३२४००९/ ०७४४-२४०२५९९
विजयदान देथा - रूपायन संस्थान, पो. बोरुंदा, जिला- जोधपुर/ ०२९३०-२४४११२, २४४५४०, ९४१४७०३६५२
डॉ. विद्यासागर शर्मा - ४ एफ १७, जवाहर नगर, श्रीगंगानगर/ ०१५४-२४६०५८१, ९४१४३२९४३४
विनोद कुमार स्वामी - मु.पो.- परलीका (नोहर) हनुमानगढ़/ ९८२९१७६३९१
विनोद नोखवाल - भारी हॉस्पिटल रोड़, पीलीबंगा (हनुमानगढ़)/ ९८२९८२१९९६
विनोद सोमानी हंस - ४२/४३, जीवनविहार कॉलोनी, आनासागर, सरक्यूलर रोड, अजमेर/२६२७४७९
श्रीमती विमला भंडारी - भंडारी सदन, पैलेस रोड, सलूम्बर-३१३०२७/ ०२९०६-२३०६९५, ९४१४७५९३५९
विश्वनाथ भाटी - वार्ड नं. ८, तारानगर (चूरू) ३३१३०४/ ९४१३८८८२०९
विष्णु शर्मा - वार्ड नं. १०, वनविभाग के निकट, सूरतगढ़-३३५८०४
वीरेन्द्र लखावत - राजीव कॉलोनी, हायर सेकण्डरी रोड, सोजत (पाली)/ ०२९६०-२२३०४४
वेदप्रकाश - जवाहर जैन शिक्षक महाविद्यालय, कानोड़ (उदयपुर)
वेदव्यास - ७/१२२, मालवीयनगर, जयपुर/ ०१४१-२५५३६८६, ९४१४०५४४००

श्याम गोइन्का - गो-गो इंटरनेशल, साइट नं. ६, केएचबी औद्योगिक क्षेत्र, द्वितीय क्रास, यहलंका न्यू टाउन, बैंगलोर-५६००६४/ ०८०-२३६१०२८३
श्याम जांगिड़ - काठगोला गोदाम, चिड़ावा, झुंझुनूं
श्याम महर्षि - राजस्थली, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर/ ०१५६५-२२२६७०, ९४१४४१६२७४
डॉ. श्यामसुंदर भारती - ओटेश्वर महादेव मंदिर, फतह सागर, जोधपुर-२/ ९४१४४७४७८९
श्यामसुंदर सुमन - जी.एच.-२२, नया बापूनगर, भीलवाड़ा-३११००१
शंकर झकनाड़िया - ३७/१४६, प्रतिभानगर, चूरू-३३१००१/ ०१५६२-२६१२१५
शम्भु चौधरी - एफ.डी.-४५३/२, साल्ट लेक सिटी, कोलकाता- ७००१०६ मोबाइल: ०९८३१०८२७३७
डॉ. शंकरलाल स्वामी - नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर/ ०१५१-२२१०११८
शंकरसिंह राजपुरोहित - शोध अधिकारी, आचार्य तुलसी राजस्थानी शोध संस्थान, गंगाशहर,बीकानेर-१/९३५२०९२५५६
शंकुतला सरूपरिया - १०, सिक्ख कॉलोनी, एमबी कॉलेज चौराहा, उदयपुर/ ०२९४-२४२०४४४, ९३५१४१२०९३
डॉ. शक्तिदान कविया - पोलो-२, जोधपुर/ ०२९१-२५४२०५६
शचीन्द्र उपाध्याय - सरस्वती कॉलोनी, खेड़ली फाटक, कोटा-३२४ ००१
शांति भारद्वाज राकेश - गीतांजलि, शहीद भगतसिंह कॉलोनी, कोटा-२/ ०७४४-२४४०५०५
श्रीमती शारदा कृष्ण - आशादीप, पिपराली रोड, सीकर/ ०१५७२-२५०३९६
शालिनीसिंह - श्याम टेलीकॉम सेण्टर, टैगोर चौक, नोहर (हनुमानगढ़)
शिवचरण मंत्री - श्रीनगर (अजमेर) ३०५०२५
डॉ. शिवदयाल पारीक - २ ख ३, शास्त्रीनगर, अजमेर-३०५००६/ ०१४५-२४३२११७
शिवदानसिंह जोलावास - २५१, सेक्टर-११, हिरणमगरी, उदयपुर/ ९४१४७३७९७२
शिव मृदुल - बी-८, मीरानगर, चित्तौड़गढ़-३१२००१
शिव शर्मा विश्वासु - ३८, जगदंबा भवन, भटवाड़ा बास, सोमनाथ मार्ग, पाली मारवाड़-३०६४०१
शिवराज छंगाणी - नत्थूसर गेट के अंदर, बीकानेर
शिवराज भारतीय - मालियों का बास, नोहर-३३५५२३ हनुमानगढ़/ ९४१४८७५२८१
श्रीमती शीला मिश्रा - १२/१३, शांति कॉलोनी, जी.ए. रोड, ओल्डवास मैनपेट, चैन्नई-६०००२१
शिशुपालसिंह - पापुलर ऑफसेट प्रिंटर्स, रोडवेज बस स्टैंड, फतेहपुर शेखावाटी-३३२३०१
संग्रामसिंह सोढ़ा - चक सचियापुरा, पो. बज्जू, त. कोलायत, जिला-बीकानेर
संजय आचार्य वरुण - जीतमल प्रोल, आचार्यों का चौक, बीकानेर-५/ ९८२९८६१५७४
संपत सरल - ८५, मयूर विहार, नांगल जैसा बोहरा, झोटवाड़ा, जयपुर-१२/ ०१४१-२३४२४१८, ९४१४०४४४१८
सत्यदीप - राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर
सत्यदेव संवितेन्द्र - राठौड़ भवन, स्वाधीनता मार्ग, मारवाड़ जंक्शन/ ९४१४१७४८००
सत्यनारायण इंदौरिया - २२, सत्य सदन, पो. रतनगढ़, जिला-चूरू/ ०१५६७-२२४२३४, २२५७८८
सत्यनारायण सोनी - मु.पो.- परलीका, नोहर, हनुमानगढ़/ ०१५५५-२८२०४८, ९४६०१०२५२१
सतीश गोल्याण - मु.पो.- जसाना, नोहर, हनुमानगढ़/ ०१५५२-२६३४२९
सतीश छिम्पा - वार्ड नं. ३, त्रिमूर्ति मंदिर के पीछे, सूरतगढ़-३३५८०४/ ०१५०९-२२४७३९
सरदार अली पड़िहार - बीदासर बारी के बाहर, बीकानेर/ ९४१४२६४७२९
सरल विशारद - द्वारा दैनिक भास्कर, बीकानेर/ ०१५१-२०३९८८
श्रीमती सावित्री चौधरी - २९, सिंधी कॉलोनी, आदर्शनगर, जयपुर-३०२००४
सी.एल. सांखला - शब्दवन, टाकरवाड़ा (कोटा) ३२५२०४
सीताराम महर्षि - कृष्ण कुटीर, रतनगढ़ (चूरू)/ ०१५६७-२२२८५३
श्रीमती सुखदा कछवाहा - १/६, शांति निकेतन, नई दिल्ली-११००२१
श्रीमती सुधा रामपुरिया - ४१ डी.डी.पी. मुखर्जी रोड, कोलकाता
सुधीर राखेचा - राम कुटीर, केसरवाड़ी, जोधपुर
सुबोध कुमार अग्रवाल - नगरश्री, चूरू/ ०१५६२-२५१८२४
श्रीमती डॉ. सुमन बिस्सा - ६, आकाशदीप भवन, तीसरी डी रोड, सरदारपुरा, जोधपुर-३/ ०२९१-२६२६०००
सुरेन्द्र अंचल - २/ १५२, साकेत नगर, ब्यावर (अजमेर)
सुरेन्द्रसिंह शेखावत - ए-१५७, करणीनगर, लालगढ़, बीकानेर/ ९४१३३८८०९६, ९८२९०२१७५६
सुरेन्द्रसिंह राव मृत्युंजय - आसोलियारी मांदड़ी, पो. बोयणा, खेमली, उदयपुर/ ०२९५५-२३८१३१
सूर्यशंकर पारीक - नगर परिषद के पास, स्टेडियम मार्ग, बीकानेर-३३४००१
सूरजसिंह पंवार - रामपुरिया कॉलेज के पीछे, बीकोनर-३३४००५
डॉ. सोनाराम बिश्नोई - अमर मंगल, ४१-बी, ९-ई रोड, सरदारपुरा, जोधपुर/ ९४१४१२७५२२
सोहनलाल प्रजापति - कारगवाल कुटीर, पो. छापर-३३१५०२, जिला-चूरू
हनुमान दीक्षित - रानी बाजार, नोहर-३३५५२३/ ०१५५५-२२०५२९
हरदान हर्ष - ए-३०६, महेश नगर, जयपुर-३०२०१५/ ०१४१-२५०१६५१, ९४२६५४०७५२
हरमन चौहान - ७/३६९०, सेक्टर-१४, अंबेडकर कॉलोनी, लवकुशनगर, गोरधन विलास, उदयपुर-१
हरिमोहन सारस्वत रूंख - ७२, सेक्टर-१२, हनुमानगढ़ संगम/ ९४१४३८०४९२
हरिवल्लभ बोहरा हरि - १०८७, सिंघवी पाड़ा, जैसलमेर
हरीश भादानी - छबीली घाटी, बीकानेर/ ९४१३३१२९३०(exp)
डॉ. हुसैनी बोहरा - १ म ३५, सेक्टर-५, हिरणमगरी, गायत्रीनगर, उदयपुर-३१३००२
क्ष
श्रीभगवान सैनी - कालू बास, श्रीडूंगरगढ़, बीकानेर/ ०१५६५-२२३४५३, ९४६०५६४५१४
श्रीलाल जोशी - रतन भवन, बारह गुवाड़ का चौक, नथाणियों की सराय, बीकानेर/ ०१५१-२५२८२०१
श्रीलाल नथमल जोशी - केसर प्रकाशनालय, सोनगिरी चौक, बीकानेर/ ०१५१-२२०५००१ (exp)

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

यह हमारे दिवालियेपन की निशानी है- शम्भु चौधरी


Shambhu Choudhary
     यह बात सही है कि मारवाड़ी समाज के एक वर्ग ने काफी धन अर्जित किया, संग्रहित किया, संचित भी किया, इसका उपयोग किया तो दुरुपयोग भी। सामाजिक कार्यों मेँ जी जान से खर्च किया तो शादी-ब्याहों में इसका आडम्बर करने से भी नहीं चुका। धार्मिक कार्यों या आयोजनों मेँ धन को समर्पित किया तो खुद को पूजवाने भी लगे। समाज सेवा की तो, सेवा को बदनाम कर समाज सेवक कहलाने की एक मुहिम भी चली। कोई खुद को चाँदी में तुलवाने को सही ठहराता है, तो कोई भागवत कथा के नाम पर लाखों का खर्च को। एक दूसरे को शिक्षा देने में किसी से कोई कम नहीं। एक लाखों का विज्ञापन छपवाकर समाज को शिक्षा दे रहा है, तो दूसरा इस तर्क से कि धन उनका है वे उसको कैसे भी लुटाये। वाह भाई! वाह! कमाल का यह समाज। इस समाज का कोई सानी नहीं। कौन किसकी परवाह करता है। सभी अपने मन के मालिक हैं भला हो भी क्यों नहीं धन जो कमा लिया है बेशुमार दौलत का मालिक जो बन गया है यह समाज। मानो लक्ष्मी से लक्ष्मी की हत्या का अधिकार मिल गया हो इस समाज को। मारवाड़ी समाज की एक सबसे बड़ीं ख़ासियत यह भी है कि इस समाज को किसी भी प्रान्त के साहित्य-संस्कृति-भाषा-कला या उनके रहन-सहन, खान-पान (यहाँ तक की राजस्थान से भी) आदि से कोई लगाव नहीं सिर्फ और सिर्फ अपनी जीभिया स्वाद और पैसे का अहंकार इनको नीमतल्ला घाट तक पीछा नहीं छोड़ता।


     परन्तु इस नालायकी के लिये सारा समाज न तो दोषी है ना ही हमें समझना ही चाहिये। समाज का समृद्ध परिवार आज भी धन के इस तरह के दुरुपयोग से कोशों दूर है, यह जो भी गंदगी और धन के नंगे प्रदर्शन मे लगे लोग हैं वे या तो नाजायज तरीके से अर्जित धन को खर्च कर अपनी मानसिक विकलांगता को समाज के सामने परोस रहें हैं या फिर गांव का धन है जिसे वे खुले हाथ लूटा रहें हैं। संपन्न वर्ग और समृद्ध परिवार कभी भी अपनी दरिद्रता का प्रदर्शन नहीं करेंगे, इस तरह धन की बर्बादी को जो लोग उचित ठहराते हैं वे न सिर्फ दरिद्र ही हैं ऐसे लोग विकलांग भी हैं। मानो संपन्नता की आड़ में खुद के साथ-साथ समाज की दरिद्रता का प्रदर्शन करता हो, जिससे समाज का हर वर्ग न सिर्फ दुखी है, लाचार भी हो चुका है। कुछ लोग तो आडम्बर को समाज की जरूरत मानते हैं। कहते हैं नहीं तो समाज उसे दिवालिया समझेगा, अब इस दिवालियापन का क्या इलाज?


     अपने अर्जित धन को खुद के बच्चों के ब्याह-शादियों में खर्च करने का समाज को पूरा अधिकार है, करना भी चाहिये, इसके लिये गली मत बनाई.. शान से खर्च कीजिए पर साथ-साथ कुछ नेक उदाहरण भी देते जाईये जिससे समाज को लगे कि आप सच में धनवान हो। धन से ही नहीं मन से भी धनवान हो। झूठी दलीलों की धरातल पर खुद के दिवालियेपन को समाज पर थोपकर, कोई लड़के वाले का नाम लेता है तो कोई लड़की वाले का। " भाई कै करां आपां तो लड़की वाला ठहरा या भाई लड़की वाला ने कोई दवाब कोनी देवां अब वे अपनी मर्जी से खर्च करे तो आंपा कै कर सकां हाँ!" ये दलीलें खुद की नपुंशकता को छुपाने वाली बात है। आपकी यह दशा खुद के दिवालियेपन को जग जाहिर करती है।


     हमेशा से मैं इस बात का समर्थक रहा हूँ कि उत्सव के अवसर को उत्साह के साथ मनाये इसका यह अर्थ नहीं कि फ़िज़ूलखर्ची करें। जरूरत के अनुसार सजावट करें व परिवार-मित्रों के साथ उत्साह के साथ उत्सव मनायें भीड़ एकठी न करें। इन दिनों ब्याह-शादियों में लोग आडम्बर तो करते ही हैं साथ-साथ इस आडम्बर को दिखाने के लिये वेबजह हजारों लोगों को जमा कर लेते हैं। पता नहीं खाने के नाम पर लोग जमा भी कैसे हो जाते हैं- कहते हैं भाई "चेहरो तो दिखाणो ही पड़सी" जैसे किसी मातम में जाना जरूरी हो। पिछले सालों में इसका प्रचलन तेजी से हुआ है। शहरों में एक-एक आदमी ३-४ ब्याह के कार्ड हाथ में लिये शादीबाडी़ खोजते नजर आ जातें हैं। गाँव में आज भी ऐसी स्थिति नहीं हुई है। गाँवों में शादी-ब्याह के नियम-कायदे लोग मानते हैं। इनमें आज भी समाज का भय बना रहता है। परन्तु शहरों में खासकर महानगरों में कोई किसी की नहीं सुनने को तैयार।


     इसी प्रकार भागवत भी बंचवाईये, इसके लिये जरूरी धन की व्यवस्था भी करे परन्तु जो भागवत आप क्रूज जहाज़ में सुनने जा रहें हैं वो भागवत कथा को बदनाम ही करता है, जो महंत इस तरह धन के लालच में भागवत कथा को बेचने की दुकान खोल लिये हैं वे हिन्दू धर्म का विनाश करने में लगे हैं, मेरा उनसे आग्रह रहेगा कि धर्म को कभी भी किसी भी रूप में कैद करने वाले ऐसे तत्वों को पनाह न देवें। मारवाड़ी समाज यदि इसके लिये गुणाहगार है तो उसे सम्मानित न होने देवें और अपनी विद्या को धर्म के प्रति समर्पित करे न कि धन के प्रति।


नववर्ष आपका मंगलमय हो, इसी शुभकामनाओं के साथ।

बुधवार, 1 दिसंबर 2010

मारवाड़ी समाज की संस्थाएं- शम्भु चौधरी


कोलकाता:
1. हरियाणा भवन, 40-ए, विवेकानंद रोड, कलकत्ता-7, 2. डागा धर्मशाला, 41, कालीकृष्ण टैगोर स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 3. नंदराम नेतराम बजाज की धर्मशाला, 23, बड़तल्ला स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 4. माहेश्वरी सदन, 34-बी, रतु सरकार लेन (मित्र परिषद के पीछे), कलकत्ता-7, 5. टिबड़ेवाल भवन (जमनादास), 164, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 6. बाजोरिया भवन, 212, विधान सरणी (वीणा सिनेमा के पास), कलकत्ता-6, 7. ओसवाल भवन, 2-बी, नंदो मल्लिक लेन, कलकत्ता-7, 8. गोविंद भवन, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-7, 9. (मथुरादास) बिनानी धर्मशाला, 31, पथरिया घाट स्ट्रीट, कलकत्ता-6, 10. बांगड़ धर्मशाला, 65-ए, पथरिया घाट स्ट्रीट, कलकत्ता-6, 11. महेश्वरी भवन, 4, शोभाराम वैशाख स्ट्रीट, कलकत्ता-6, 12. श्री दिगंबर जैन भवन, मछुआ, 10-1,मदन मोहन बर्मन स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 13. श्री अग्रसेन स्मृति भवन, पी-30, कलाकार स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 14. हजारीमल दूधवेवाला धर्मशाला (चोर बागान), 19, मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 15. कच्छी जैन भवन, 59, इजरा स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 16. सेठ सागरमल लुहारीवाला स्मृति भवन, 36-1, जितेंद्र मोहन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 17. भारतीय धर्मशाला (सेठ चिमन लाल), 44, जितेंद्र मोहन स्ट्रीट, कलकत्ता-6, 18. राजस्थान ब्राह्मण संघ भवन, 14-2, शोभाराम वैशाख स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 19. श्रीमती केसरी देवी कानोड़िया हॉल, 123, शोभाराम वैशाख स्ट्रीट, कलकत्ता-29, 20. भोतिका धर्मशाला (श्यामदेव गोपीराम), 150, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-7, 21. दौलतराम नोपानी धर्मशाला, 2, नंदो मल्लिक स्ट्रीट, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-7, 22. मित्र परिषद, 115, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 23. श्री जालान स्मृति भवन, 168, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 24. जैन श्वेतांबर तेरापंथी भवन, 3, पोर्तुगीज स्ट्रीट, कलकत्ता-1, 25. ब्राह्मणबाड़ी, सैयद अली लेन, कलकत्ता-7, 26. पोद्दार छात्रावास भवन (छात्रावास), 150. चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 27. हलवासिया छात्रावास भवन (छात्रावास), ब्रजदुलाल स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 28. शार्दुल पुस्करण हाई स्कूल भवन, 1-ए, सिकदर पाड़ा लेन, कलकत्ता-7, 29. बाबू लक्ष्मी नारायण बागला धर्मशाला, 51, सर हरिराम गोयनका स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 30. बाबू लाल अग्रवाल स्टेट, 169, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-7, 31. भगवानदास बलदेव दास धर्मशाला, 9, चोरबागान लेन, कलकत्ता-7, 32. मारवाड़ी पंचायत धर्मशाला, 51, सर हरिराम गोयनका स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 33. नवल किशोर डागा (बीकानेर वाला), धर्मशाला, 41, काली कृष्ण टैगोर स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 34. फूलचंद मुकिम चंद जैन धर्मशाला (श्वेतांबर-जैन), पी-30बी, कालाकार स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 35. रामचंद्र गोयनका धर्मशाला, 361, कालीघाट रोड, कलकत्ता-26, 36. मूँधड़ा धर्मशाला, 20-1, रतन सरकार गार्डन स्ट्रीट, कलकत्ता-7।


हावड़ा:
1. गोपाल भवन, 3 गुड़ गोला घाट रोड, बांधाघाट, हावड़ा-6, 2. श्री सत्यनारायण धर्मशाला (सुरेका) 1, सत्यनारायण टेंपल रोड, बांधाघाट, हावड़ा, 3. साधुराम तोलाराम गोयनका धर्मशाला, मटरुमल लोहिया लेन, बांधाघाट, हावड़ा, 4. अग्रसेन भवन, 2, डोबर लेन (लिलुआ स्टेशन रोड), हावड़ा, 5. माधोगढ़ नागरिक परिषद, डबसन रोड (नीयर ए.सी. मार्केट), हावड़ा।


चिकित्सालय-औषधालय:
1. मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी, 227, रवींद्र सरणी, कलकत्ता-7, 2. श्री विशुद्धानंद सरस्वती मारवाड़ी हास्पीटल, 118, राजा राम मोहन राय सरणी, कलकत्ता-7, 3. रामरिकदास हरलालका अस्पताल, 104, आषुतोश मुखर्जी रोड, कलकत्ता-7, 4. लोहिया मातृ सेवा सदन, 43, रवींद्र सरणी, कलकत्ता-7, 5. मातृमंगल प्रतिष्ठान, 228, रवींद्र सरणी, कलकत्ता-7, 6. आशाराम भिवानीवाल अस्पताल, 55, काली कृष्ण टैगोर स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 7. बागला अस्पताल, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-7, 8. घासीराम बूबना आंख अस्पताल, 138, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-7, 9. विशुद्धानंद सरस्वती दातव्य औषधालय, 35-37, बड़तल्ला स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 10. दिगंबर जैन दातव्य औषधालय, 25, गोयनका लेन, कलकत्ता-6, 11. अम्बिका आयुर्वेद भवन, 6-1, बाबू लाल लेन, कलकत्ता-6, 12. गोविन्द दातव्य औषधालय, बांसतल्ला लेन, कलकत्ता-7, 13. आनंदलोक, सी.के. 44, साल्टलेक सिटी, कलकत्ता-91, 14.माहेश्वरी दातव्य औषधालय, 23, कालीकृष्ण टैगोर स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 15. रामकृष्ण दातव्य औषधालय, 4, गोयनका लेन, कलकत्ता-7, 16. हनुमान हास्पीटल, घुसड़ी, हावड़ा, 17. मारवाड़ी आरोग्य भवन, जसीडीह


पुस्तकालय:
1. श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, 1-सी, मदनमोहन बर्मन स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 2. मारवाड़ी सभा पुस्तकालय, बड़ाबाजार, कलकत्ता-7, 3. श्री तरुण संघ पुस्तकालय, 126, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 4. मारवाड़ी छात्र संघ पुस्तकालय, 150, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 5. श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी पुस्तकालय, 3, पोर्तुगीज स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 6. श्री फतेहपुर ब्राह्मण पंचायत पुस्तकालय, तीसी बाड़ी, तुलापट्टी, कलकत्ता-7, 7. श्री हनुमान पुस्तकालय, 76-जे.एम.मुखर्जी रोड, घुसड़ी, हावड़ा, 8. महावीर पुस्तकालय, 10-ए, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 9. सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय, 186, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7, 10. बड़ाबाजार लाइब्रेरी, 10-1-1, सैयद अली लेन, कलकत्ता-73, 11. माहेश्वरी पुस्तकालय, 4, शोभाराम वैशाख स्ट्रीट, कलकत्ता-7, 12. भारतीय भाषा परिषद, 36 ए, शेक्सपीयर सरणी, कलकत्ता-17।


क्लब:
1. श्री माहेश्वरी क्लब, 2. नीबूतल्ला स्पोर्टिंग क्लब, 3.श्री पुष्टिकर क्लब, 4. नवजीवन क्लब, 5. फ्रेंड्स मुनिमन क्लब, 6. हिंदुस्तान क्लब, 7. बंगाल र्रोइंग क्लब, 8. राजस्थान नवयुवक क्लब, 9. जोधपुर एसोसिएशन, 10. बिड़ला क्लब।


सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाएं:
1. अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन (मारवाड़ी समाज की प्रतिनिधि संस्था) 152-बी, महात्मा गाँधी रोड, कलकत्ता-700007, 2. अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच (मारवाड़ी युवकों की प्रतिनिधि संस्था) 3432-13, हसन बिल्डिग, निकलसन रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006, 3. मित्र परिषद, 4. अग्रसेन भवन, 5. राणीसती प्रचार समिति, 6. श्री श्याम मित्र मण्डल, 7. नागरिक स्वास्थ्य संघ, 8. झुन्झूंनू प्रगति संघ, 9. माहेश्वरी पंचायत, 10. ओसवाल नवयुवक संघ, 11. सेठ सूरजमल जालान वस्तु भण्डार, 12. राजस्थान जन सम्पर्क समिति, 13. कुम्हारटोली सेवा समिति, 14. ओसवाल भवन, 15. काशी विश्वनाथ सेवा समिति, 16. श्री दिगम्बर जैन मन्दिर , 17. श्री श्याम प्रेम मण्डल, 18. अग्रवाल सेवा संघ, 19. रतनगढ़ नागरिक परिषद, 20. केडिया समाज, 21. बजाज भरतिया सभा, 22. श्री राणीसती भक्त मण्डल, 23. श्री श्याम सत्संग मण्डल, 24. श्री शिव शक्ति सेवा समिति, 25. पुष्टिकर सेवा समिति, 26. हनुमान परिषद, 27. माहेश्वरी नवयुवक सेवा समिति, 28. अहिंसा प्रचारक समिति, 29. मारवाड़ी सेवा समिति, 30. श्री बजरंग परिषद, 31. माहेश्वरी सेवा समिति, 32. माहेश्वरी एजुकेशन बोर्ड, 33. जन सेवा संघ, 34. जैन श्वेताम्बर मित्र मण्डल, 35. माहेश्वरी महिला समिति, 36. मारवाड़ी युवा मंच, 37. कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी, 38. पश्चिम बंगाल मारवाड़ी सम्मेलन 39.भारतीय भाषा परिषद, 40. भारतीय संस्कृति संसद, 41.परिवार मिलन, 42. विकास, 43. अर्चना (नाट्या मंच), 44. अनामिका (नाट्या मंच), 45. पदातिका (नाट्या मंच), 46. माहेश्वरी संगीतालय, 47. हिंदी नाट्या परिषद, 48. संगीत कला मन्दिर, 49. रामगढ़ महाजन संघ, 50. खण्डेलवाल परिषद, 51. श्री माली ब्राह्मण युवक मण्डल, 52. तरुण संघ, 53. दधीच सभा, 54. राजस्थान परिषद, 55. साल्टलेक संस्कृति संसद, 56. विधान नगर संस्कृति संसद, 57. पूर्वांचल कल्याण आश्रम, 58. माहेश्वरी समाजोत्थान समिति, 59. हावड़ा जिला मारवाड़ी सम्मेलन, 60. कलकत्ता मारवाड़ी सम्मेलन, 61. श्री मैढ़ क्षत्रिय सभा, 62. विद्यालय विकास समिति, 63. शक्ति दल, 64. कलकत्ता नागरिक संघ, 65. मानव सेवा संघ, 66. रिसड़ा जन सेवक संघ, 67. माहेश्वरी भवन (रिसड़ा), 68. मिलनश्री 69.सलकिया सेवा संघ, 70. ब्राह्मण (राजस्थान हरियाणा) संघ, 71. सरदार शहर परिषद, 72. बीदासर नागरिक परिषद, 73. नागौर नागरिक संघ, 74. कौटपुतली नागरिक परिषद, 75. लक्ष्मणगढ़ नागरिक परिषद, 76. विकास परिषद चाडवास, 77. नीमकाथाना अंचल नागरिक संघ, 78. राजगढ़ सादुलपुर नागरिक परिषद, 79. देशनोक युवा मंच, 80. अलसीसर सेवा संघ, 81. राजलदेसर नागरिक परिषद, 82. गंगाशहर नागरिक परिषद, 83. नापासर युवा मंच, 84. रतनगढ़ नागरिक परिषद, 85. श्री भादरा परिषद, 86. लोसल नागरिक परिषद, 87. श्री माधोपुर नागरिक परिषद, 88. मंड्रेला नगर विकास परिषद, 89. चुरु नागरिक परिषद, 90. तारानगर युवक परिषद, 91. रामगढ़ नागरिक परिषद, 92. रतन नगर परिवार (कलकत्ता), 93. स्टार सिटी यूथ फेडरेशन, 94. बीकानेर अंचल नागरिक परिषद, 95. छापर नागरिक परिषद, 96. हरसोर नागरिक परिषद, 97. नोखा नागरिक परिषद, 98.
जोधपुर एसोसिएशन, 99. निम्बीजोधां नागरिक परिषद, 100. छोटीखाटू नागरिक परिषद, 101. श्री माधोपुर विकास परिषद, 102. राजस्थान जनकल्याण समिति, 103. सांभर क्लब, 104.मलसीसर चेरिटी ट्रस्ट, 105. लाडनूं नागरिक परिषद, 106. सीकर परिषद, 107. श्री डूंगरगढ़ नागरिक परिषद, 108. अजमेर एसोसिएशन, 109. मेवाड़ मित्र मण्डल, 110. श्री डीडवाना नागरिक सभा, 111. सुजानगढ़ नागरिक परिषद, 112. मुकुन्दगढ़ नागरिक परिषद, 113. खंडेला नागरिक परिषद, 114. भीनासर नागरिक परिषद कलकत्ता, 115. पूर्वांचल नागरिक समिति, 116. महेन्द्र नागरिक परिषद, 117.श्री जैन सभा, 118. भारत रिलिफ सोसाइटी, 119. अग्रवाल परिणय-सूत्र समिति।


विद्यालयों की सूची:
Ashoka Hall, 5A, Sarat Bose Road, Kolkata-20, Daulat Ram Nopany Vidyalaya, 2D, Nando Mullick Lane, Kolkata-6, Birla High School, 1, Moira Street, Kolkata-17, Haryana Vidya Mandir, BA/193, Sector-I, Salt lake City, Kolkata-64, Junior Birla High School, 1, Moira Street, Kolkata-17, Sri Jain Vidyalaya, 25/1, Bon Bihari Bose Road, Howrah, Mahadevi Birla Shishu Vihar, 4, Iron Side Road, Kolkata-19, M.B.Girls High School, 17, Darga Road, Kolkata-17, M.P.Birla Foundation H.S.School, James Long Sarani, Kolkata-34, Modern High School for Girls, 78, Syed Amir Ali Avenue, Kolkata-19, Sri Sikshayatan, 11, Lord Sinha Road, Kolkata-71, South Point School, 87/7A, Ballygunge Place, Kolkata-19, Abhivav Bharati High School, 211, Pritoria Street, Kolkata-71, Balika Siksha Sadan, 87, Vivekananda Road, Kolkata-6, Balika Vidya Bhawan, 41, Brajodulal Street, Kolkata-7, Digambar Jain Vidyalaya, P34/35, Cotton Street, Kolkata-7, Digambar Jain Balika Vidyalaya, 211, M.G.Road, Kolkata-7, Gyan Bharati Vidyapith, 64A, Nimtallaghat Street, Kolkata-6, Gyan Bharati Balika Vidyalay, 64A, Nimtallaghat Street, Kolkata-6, Shree Jain shikshalaya, P-25, Kalakar Street, Kolkata-7, Shree Jain Swetambar Terapanthi Vidyalaya, 3, Portugese Church Street, Kolkata-7, Maheshwari Girls School, 273, Rabindra Sarani, Kolkata-6, Maheshwari Vidyalaya, 4, Sovaram Bysack Street, Kolkata-7, Marwari Balika Vidyalaya, 29, Banstolla Lane, Kolkata-7, Maheshwari Balika Vidyalaya, 4, Sovaram Bysack Street, Kolkata-7, Rajasthan Vidya Mandir, 36, Varanasi Ghosh Lane, Kolkata-7, Saraswat Kshetriya Vidyalaya, 4, Burman Street, Kolkata-7, Set Surajmal Jalan Balika Vidyalaya, 186, Chitaranjan Avenue, Kolkata-7, Tantia High School, 2, Syed sally Lane, Kolkata-73, Visuddanand Saraswati Vidyalaya, 160A, Chittaranjan Avenue, Kolkata-7, Jalan Girls College, College Street, Kolkata-12, Goenka Commerce College, Bow Bazar Street, Kolkata-12.


बम्बई में मारवाड़ी समाज की संस्थाएं
1. मारवाड़ी सम्मेलन, 227, कालबा देवी रोड, मुम्बई- 400002, (क) श्री मती भागीरथीबाई मानमल रुई महिला महाविद्यालय, (ख) सीताराम पोद्दार बालिका विद्यालय, (ग) श्री शिव कुमार भुवालका हिंदी पुस्तकालय। 2. बम्बई अस्पताल, 12, वी. ठाकरसी मार्ग, मुम्बई- 400020, 3. राजस्थानी महिला मण्डल, 12, क्रा. वसंतराव नाईक क्रॉस लेन, फोर्जेट स्ट्रीट, ग्वालियर टैंक, मुम्बई - 400036, 4. राजस्थानी सम्मेलन, मालाड (सर्वोदय बालिका विद्यालय भवन), एस. विही. रोड, मालाड, मुम्बई-400064 (क) सर्वोदय बालिका विद्यालय, (ख) घनश्यामदास सराफ कालेज आँफ आटर््स एण्ड कामर्स (ग) धूड़मल बजाज भवन, 5. मारवाड़ी विद्यालय हाई स्कूल, सरदार बल्लभ भाई पटेल मार्ग, गिरगांव, मुम्बई - 400004, 6. मारवाड़ी कामर्शियल हाई स्कूल, (संचालित-हिंदुस्तान चेम्बर आँफ कामर्स), गजधर गली, चीरा बाजार, मुम्बई-400002, 7. नवजीवन विद्यालय हाई स्कूल, मालाड (संचालित राजस्थान रिलीफ सोसाइटी), राणीसती मार्ग, मालाड (पूर्व), मुम्बई-400057, 8. राजस्थान विद्यार्थी गृह, अंधेरी, लल्लू भाई पार्क, अंधेरी (प.) मुम्बई-400058, 9.बृजमोहन लक्ष्मीनारायण रुईया, बहुद्देश्य हाई स्कूल, विले पार्ले, महंत रोड, विले पार्ले (पूर्व), मुम्बई-400057, 10. श्रीमती दुर्गाबाई, बृजमोहन लक्ष्मी नारायण रुईया, प्राथमिक म्युनिसिपल शाखा, महंत रोड, विलेपार्ले (पूर्व) मुम्बई-400057, 11. जमनादास अड़किया बालिका विद्यालय, कांदिवली, राम गली, विवेकानंद रोड, मुम्बई-400067, 12.हिंदी हाई स्कूल-घाटकोपर, झुनझुनूवाला कालेज के पीछे, घाटकोपर, मुम्बई-400086, 13. रामनिरंजन झुनझुनवाला आटर््स एण्ड र्साइंस कालेज-घाटकोपर, (संचालित-हिंदी विद्या प्रचार समिति), घाटकोपर, मुम्बई-400086, 14. प्रह्लाद राय डालमिया लायंस कालेज आँफ कामर्स, सुन्दर नगर, एस. व्ही. रोड, मालाड (प.), मुम्बई-400064, 15. श्रीमती कमलादेवी गौरीदत्त मित्तल, पुनर्वसु आयुर्वेद कालेज एवं अस्पताल, (संचालक-आयुर्वेद प्रचार संस्था), नेताजी सुभाष रोड, मुम्बई-400019, 16. रामनारायण रुईया कालेज, माटूंगा रेलवे स्टेशन (म.रेलवे), मुम्बई-400019
17.रामदेव आनन्दोलाल पोद्दार आयुर्वेदिक कालेज, वरली नाका, (महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित), वरली, मुम्बई-18, 18. किशनलाल जालान धमार्थ आयुर्वेदिक औषधालय,किसन रोड, मालाड (प.) मुम्बई-400064, 19.हरियाणा नागरिक संघ, 212-216, रंगमहल, सेम्युअल स्ट्रीट, मुम्बई-400003, 20. हरियाणा मित्र मण्डल, 337, कालवा देवी रोड, मुम्बई-400002, 21. अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी अग्रवाल जातीय कोष, 227, कालबा देवी रोड, मुम्बई-400002, 22. माहेश्वरी प्रगति मण्डल, 603, जगन्नाथ शेकर सेठ रोड, मुम्बई-400002, 23. राजपूताना शिक्षा मण्डल, 227, कालबा देवी रोड, मुम्बई -400002, 24. राजस्थानी नेशनल ग्रेज्युएट्स एसोसिएशन, 501, निरंजन, 9, मरीन ड्राईव, मुम्बई-400002, 25. राजस्थानी सेवा संघ, जे. बी. नगर, अंधेरी, मुम्बई-400059, 26. श्री घनश्यामदास पोद्दार विद्यालय, जे. बी. नगर, अंधेरी, मुम्बई-400059, 27. श्री गुरुमुखराय सुखानंद दिगम्बर जैन धर्मशाला, सी. पी. टैंक, मुम्बई-400004, 28. मारवाड़ी फतेहपुरिया पंचायती बाड़ी ट्रस्ट, 41-2, पांजारापोल लेन, मुम्बई-400004, 29. सत्यनारायण गोयनका भवन, (पंचायती सेवा ट्रस्ट), जे.बी.नगर, अंधेरी, मुम्बई-400059, 30. नेमानी वाड़ी, 61, ठाकुरद्वार रोड, मुम्बई-400002, 31. नाथूराम पोद्दार बाग ट्रस्ट, 111-119, ठाकुर द्वार रोड, मुम्बई-400002, 32. बिड़ला वाड़ी, आर-6-30, सीताराम पोद्दार मार्ग, मुम्बई-400002, 33. दाखीबाई सिंघानिया धर्मशाला वाड़ी ट्रस्ट, 18, दादीशेठ अग्यारी लेन, मुम्बई-400002, 34. सराफ मातृ मंदिर, मालाड, (मालाड को-आ. हॉ. सोसाइटी के सामने), पोद्दार रोड, मुम्बई-400097, 35. रुईया वाड़ी, मालाड, (मालाड स्टेशन के पास), कस्तूरबा रोड, मालाड, मुम्बई-400064, 36. राजपुरिया बाग (मदनलाल राजपुरिया ट्रस्ट), नवीनभाई ठक्कर मार्ग, विले पार्ले (पूर्व), मुम्बई- 400057, 37. अग्रवाल सेवा समाज, अग्रसेन भवन, 251, ठाकुरदास रोड, मुम्बई-400002, 38. झुंझुनू प्रगति संघ, 227, कालबा देवी रोड, मुम्बई-400002, 39. राजस्थानी सेवा समिति, 1-ए. 22, नालन्दा एवरशाईन नगर, मुम्बई -400064, 40. राणीसती सार्वजनिक औषधालय, 508, मालाड को.आ.हा.सो., मालाड, मुम्बई-400097, 41. राजस्थानी वेल्फेयर एसोसिएशन, 22, बी. देसाई रोड, मुम्बई-400026, 42. नवलगढ़ नागरिक संघ, 307-309, कालबा देवी रोड, मुम्बई-400002, 43. बिड़ला ब्राह्मण वाड़ी, 98, व्ही.पी.रोड, मुम्बई-400004, 44. बिड़ला चैरिटेबल डिस्पेंसरी, 18, व्ही.पी.रोड, मुम्बई-400004, 45. फतेहपुर शेखावटी प्रगति संघ, 212, कालबा देवी रोड (2 माला), मुम्बई-400002, 46. राजस्थान कला केंद्र, नीलम मेंशन, भडकमकर मार्ग, मुम्बई-400004।

मारवाड़ी समाज द्वारा अन्य प्रांतों में किए गए सेवा कार्यों की एक झलक


उड़ीसा प्रांत:

1. हिन्दी विद्यालय, जटनी, 2. वैश्य विद्यालय, कटक, 3. हिन्दी बालिका विद्यालय, बरगढ़, 4. हिन्दी एम.ई.स्कूल, सम्बलपुर, 5. हिन्दी स्कूल खेतराजपुर, सम्बलपुर, 6. हिन्दी स्कूल, बरगढ़, 7. हिन्दी विद्यालय, बलांगीर, 8. महाबीर हिन्दी विद्यालय, टीटलागढ़, 9. कौशल हिन्दी विद्यालय, तुसरा पटना स्टेट, 10. वीर प्रताप हिन्दी विद्यालय, तरमा, 11. ओरिएण्ट पेपर मिल हाई स्कूल, वृजराज नगर, 12. मारवाड़ी विद्या मन्दिर, झारसुगड़ा, 13. हिन्दी विद्यालय, जूनागढ़, 14. मारवाड़ी विद्यालय, खड़गप्रसाद, 15. राष्ट्रीय हिन्दी विद्यालय, 16. श्री मुकुन्दीलाल अग्रवाल महिला महाविद्यालय, 17. चमेली देवी महिला महाविद्यालय 1998 में।


पुस्तकालय:
1. हिन्दी साहित्य समिति पुस्तकालय, कटक, 2. हिन्दी पुस्तकालय, जटनी, 3. राष्ट्रीय पुस्तकालय, बालेश्वर, 4.श्री कृष्ण पुस्तकालय, सम्बलपुर, 5. हनुमान पुस्तकालय, सम्बलपुर, 6. हिन्दी छात्र संघ पुस्तकालय, बरगढ़, 7. कस्तूरबा पुस्तकालय, खेतराजपुर।


धर्मशालाएं:
1. रामचन्द्र गोयनका धर्मशाला, पुरी, 2. देवीदत्त दूधवेवाला धर्मशाला, पुरी, 3. कन्हैयालाल बागला धर्मशाला, पुरी, 4. गनपतराम खेमका धर्मशाला, पुरी, 5. आज्ञाराम मोतीराम कोठारी धर्मशाला, पुरी, 6. चिमनलाल गनेड़ीवाला धर्मशाला, पुरी, 7. सूरजमल नागरमल गेस्ट हाउस, पुरी, 8. हलवासिया धर्मशाला, साखी गोपाल, भुवनेश्वर, 9. दूधवेवाला धर्मशाला, भुवनेश्वर, 10. मारवाड़ी धर्मशाला, सोनपुर, 11. घासीराम जी भोलानाथ धर्मशाला, कटक, 12. इच्छाराम जी बदरी प्रसाद धर्मशाला, कटक, 13. गोपीनाथ जी की धर्मशाला, कटक (दो धर्मशाला), 14. पंचायती मारवाड़ी धर्मशाला, अंगुल, 15. मारवाड़ी धर्मशाला, जाजपुर, 16. बदरीप्रसाद पतंगिया धर्मशाला, भुवनेश्वर, 17. मारवाड़ी धर्मशाला, रायरंगपुर, 18. मारवाड़ी धर्मशाला, सम्बलपुर, 19. पालीराम जी की धर्मशाला, सम्बलपुर, 20. मामचन्द मूलचन्द जी की धर्मशाला, झाड़सुगड़ा, 21. मारवाड़ी धर्मशाला, झारसुगुड़ा, 22. जानकीदास गणपत राम की धर्मशाला, झारसुगुड़ा, 23. मारवाड़ी धर्मशाला, बलांगीर, 24. मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला, बरागढ़, 25. मारवाड़ी धर्मशाला, टीटलागढ़, 26. मारवाड़ी धर्मशाला, कांटाबाजी, 27. मारवाड़ी धर्मशाला, तुसरा, 28. मारवाड़ी धर्मशाला, तरभा, 29. हरिभवन (धर्मशाला), 30. श्री गोपाल गोशाल, 31. सेठ बालकिशन दास अग्रवाल (धर्मशाला) 32. श्री अग्रसेन भवन कम्पलेक्स, 33. श्री राम मंदिर, 34. श्री राधाकृष्ण मंदिर, 35. श्री दुर्गा पूजा पंडाल भवन, 36. श्री जैन भवन, 37. श्री ब्राह्मण
धर्मशाला (निर्माणाधीन) है। 38. पुरानी धर्मशाला 1955 में, 39. न्यू धर्मशाला 1975 में, 40. अग्रसेन भवन 2010 में, 41. गायत्री मन्दिर 2000 में, 42. अग्रसेन भवन मारवाड़ी धर्मशाला, 43. गुलाब भवन मारवाड़ी धर्मशाला।
गौशाला:
सम्बलपुर, बरगढ़, झाड़सुगुड़ा, बालेश्वर, राजगांगपुर, भद्रक, सोरों, कटक।


डिब्रूगढ़ (असम):
1. सेठ रामेश्वर सहरिया स्मृति भवन, 2. भगवानदास गाड़ोदिया स्मृति भवन, 3. सूरजमल जालान बालिका शिक्षा सदन, 4. श्री मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, 5. लाल चन्द कनोई मेमोरियल आँडिटोरियम, 6. श्री गोपाल गोशाला, 7. मनोहर देवी कनोई महिला महाविद्यालय, 8. डिब्रूगढ़ हनुमान बक्स सूरजमल कनोई वाणिज्य महाविद्यालय, 9. श्री राधाकृष्ण देवस्थानम (मन्दिर) जालान नगर, 10. श्री वेंकटेश देवस्थानम (मन्दिर), 11. मारवाड़ी आरोग्य भवन, अस्पताल, 12. श्री विश्वनाथ मारवाड़ी दातव्य औषधालय, 13. डिब्रूगढ़ हनुमान बक्स सूरजमल कनोई महाविद्यालय, 14. डिब्रूगढ़ हनुमान बक्स सूरजमल कनोई, कानून महाविद्यालय, 15. मारवाड़ी हिन्दी हाई स्कूल, 16. मारवाड़ी हिन्दी प्राइमरी स्कूल (जालान नगर) 17. श्री अग्रसेन मिलन मन्दिर, 18. श्री राधाकृष्ण मन्दिर, 19. श्रीदेरगाँव मारवाड़ी पंचायत धर्मशाला (तीन मंजिली), 20. श्रीमारवाड़ी सत्यनारायण ठाकुरबाड़ी, 21. श्रीशिवलाल बाँयवाला बी.एड.कालेज, 22. सार्वजनिक हिंदी पुस्तकालय (दो मंजिल), 23. मारवाड़ी दातव्य औषधालय (होम्योपैथी), 24. शिशुभारती नामक अंग्रेजी बाल विद्यालय हेतु श्री मोहनलाल बाँयवाला द्वारा दो बीघा भूमि दान, 25. देरगाँव के लुकुमोय में उच्च विद्यालय हेतु श्रीजयनारायण काबरा द्वारा दो बीघा भूमि दान, 26. देरगाँव के रांगामाटी में मंदिर हेतु स्व. गणपतलाल काबरा द्वारा एक बीघा भूमि दान, 27. मारवाड़ी युवा मंच संगठन द्वारा समाज सेवा, 28. मारवाड़ी संमेलन की देरगाँव शाखा संचालित, 29. माहेश्वरी सभी की देरगाँव शाखा संचालित।


मणिपुर (इम्फाल):
1. चिकित्सा आवास भवन, 2. भगवानलाल पाटनी चिकित्सा आवास भवन (मणिपुर मेडिकल कालेज के पास), 3. मारवाड़ी धर्मशाला।


कानपुर:
1.राधाकृष्ण मन्दिर, कमला नगर, 2. कमलेश्वर मन्दिर, परमट, 3. द्वारिकाधीश मन्दिर, कमला नगर, 4. लाला लक्ष्मीपत सिंघानिया इन्स्टीट्यूट आँफ कार्डियोलाजी, गुरैया, 5. लाला कैलाशपत सिंघानिया इन्स्टीट्यूट आँफ मेडिसीन, मोतीझील, 6. लाला कमलपत मेमोरियल हास्पिटल, बिरहाना रोड, 7. जुहारी देवी कन्या महाविद्यालय, केनाल रोड, 8. जी.एन.के.इण्टर कालेज, सिविल लाइंस, 9. सर पद्मपत सिंघानिया एजुकेशन सेण्टर, 10. श्री मारवाड़ी पुस्तकालय तथा वाचनालय, बिरहाना रोड, 11. जे.के. इंस्टीट्यूट आँफ कैंसर रिसर्च।


भागलपुर:
1. मारवाड़ी महाविद्यालय, 2. यतिन्द्र नारायण आयुर्वेद महाविद्यालय, 3. मारवाड़ी पाठशाला, 4. बाल सुबोधिनी पाठशाला, 5. मारवाड़ी कन्या पाठशाला, 6. भजनाश्रम पाठशाला, 7. सरस्वती विद्या- शिशु मन्दिर, नाथनगर, 8. शारदा देवी झुनझुनवाला महाविद्यालय, 9. सरस्वती विद्या मन्दिर, 10. हनुमान विद्यालय, 11. रावतमल छात्रावास, 12.मोती मातृ सेवा सदन, 13. रुक्मिणी मातृ सेवा सदन, 14. जगदीश बुधिया नेत्र चिकित्सालय, 15. श्रीमती मन्नी बाई पोद्दार नेत्र चिकित्सालय, 16. जैन चिकित्सालय, 17. साह चिकित्सालय, 18. आनन्द चिकित्सालय, 19. महिला धर्म संघ, 20. सत्संग भवन, 21. स्व. देवी प्रसाद ढंढानिया धर्मशाला, 22. दिलसुख राम धर्मशाला, 23. डोकानिया धर्मशाला, 24. कमला कानोड़िया धर्मशाला, 25. टिबड़ेवाल धर्मशाला, 26. राणीसती धर्मशाला, 27. मारवाड़ी मण्डल धर्मशाला, 28. साह चैरिटेबुल ट्रस्ट, 29. जैन धर्मशाला (श्वेताम्बर), 30. जैन धर्मशाला (दिगम्बर), 31. अग्रसेन भवन धर्मशाला, 32. जिलोका धर्मशाला, 33. गोशाला, 34. मारवाड़ी सुधार समिति, 35. मारवाड़ी व्यायामशाला, 36. ज्ञानदीप (शैक्षणिक संस्थान)।


बिहार में मारवाड़ी समाज द्वारा स्थापित महाविद्यालय
1. मारवाड़ी कालेज, किशनगंज, 2. फारबिसगंज कालेज, 3. मोहन लाल जिलोका मेमोरियल कालेज, कटिहार, 4. टाटा कालेज, चाईबासा, 5. महिला कालेज, चाईबासा, 6. राजस्थान बिहार मन्दिर रात्रि कामर्स कालेज, गया, 7. ज्ञान चन्द जैन कामर्स कालेज, चाईबासा, 8. महिला महाविद्यालय, झरिया, 9. मारवाड़ी कालेज, दरभंगा, 10. जे.जे. कालेज, हजारीबाग, 11. चतरा कालेज, 12. झुमरीतलैया कालेज, 13. रामगढ़ कालेज, 14. एस. आर. के. गोयनका कालेज, सीतामढ़ी, 15. भरतिया महिला कालेज, पटना सिटी, 16. राम निरंजन दास संस्कृत महाविद्यालय, पटना सिटी, 17. एस. पी. जैन कालेज, सासाराम, 18. मारवाड़ी संस्कृत महाविद्यालय, मझौलिया, 19.मारवाड़ी संस्कृत महाविद्यालय, छपरा, 20. मझौलिया संस्कृत महाविद्यालय, मझौलिया, 21. गया कालेज (गोपीराम डालमिया), गया, 22. गिरीडीह कालेज (चान्दमल जी राजगढ़िया), गिरीडीह, 23. सहरसा कालेज (शंकर प्रसाद टेकरीवाल परिवार), सहरसा, 24.धरान मोरान नेपाल महाविद्यालय, नेपाल।


आन्ध्र प्रदेश (हैदराबाद):
1. मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, हश्मतगंज, 2. मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, हश्मतगंज, 3. मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, सिकन्दराबाद, 4. मारवाड़ी हिन्दी पुस्तकालय, कसार हट्टा, 5. राजस्थानी विद्यार्थी गृह, हैदराबाद, 6. राजा बहादुर सर बंसीलाल मोतीलाल हॉस्पीटल, हैदराबाद, 7. श्री जैन पुस्तकालय- वाचनालय, सिकन्दराबाद, 8. सुख भवन, चारकमान, 9. राम भवन, घांसी बाजार, 10. हरि भवन, काली कमान, 11. भानमल लूणिया धर्मशाला, हनुमान टेड़ी, 12. श्री महावीर जैन छात्रालय, हनुमान टेड़ी, 13. अग्रवाल सेवा समिति, गांधी नगर, 14. राम प्रताप कन्हैयालाल पित्ती धर्मशाला, 15. जगदीश कन्या पाठशाला, महबूबगंज, 16. राजाबहादुर सर बंसीलाल बालिका विद्यालय, 17. गुरुकुल घटकेश्वर (पुस्तकालय, गोशाला), 18. सनातन धर्मशाला, बेगम बाजार, 19. मारवाड़ी हिन्दी विद्यालय, बेगम बाजार, 20. ज्ञान प्रकाश पुस्तकालय, उर्दू शरीफ, 21. एस.एस.जैन विद्यालय, सिकन्दराबाद, 22. शांतिलाल जैन के. जी. एण्ड प्राइमरी स्कूल, 23. वैदिक वाचनालय, गांधी नगर, 24. मदन भवन, चारकमान, 25. पूनमचन्द गांधी जैन धर्मशाला, काचीमुड़ा स्टेशन, 26. बंसीलाल भवन, आफजलगंज, 27. महावीर जैन पुस्तकालय, हबीरपुरा, 28. बाल विद्या मन्दिर, शमशेर गंज, 29. घासीलाल तोषनीवाल भवन, शमशेरगंज, 30. श्री अम्बा सदन, गोविन्दवाड़ी, 31. शिव भवन, चारकमान, 32. शिवनाथ दरक स्मारक विद्यालय, दारुलशफा, 33. श्री माहेश्वरी भवन, बेगम बाजार, 34. श्री सिखपाल सेवा संघ भवन, फीलखाना, 35. राम गोपाल बाहेती भवन, सिद्धि अम्बर बाजार, 36. लक्ष्मी बाल पुस्तकालय, चारकमान, 37. साधना मन्दिर, बोलाराम, 38. शिवदत्त राय हाई स्कूल, लाड़ बाजार, 39. अग्रवाल सभा भवन, सिद्ध अम्बर बाजार, 40. जगदीश भवन, गांधी नगर, 41. अग्रसेन वाचनालाय, सिद्ध अम्बर बाजार, 42. राजस्थानी नवयुवक मण्डल पुस्तकालय, कबूतरखाना, 43. रुपचन्द मेघाज कोचर भवन, 44. जैन भवन, महाराजगंज, 45. राजस्थान भवन ट्रस्ट, 46. श्री पद्मश्री नैनसी भवन ट्रस्ट, 47. श्री रामनाथ आश्रम ट्रस्ट, 48. हरि प्रसाद स्मारक अस्पताल, पत्थर गट्टी, 49. गोपीकृष्ण मलाणी भवन ट्रस्ट, 50. राजस्थानी हिन्दी पुस्तकालय, बेगम बाजार, 51. बद्रुका वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय, 52. अमृत कपाड़िया नवजी वन वीमेन्स कालेज, 53. चाचा नेहरु बाल केन्द्र एवं फिल्म सेन्टर, 54. शिशु सुरक्षा केन्द्र, 55. नवजीवन बालिका विद्यालय, 56. श्री कृष्ण मोरक्षिणी सभा (गोशाला), 57. अग्रवाल शिक्षा समिति भवन, 58. शंकर लाल धनराज सिंगनोदिया महिला कला महाविद्यालय, पत्थरागट्टी 59. श्री सत्यनारायण मन्दिर, गुंटुर, 60. श्री महावीर जैन विद्यालय व स्थानक, गोशाला, 61. अग्रवाल शिक्षा समिति के अन्तर्गत चलने वाले संस्थान, 1. अग्रवाल हाई स्कूल, 2. अग्रवाल जूनियर कालेज, 3. अग्रवाल बालिका विद्यालय हाई स्कूल, 4. अग्रवाल बालिका जूनियर कालेज, 5. नानकराम भगवानदास विज्ञान महाविद्यालय, 6. अग्रवाल विज्ञान एवं वाणिज्य सायंकालीन महाविद्यालय, 62. श्रीराम हिन्दी भवन (हैदराबाद हिन्दी प्रचार सभा), 63. श्री वेंकटेश्वर मन्दिर भवन, चारकमान, 64. हरिचरण मारवाड़ी हिन्दी विद्यालय, निजामाबाद, 65. राजस्थानी भवन, निजामाबाद, 66. श्रीमती अशरफ देवी अग्रवाल जूनियर महाविद्यालय, निजामाबाद, 67. श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर, मंचरियाल, 68. पन्नालाल हीरालाल हिन्दी विद्यालय, बीदर, 69. राजस्थान सेवा भवन, सिरपुर-कागजनगर, 70. राजस्थानी विद्यार्थी गृह, नान्देड़, औरंगाबाद, विजयवाड़ा, 71. मारवाड़ी पंचायत भवन (धर्मशाला), आदिलाबाद, 72. राष्ट्रभाषा हिन्दी विद्यालय, मंचरियाल,
73. श्री मारवाड़ी राजस्थान शिक्षण संस्था, लातूर के अन्तर्गत चलने वाले शिक्षण संस्थान:
1. श्री मारवाड़ी राजस्थान बहुउद्देशीय विद्यालय, 2. श्री गोदावरी देवी लाहोटी कन्या विद्यालय-दो शाखाएं, 3. श्री सूरजमल लाहोटी पाठशाला, 4. एस.टी.सी. इन्स्टीट्यूट
74. मारवाड़ी युवक वाचनालय, लातूर,
75. जालना एजुकेशन सोसायटी, जालना के अन्तर्गत चलने वाली संस्थायें:
1. आर.जी. बगड़िया आट्र्स कालेज, 2. एस.वी. लाखोटिया कामर्स कालेज, 3. आर. वंसजी साइन्स कालेज एवं 4. श्रीमती राम प्यारी बाई बंसीलाल जी लाखोटिया डिपार्टमेंट आँफ पोस्ट ग्रेज्युएट टीचिंग संस्थान, 76. राष्ट्रीय हिन्दी विद्यालय, जालना, 77. श्रीमती दान कंवर देवी कन्या विद्यालय हाई स्कूल, जालना, 78. महावीर स्थानक वासी जैन विद्यालय, जालना, 79. हिन्दी प्राथमिक पाठशाला, बारंगल, 80. राजस्थानी सेवा समाज भवन, सिरपुर कागजनगर, 81. हनुमान मन्दिर, आदिलाबाद, जलगांव, पेट्टापल्ली, 82. राजस्थानी रिलीफ सोसायटी, रामावरम।
-: सूची में सुधार हेतु लिखें:-


शम्भु चौधरी, एफ.डी. 453, साल्टलेक सिटी, कलकत्ता- 700106



मारवाड़ी अस्पताल ‘वाराणसी’

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आज से 90 वर्ष पूर्व सन् 1916 में कोलकाता के कानोड़िया परिवार द्वारा मारवाड़ी अस्पताल का शिलान्यास व उद्घाटन तत्कालीन गर्वनर सर जेम्स वेस्टन ने 12 अगस्त 1916 को किया गया। अस्पताल के लिए स्थान का चयन बड़ी दूरदर्शिता से काशी आने वाले पर्यटक एवं यात्रियों का मुख्य आकर्षण माँ गंगा का दर्शन एवं स्नान तथा बाबा भोलेनाथ का दर्शनपूजन को ध्यान में रख कर किया गया। काशी शहर में व्यस्ततम चैराहे गोदौलिया पर स्थित अस्पताल माँ गंगा व भोलेनाथ से पाँच मिनट की दूरी पर है। संस्थापकों की ऐसी मान्यता थी कि अगर मर्ज है तो उसका इलाज भी है। निदान विधि भिन्न हो सकती है। अतः ऐलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेद विभाग की स्थापना सन् 1921 में की गई तत्पश्चात् 1936 में होम्योपैथी विभाग की स्थापना की गई। मरीजों को शुद्ध एवं प्रमाणिक आयुर्वेदिक दवा प्राप्त हो इसके उद्देश्य से निर्माण शाला की स्थापना की गई। जिसमें योग्य वैद्यों की निगरानी में शत् प्रतिशत शुद्ध दवाओं का निर्माण होता है। अतः यहाँ मर्ज ठीक करने वाली तीनों विधाएँ उपलब्ध हैं।
अस्पताल में प्रातः दूध एवं बिस्कुट तथा दोपहर एवं शाम को पवित्रता से बना हुआ सुपाच्य गरम भोजन ही रोगियों को निःशुल्क दिया जाता है और साथियों को मात्र 10/- रुपये में।
इस चिकित्सा संस्थान ने आजादी के पहले स्वंत्रता संग्राम सेनानियों की निर्भीकता से चिकित्सा सेवा की जबकि उनकी चिकित्सा करना अंग्रेजों की नजर में अपराध माना जाता था।
भारत के प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1964 में अस्पताल के महिला एवं बाल चिकित्सा विभाग का उद्घाटन किया एवं विभिन्न अवसरों पर देश के शीर्ष नेतागण डॉ. सम्पूर्णानन्द, डॉ. रघुनाथ सिंह, श्री श्रीप्रकाश जी, श्री मोहन लाल सुखाड़िया, श्री दाऊदयाल खन्न, श्री चन्द्रभान गुप्ता आदि ने अस्पताल में पधार कर इसके विकास में अमूल्य योगदान किया। पं. कमलापति त्रिपाठी जी का उपाध्यक्ष के रूप में अन्तिम सांस तक अस्पताल के उत्थान में पूरा मार्गदर्शन एवं योगदान मिला। सेवा क्षेत्र में नये आयामों को प्राप्त करते हुए अपनी लम्बी सेवा अवधि में अस्पताल काफी उतार-चढ़ाव देखा फलस्वरूप संस्थापकों ने अस्पताल में नया संचार प्रदान करने हेतु नये ट्रस्ट बोर्ड एवं प्रबन्ध समिति गठन किया गया।


महाराजा अग्रसेन इन्टर कॉलेज, झरिया
विगत कई वर्षों से दशम उत्तीर्ण छात्राओं एवं इनके अभिभावकों के समक्ष एकादश में नामांकन की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। झरिया मारवाड़ी सम्मेलन ट्रस्ट द्वारा संचालित महिला महाविद्यालय की स्थापना के उपरान्त बालिकाओं एवं इनके अभिभावकों को बहुत बड़ी राहत मिली। इस विद्यालय में एकादश (इन्टर) से स्नातक तक केवल दो संकायों (वाणिज्य एवं कला) में ही एकमात्र छात्राओं के लिए ही शिक्षा की व्यवस्था है। विगत कई वर्षों से इस महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं को अन्य कॉलेजों से परीक्षा का फार्म भराये जाने के कारण तरह तरह की परेशानी हो रही थी। चूंकि इस महाविद्यालय की प्रबंध समिति द्वारा किसी बोर्ड अथवा विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त करने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही थी। किन्तु छात्रों के समक्ष इस प्रकार की शिक्षण संस्था का अभाव काफी खल रहा था, जहाँ महिला महाविद्यालय की भांति ही अन्य कोई दूसरा शिक्षण संस्थान विकल्प के रूप में हो, जहां छात्र भी दशम उत्तीर्णता के पश्चात छात्राओं की भांति ही एकादश में अपना नामांकन करा सकें। इन सारे बिन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए झरिया मारवाड़ी सम्मेलन ट्रस्ट कार्यसमिति के सदस्य सह बालिका मंदिर प्रबंध समिति के
अध्यक्ष श्री राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल द्वारा इस अहम मुद्धे को सम्मेलन कार्य समिति की बैठक में उठाते हुए अपने इस ट्रस्ट के अन्तर्गत यथाशीघ्र एक ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना पर जोर दिया जहां छात्र-छात्राओं को एकादश में मामांकना कराने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े तथा उक्त शिक्षण संस्थान में तीनों संकायों (वाणिज्य, कला एवं विज्ञान) की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था हो। विद्यालय प्रबंध समिति ने 14.12.2004 को झारखण्ड एकेडमिक कौंसिल, रांची से महाराजा अग्रसेन इन्टर कॉलेज के नाम से मान्यता प्राप्त करने की दिशा में आवश्यक प्रक्रियायें पूर्ण कर लेने के पश्चात उक्त कौंसिल कार्यालय रांची में आवेदन समर्पित कर दिया।
इस महाविद्यालय की स्थापना से झरिया मारवाड़ी सम्मेलन ट्रस्ट के इतिहास में एक नई लोकप्रिय शिक्षण संस्थान का नाम जुड़ जाने से सामाजिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में सम्मेलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है। यह समाज एवं सम्मेलन के लिए गौरव की बात है। इस कॉलेज के प्रारंभ किये जाने में कोलफिल्ड कॉलेज भागा के प्रोफेसर माननीय पी.के.गजरे का अहम योगदान रहा है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। प्रारंभ से ही इनका कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन इस कॉलेज को प्राप्त होता रहा है।


श्री माहेश्वरी विद्यालय, कोलकाता
लगभग 85 वर्ष पूर्व की बात है। वे शताब्दी की तरुणाई के दिन थे। सामाजिक जागरण के लिये बहुमुखी रचनात्मक कार्यों को संपन्न करने के लिए यत्र तत्र ऐसे धरातल निर्मित किये जा रहे थे, जहां आत्मविश्वास जी सके, आस्था पनप सके और स्वप्न फल फूल सके। इस दिशा में प्रयास करने वाले लोगों में माहेश्वरी जाति के कर्मठ पुरुष भी थे। जागृति की इसी भावना से बंगाल में सन् 1914 में माहेश्वरी सभा को प्रगति के नये आयाम देने का गुरुतर दायित्व रामकृष्णजी मोहता ने ग्रहण किया। उनमें माहेश्वरी जाति को शिखर पर देखने की महत्वाकांक्षा थी। एक बैठक में जब पुस्तकालय विषयक विचार विमर्श चल रहा था, उन्होंने प्रसंगवश एक बात प्रभावशाली तरीके से कही कि पहले पढ़ना तो सीख लें। ये गिने चुने शब्द उनकी वाणी से जिस कटु सत्य को लेकर प्रकट हुए। उससे उपस्थित जनों को गहन चिन्तन का विषय मिला। यह सत्य नकारने योग्य नहीं था। शिक्षा के लिए चाहिए विद्यालय और विद्यालय के लिए चाहिए साधन स्थान सहयोग और अटूट संकल्प मोहताजी ने अपने विचारों को सबसे पहले सभा के कर्मठ कर्णधार जुगल किशोरीजी बिड़ला के सामने रखा। उन्होंने भी इसका समर्थन किया परिणाम स्वरूप 24 मार्च 1916 ई. को सभा की एक बैठक बुलाई गयी, जिसमें विद्यालय की स्थापना का संकल्प विधिवत प्रस्ताव रूप में स्वीकृत किया गया। 5 मई 1916 को इसी अक्षय तृतीया के दिन रामानुज संप्रदाय के आचार्य व कांचीवरम् के पीठाधीश्वर श्रीमद अनताचार्य जी महाराज ने अपराह्न एक बजे गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में जगद्गुरू ने श्री माहेश्वरी विद्यालय को अपने आशीषों से अभिसिक्त करके उसका उद्घाटन किया।
18 फरवरी 1926 को कलकता विश्वविद्यालय से पुनःहाई स्कूल की मान्यता प्राप्त की गयी। अब स्थिति यह थी कि प्रतिवर्ष अनेक छात्रों को स्थानाभाव के कारण प्रवेश पाने से वंचित रहना पड़ता था। कार्यकर्तागण इस विषय में चिंतित थे। 1950 तक विद्यालय में उन्नीस सौ छात्र हो गये थे।
1950 के बाद एक नया दौर प्रारंभ हुआ। हाई स्कूल की परिपाटी समाप्त करके माध्यमिक शिक्षा के महत्व को प्रतिपादित किया जाने लगा। मुदालियर आयोग ने सिफारिश की कि इंटरमीडिएट शिक्षा समाप्त की जाये और उसे ऐंन्ट्रेंस के साथ मिश्रित किया जाये एवं उसे उच्चतर माध्यमिक परीक्षा का नाम दिया जाये। परिणामस्वरूप जनवरी 1955 में हिन्दी भाषी विद्यालयों में श्री माहेश्वरी विद्यालय को ही प्रथम बहुद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घोषित किया गया। यह निश्चय ही एक बड़ी उपलब्धि थी। विद्यालय की प्रबंध समिति ने सन् 1957 ई. में विज्ञान विभाग के लिए सामग्री खरीदी जिसमें बहुमूल्य उपकरण भी थे। इन विगत वर्षों में छात्रों की क्रमशः बढ़ती हुई संख्या पर नजर डालें तो विद्यालय की लोकप्रियता, उसकी उच्चस्तरीय शिक्षा और प्रगति का अनुमान लगाने में कोई कठिनाई नहीं होगी। सन् 1916 में मात्र पच्चीस छात्रों से शुरू होने वाली इस विद्यालय में पहली कक्षा से बारहवीं तक के लगभग पांच हजार छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं एवं 120 शिक्षक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
श्री माहेश्वरी विद्यालय न केवल पश्चिम बंगाल के हिन्दी भाषी विद्यालयों के सर्वोच्च आदर्शों का अपितु माहेश्वरी समाज की आदर्श संस्था माहेश्वरी सभा, कोलकाता के भी सर्वोच्च आदर्श का सफल प्रतिनिधित्व करता है। माहेश्वरी समाज द्वारा प्रतिष्ठित इस विद्यालय की अपने स्थापना काल से ही ऐतिहासिक एवं विशिष्ट परंपराएं रही हैं, जो उत्तरोत्तर विकसित होकर निखरती गयी हैं।


टांटिया हाईस्कूल
कोलकाता के हिन्दी भाषी जगत में अच्छे स्कूलों का अभाव रहा है, दो सैयद अली स्ट्रीट, कोलकाता-73 में स्थित टांटिया हाईस्कूल ने इस अभाव को दूर करने की एक ईमानदार कोशिश की है। सन् 1953 में बसंत पंचमी के दिन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. हरेन्द्र नाथ मुखर्जी ने इस स्कूल का शिलान्यास किया था। डॉ. मुखर्जी स्वयं एक शिक्षक थे। उनका जीवन संत व ऋषि जैसा था। पुण्यात्मा के हाथों स्कूल का शिलान्यास होना स्कूल के लिए शुभ होना था। स्कूल अनवरत उन्नति करता चला आया है।
एक वर्ष बाद जनवरी 1954 में 500 छात्रों को लेकर स्कूल बाकायदा खुल गया। आज 47 वर्ष बाद छात्रों की संख्या तिगुनी से भी अधिक लगभग 1800 और अध्यापक-अध्यापिकाओं की संख्या 61 हो गयी है।
टांटिया स्कूल की सफलता की एक कसौटी यह मानी जा सकती है। पश्चिम बंगाल बोर्ड की माध्यमिक परीक्षाओं में उसके छात्रों का परीक्षाफल कैसा रहा है। पिछले 50 वर्षों से स्कूल का परीक्षाफल 95 प्रतिशत से कभी कम नहीं रहा और हाल के दस वर्षों में तो यह शत प्रतिशत की सीमा तक पहुंच गया है। यही नहीं जो छात्र उत्तीर्ण हुए हैं उनमें से 60 प्रतिशत तक प्रथम श्रेणी में और बाकी द्वितीय श्रेणी में तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या नगण्य है।


मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी
227, रविन्द्र सरणी, कोलकाता - 700007, स्थित पांच तल्ला भवन
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उन्नीसवीं सदी में उद्दोग व्यापार में मारवाड़ियों का वर्चस्व बंगाल और खासकर कलकत्ता महानगर में कायम होने लगा। व्यापार उद्योग में अद्वितीय सफलता प्राप्त करने के साथ ही साथ उपार्जन और विसर्जन का अर्थात् परहित में धन का कुछ अंश लगाना अनिवार्य मानते थे एवं अपने जन्म स्थान में ही नहीं बल्कि अपने उद्योग व्यापार के क्षेत्र में भी अनेकों धर्मशालायें, स्कूल, कालेज एवं अस्पताल आदि का निर्माण किया। मारवाड़ी समाज में सार्वजनिक उपयोग की अनेकों संस्थायें कायम की उन्हीं एक कड़ियों में है मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी जिसका विकास क्रम विशाल वट वृक्ष की तरह उन्मुख होकर आज सेवा के विभिन्न आयामों की भूमिका में सन्निहित है। कलकत्ते के बड़ाबाजार अंचल में एक ऐसी घटना घटी कि मारवाड़ी सहायता समिति (जो बाद मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी बनी) की स्थापना का अवसर उपस्थित हो गया। कलकत्ते के बड़ाबाजार जन स्कूल क्षेत्र में एक व्यक्ति मकान से गिर पड़ा और उसे सांघातिक चोट लगी। कुछ व्यक्ति उस घायल व्यक्ति को लेकर चिकित्सा हेतु कई अस्पतालों में भटकते रहे, पर उसकी समुचित चिकित्सा की व्यवस्था नहीं हो पायी। उसी क्षण मन में एक विचार आया कि इस अंचल में एक अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिये जिससे भविष्य में इस प्रकार आकस्मिक दुर्घटनाओं के शिकार व्यक्तियों को भटकना न पड़े। इस कार्य को साकार रुप देने के लिये 2 मार्च 1913 को काटन स्ट्रीट स्थित जोड़ा कोठी की एक बैठक में जुगल किशोर बिड़ला, ओंकारमल सराफ, हरखचन्द मोहता के प्रयास से मारवाड़ी सहायता समिति नामक संस्था की स्थापना की। इस संस्था के प्रथम अध्यक्ष बने जुगल किशोर बिड़ला एवं प्रथम मंत्री बने ओंकारमल सराफ। इस संस्था का उद्देश्य सहायता करना एवं जन साधारण की सेवा करना रखा गया। अंग्रेजों के शासन काल में मारवाड़ी सहायक समिति के अधिकांश कार्यकर्ता ब्रिटिश सरकार के कोपभाजन बन गए। वे या तो नजरबंद हो गये या उन्हें कलकत्ते से निष्कासित कर दिया गया।
मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल (रानीगंज), मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी (कोलकाता) की एक शाखा है। रानीगंज शहर में अस्पताल की स्थापना की कल्पना जगन्नाथ झुनझुनवाला चैरिटी ट्रस्ट के तात्कालिक पदाधिकारियों ने की थी, जिन्होंने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए तात्कालीन ट्रस्ट की चल व अचल सम्पत्ति को सोसाइटी के नाम स्तानांतरित कर दिया। इस कल्पना को साकार रुप देने का श्रेय मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी (कलकत्ता) को है। प्रारम्भिक योजना के सहयोगी डॉ.स्व. जगन्नाथ बेरीवाल, स्व.नन्दलाल जालान, बनवारी लाल भालोटिया, श्री गोवर्द्धनलाल झुनझुनवाला, श्री चिरंजीलाल केजरीवाल, श्री गोविन्दराम खेतान, श्री जे.एन.गुप्ता एवं स्व. भानु प्रसाद खेतान के नाम विशेष उल्लेखनीय है।
रानीगंज अस्पताल की आधारशीला, दिनांक 28 मार्च 1961 को डॉ. विधानचन्द्र राय ने रखी। अस्पताल भवन का निर्माण कार्य दिनांक 2 अगस्त 1961 से सक्रिय रुप से चालू कर दिया गया जो 1963 तक निरन्तर चलता रहा एवं अप्रैल 1964 में अस्पताल जनता की सेवा के लिये खोल दिया गया। इस अस्पताल का विधिवत उद्घाटन 23 मार्च 1968 को श्री कृष्ण कुमार बिड़ला ने किया।


श्री विशुद्धानन्द सरस्वती मारवाड़ी अस्पताल
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स्वामी श्री विशुद्धानन्द सरस्वतीजी महाराज की प्रेरणा सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना से प्रेरित होकर हमारे पूर्वजों ने सन् 1919 में इस अस्पताल की स्थापना की। इस अस्पताल के संस्थापक थे डॉ.स्व. जुहारमलजी खेमका, डॉ.स्व. रामजीदासजी बाजोरिया, डॉ.स्व. रामेश्वर दासजी दुदवेवाला, डॉ.स्व.केशोरामजी पोद्दार, एवं चिमनलालजी गनेरीवाल। इन लोगों ने समाज के सभी वर्गों से सहयोग लेकर इस अस्पताल का निर्माण किया। सहयोग दाताओं की सूची आज भी अस्पताल में सूचनापट्ट पर अंकित है। उस वक्त अंग्रेजों के शासनकाल में कलकत्ते के बड़े अस्पतालों में श्री विशुद्धानन्द सरस्वती मारवाड़ी अस्पताल एक था। यह अस्पताल 118, अम्हस्ट्र स्ट्रीट (वर्तमान में राजा राममोहन राय सरणी) में करीबन 3 एकड़ जमीन पर स्थित है। इसके उत्तर भाग में केबिन एवं दवा विभाग, पश्चिम भाग में वातानुकूलित केबिन, रसायन, मलमूत्र परिक्षण विभाग, एवं मन्दिर तथा मध्य भाग में प्रशासनिक एवं अन्य समूचे विभाग अवस्थित है। इस अस्पताल में करीबन 200 रोगियों के इन्डोर इलाज की व्यवस्था है। इसके वार्ड में जितने खुले एवं हवादार कमरों की व्यवस्था है उतनी कलकत्ते के और अस्पतालों में नहीं है। जब से इस अस्पताल की स्थापना हुई तबसे डॉ.स्व. रामजीदासजी बाजोरिया, डॉ.स्व. केदारनाथजी पोद्दार नित्यप्रति रोगियों के समक्ष जाकर उनकी सुख सुविधाओं का ध्यान रखते थे, तत्पश्चात श्री पुरुषोत्तमजी पोद्दार एवं डॉ.स्व. पुरुषोत्तमजी हलवासिया ने यह भार संम्भाला एवं नित्यप्रति सेवा भाव से समर्पित होकर रोगियों के समक्ष जाने लगे। कतिपय कारणों की वजह से यह अस्पताल सन् 1981 से सन् 1983 तक बन्द रहा एवं तत्पश्चात् डॉ.स्व. पुरुषोत्तमदासजी हलवासिया के प्रसर प्रयत्नों से यह अस्पताल पुनः चालू हुआ जिसमें स्व. सत्यनारायणजी टांटिया अध्यक्ष एवं स्व. पुरुषोत्मजी हलवासिया मंत्री बने एवं यह अस्पताल सुचारु रुप से चलने लगा।
वर्तमान में इस अस्पताल के उत्तरी भाग में एक तिमंजिला मकान है जिसमें प्रथम मंजिल में 20 साधारण केबिन है। द्वितीय मंजिल में 20 स्पेशल केबिन है एवं तृतीय मंजिल में डिलक्स वातानुकूलित केबिन 20 है। अस्पताल के मध्य भाग में आउट डोर विभाग है जिसके अर्न्तगत सर्जीकल, मेडिकल, कैंसर, ओर्थोपेडिक, महिला चिकित्सा, डायविटिज कार्डियोलोजी, शिशु चिकित्सा, होमियोलोजी, आयुर्वेदिक एवं परिवार नियोजन विभाग है। इस आउट डोर विभाग में 80 से ऊपर डॉक्टर नित्यप्रति बैठते हैं। इसके प्रथम तल्ले पर पूर्ण आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति एवं यंत्रों से लैस 3 आपरेशन थियेटर है जिसमें एक ही समय में एक साथ 3 आपरेशन किया जाता है। साथ ही 25 बेडों से युक्त खुला हवादार सर्जीकल पुरुष वार्ड है एवं संलग्न 25 बेडों का मेडिकल पुरुष वार्ड भी है। इसी प्रथम तल्ले के पश्चिम भाग आई टी यु युनिट (इन्टेनसीन थेरेपी युनिट) अवस्थित जिसमें 10 बेड हैं एवं आधुनिक यन्त्रों से लैस है तथा सम्पूर्ण वातानुकूलित है। इसके दूसरी मंज़िल पर 25 बेडों का महिला सर्जीकल वार्ड एवं 25 बेडों का महिला मेडिकल वार्ड है। भवन के मध्य भाग में फूलों से लैस एक लान भी है। पश्चिमी भाग में रायबहादुर हजारीमल दुदवेवाला की धर्मपत्नी द्वारा निर्मित सत्यनारायण भगवान मन्दिर है, एवं शिव मन्दिर जहां सुबह एवं सायंकाल नित्यप्रति पूजा होती है। मंदिर के संलग्न रसायन विभाग है। यहां पर आयुर्वेदिक पद्धतियों के द्वारा शुद्ध आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण सुदक्ष निरीक्षकों की देखरेख में किया जाता है।


श्री मारवाड़ी दातव्य औषधालय, गुवाहाटी
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प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर, माँ कामख्या के आगोश में बसे असम प्रदेश को सदियों पूर्व मारवाड़ी समाज ने अपनी संपर्क
साधनों से विहीन एक अनजाने प्रदेश में अपने अथक श्रम, लगन के साथ न केवल स्वयं को स्थापित किया बल्कि प्रदेश को भी आर्थिक संबल प्रदान करने में सहयोग दिया। परोपकार, दानशीलता, और सेवाभाव मारवाड़ी समाज के वंशानुगत गुण रहे हैं, उन्हीं भावनाओं के परिणाम है आज सारे देश में मारवाड़ी समाज द्वारा स्थापित व संचालित अनगिनत संस्थायें कार्यरत है। श्री मारवाड़ी दातव्य औषधालय, गुवाहाटी (असम) उसी की एक कड़ी है श्री मारवाड़ी दातव्य औषधालय अपने जीवन के 95 साल पूरे कर चुका है। इन 9 दशकों का एक गौरवशाली इतिहास भी है। इस संस्था ने जहां लाखों पीड़ित मानवों को न सिर्फ सेवा की, साथ ही साथ इस दीर्घ काल में समाज में अपनी एक पहचान भी कायम की है। जहां औषधालय ने समय के अनुसार अपनी सेवाओं का विस्तार किया वहीं समाज के सहयोग से दो नये हॉस्पिटल का निर्माण कर यह प्रमाणित भी कर दिखाया कि असम का मारवाड़ी समाज भी व्यवसाय के साथ सेवा के क्षेत्र में भी अपनी अग्रणी भूमिका निभाने में देश के अन्य भाग से किसी भी तरह कमजोर नहीं है।
औषधालय का इतिहास-यह औषधालय बंगला तारीख 1 जेठ संवत् 1973 साल में स्थापित किया गया था जिसमें स्व.नागरमलजी केजड़ीवाल, स्व.लक्ष्मीनारायणजी लोहिया व स्व.कामख्यालालजी सीकरिया जी के नामों का विशेष उल्लेख मिलता है। संस्था के संक्षिप्त इतिहास से पता चलता है कि संवत् 1973 से लेकर संवत् 1976 तक इस औषधालय का कार्य स्व.कामख्यालालजी सीकरिया जी के व्यापारिक स्थल से चलता रहा प्रारम्भ में इसका नाम श्री श्री कमक्षा भगवती दातव्य मारवाड़ी औषधालय का उल्लेख मिलता है।
इस क्षेत्र में अस्पताल की प्रतिष्ठा का अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि केन्द्रीय सरकार के स्वास्थ और शिशु कल्याण विभाग द्वारा मारवाड़ी मेटरनिटी हॉस्पिटल को सर्वोत्तम शिशु मित्र के पुरस्कार से सम्मानित किया है। इस प्रसुतिगृह अस्पताल में शिशु मृत्युदर राष्ट्रीय औसत के समक्ष नगण्य ही नहीं, प्रायः शून्य ही माना जाएगा।
मारवाड़ी मेटरनिटी हॉस्पिटल की सफलता ने समाज के कई लोगों को प्रभावित किया। जिसका परिणाम रहा संस्था की एक ओर एक संतान। मारवाड़ी हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर स्व. हरिबक्स जी नन्दलाल जी खाकोलिया द्वारा प्रदत्त भूमि पर आज मारवाड़ी हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर स्थित है। पूर्व संयुक्तमंत्री श्री किशनलाल बीदासरिया ने इस भूदान हेतु एक सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया था। स्व. बेणी प्रसाद शर्मा एवं उनके कई सहयोगियों के नेतृत्व में उपरोक्त भूमि पर बहुमंजिला भवन के निर्माण की आधारशिला रखी गयी एवं निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। तत्कालीन महामंत्री श्री लोकनाथ मोर, जो वर्तमान में संस्था के अध्यक्ष हैं का पूर्ण सहयोग रहा। इस निर्माण कार्य में चार वर्ष का समय लगा। श्री प्रमोद सराफ, श्री सज्जन जैन एवं अनेकों सहयोगियों के सहनेतृत्व में इस भवन के कार्यों को पूरा किया गया।


गुवाहाटी गोशाला असम का ऐतिहासिक धरोहर
गाय की महत्ता, उसकी सेवा से प्राप्त आशीर्वाद जीवन को सुखमय बनाते हैं। इन्हीं सब बातों से प्रेरणा लेकर श्री गुवाहाटी गोशाला की स्थापना हुई थी। आज श्री गुवाहाटी गोशाला भारत की ऐतिहासिक गोशालाओं में आज भी सर्वोपरि है। गोशाला के वर्तमान मंत्री श्री जयप्रकाश गोयनका के अनुसार सन् 1916 में स्थापित गुवाहाटी पिंजरापोल (वर्तमान में गुवाहाटी गोशाला) की स्थापना के लिये सबसे पहले यहाँ का अग्रवाल समाज आगे आया। भूमिदाताओं में सर्वश्री हुकमीचन्दजी, रामरिखदासजी अजितसरिया (गुवाहाटी), लालचन्दजी कन्हीरामजी चैधरी (कोलकाता), रामलालजी लालचन्दजी गोयनका (गुवाहाटी), हुकमीचन्दजी बशेशरलाल अजितसरिया (गुवाहाटी) प्रमुख थे। उपरोक्त कोलकाता वाले चौधरियों ने मालीगाँव गोशाला की जमीन दी थी यह जानकारी मुझे श्री पुरुषोत्तमजी अजितसरिया से प्राप्त हुई।
इस गोशाला में कुल छोटे-बड़े बछड़े गायें, सांड आदि मिलाकर 1360 गो वंश हैं। 300 गऊएँ बीमार अपंग तथा बृहत गो वंशों की मालीगाँव गोशाला में गोशाला के निजी डाक्टर, तीन कम्पाउन्डरों द्वारा चिकित्सा सेवा भी की जाती है। गोशाला में दुधारु गायों द्वारा 1300 लीटर दूध उत्पादन होता है जो 1/2-1/2 लीटर के कूपनों द्वारा छोटे-छोटे परिवारों में उचित मूल्य पर वितरित किया जाता है।
गोशाला की निजी Water supply तथा पावरफुल जेनेरेटिंग रूम है तथा खेड़-घास आदि लाने के लिये, गोबर ढोने के लिये निजी ट्रकें, ट्रेक्टर, ट्रेलर, गाड़ियाँ आदि हैं। यह सब पूर्ण व्यवस्थित रूप से कमिटि द्वारा संचालित होता है।


बड़ाबाजार लाइब्रेरी
10-1-1, सैयद साली लेन, कोलकाता-700073
पं0 केशवप्रसाद मिश्र ने सन् 1900 ई. में बड़ाबाजार लाइब्रोरी के नाम से कलकत्ता के हिन्दी भाषियों की प्रथम संस्था का बीजारोपण किया एवं इसके प्रथम मंत्री बने। इम्पीरियल लाइब्रेरी (अब नेशनल लाइब्रेरी ) का जन्म तो इसके दो वर्ष बाद हुआ। बड़ाबाजार लाइब्रेरी की स्थापना में उस समय के साहित्यिक दिग्गज पण्डित प्रवर गोविन्द नारायण मिश्र, पं0 छोटूलाल मिश्र, पं0 दुर्गाप्रसाद मिश्र, लक्ष्मीनारायण बर्मन एवं पं0 कालीप्रसाद तिवारी आदि का भरपूर सहयोग था। इसकी स्थापना के अवसर पर बंगाल के लेफ्टीनेंट गवर्नर सर जोह्न वुड बने स्वयं उपस्थित हुए थे एवं हिन्दी प्रेमी बंगाली सर गुरदास बनर्जी एवं जस्टिस शारदा चरण मित्र इसकी साहित्यिक सभाओं में बराबर भाग लेते थे एवं हिन्दी को प्रोत्साहित करते रहते थे।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एवं महाकवि निराला का भी इस पुस्तकालय से घनिष्ट सम्बन्ध रहा। 1912 इं0 मे हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अखिल भारतीय अधिवेशन इसी के प्रयत्न से कोलकाता में हुआ।
आरंभ में इसकी स्थापना हरीसन रोड (अब महात्मा
गांधी रोड) के पारख कोठी के पास के कटरे में की गई एवं कई स्थानों पर स्थानान्तरित होते हुए जब घनश्यामदासजी बिड़ला इसके संरक्षक बने तो उन्होंने अपनी बनाई ब्राह्मण बाड़ी (10-1-1 सैयद साली लेन) का एक भाग पुस्तकालय को निःशुल्क प्रदान कर दिया और कुछ वर्ष पूर्व तो पूरा भवन ही इसे दे दिया है। आडी बांसतल्ला में लाइब्रेरी की शाखा हेतु भी बिड़ला परिवार ने ही काफी बड़ा स्थान इसे निःशुल्क प्रदान कर रखा है जहां विशेषतः उच्चस्तर शिक्षा के पाठ्यक्रम का केन्द्र चलता है।
विविध साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ सी.ए. एवं कम्पनी सेक्रेटरी जैसे उच्चस्तर शिक्षा के कार्यक्रम तीन स्थानों पर संचालित हो रहे हैं। लगभग 1500 विद्यार्थी इसका लाभ उठा चुके हैं।
इधर के तीन दशकों में आचार्य विष्णुकान्त शास्त्रीजी का पूरा मार्ग दर्शन मिला। पांच वर्ष पूर्व उनके देहावासन के बाद उनकी स्मृति में लाइब्रेरी में एक सभागार भी स्थापित किया गया। पुस्तकालय के रजत, स्वर्ण, कौस्तुभ एवं शताब्दी समारोहों में देश के श्रेष्ठ विद्वान सम्मिलित हुए। समय-समय पर साहित्यिक एवं राष्ट्रीय चेतना के विषयों पर गोष्ठियां भी आयोजित की जाती हैं।
लाइब्रेरी में वर्तमान में 25 हजार के लगभग पुस्तकें हैं। इसके 266 आजीवन, 570 साधारण 233 सहायक एवं 4000 के लगभग विद्यार्थी सदस्य हैं। इसका वाचनालय भी पत्र-पत्रिकाओं से समृद्ध हैं।
इसकी वर्तमान कार्यसमिति में विशिष्ट साहित्यिक एवं सेवाभावी कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं। इनमें प्रमुख हैं सर्वश्री विमल लाठ, डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, नेमचन्द कन्दोई, जुगलकिशोर जैथलिया, महावीर प्रसाद अग्रवाल, जयगोपाल गुप्ता, अशोक गुप्ता, अरुण मल्लावत एवं कुसुम लूंडिया एडवोकेट प्रस्तुति।


श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय
1-सी, मदन मोहन बर्मन स्ट्रीट (1 तल्ला), कोलकाता-700007
संक्षिप्त परिचय:
अपनी साहित्यिक गतिविधियों, अनूठे साहित्यिक प्रकाशनों एवं राष्ट्रीय स्तर के दो पुरस्कारों (सम्मानों) के लिए देश भर में सुप्रसिद्ध श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की स्थापना सन् 1916 ई. में बालसभा के रुप में वरिष्ठ समाजसेवी एवं स्वतन्त्रता सेनानी श्री राधाकृष्ण नेवटिया ने की एवं दो वर्ष पश्चात् इसका नाम बालसभा से बदलकर कुमारसभा कर दिया। तबसे यह संस्था निरन्तर गतिशील हैं।
1920 के आसपास स्वदेशी आन्दोलन से अनुप्राणित होकर यह संस्था विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार, चरखा आन्दोलन एवं राष्ट्रीय शिक्षा की विभिन्न गतिविधियों तथा राष्ट्रीय जागरण के साहित्य प्रकाशन की केन्द्र बनी, साथ ही इसके कार्यकर्ता बालविवाह, मृतकभोज एवं विधवा विवाह निषेध की रुढ़ियों के विरुद्ध भी संघर्ष में आगे रहे। 1928 ई. में ब्रिटिश पुलिस के अत्याचारों के विरुद्ध मिट्टी के मॉडलों का एक प्रदर्शनी लगाई जिसका उद्धघाटन नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने किया।
1975 ई. में आपातकाल के विरुद्ध जनजागरण का शंखनाद करते हुए हल्दीघाटी शताब्दी समारोह एवं वीर रस काल सन्ध्या के माध्यम से तानाशाही को ललकारा एवं उससे उत्पन्न कष्टों को कलकार बदलने तक सहा। 1987 ई. में राष्ट्रीय स्तर पर सेवाभावी कार्यकर्ताओं का सम्मान करने हेतु स्वामी विवेकानन्द सेवा सम्मान एवं 1990 ई. में सांस्कृतिक मेधा सम्पन्न व्यक्तियों को सम्मानित करने हेतु डॉ.हेडगंवार प्रज्ञा सम्मान प्रांरभ किये जो लगातार प्रतिवर्ष दिये जाते हैं।
1994 ई. में अपने 75 वर्ष पूरे होने पर कौस्तुभ जयन्ती वर्ष में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी के एकल काव्य पाठ ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया एवं उसी वर्ष स्वदेशी विषयक समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर सहित देश के शीर्ष चिन्तकों ने अपने विचार रखे। इस क्रम में आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री के द्वारा ईशोपनिषद एवं भगवत् गीता पर मासिक प्रवचन का कार्यक्रम प्रांरभ हुआ जो लागातार 6 वर्ष चला एवं प्रवचन पुस्तकाकार भी छपे एवं प्रशंसित हुए।
कुमारसभा ने महापुरुषों के जीवन एवं महत्व की राष्ट्रीय घटनाओं पर संग्रहणीय स्मृतिकायें एवं दर्जनों पुस्तकें भी प्रकाशित की। आज भी यह पुस्तकालय साहित्यिक गतिविधियों के केन्द्र के रुप में देश भर में विख्यात है।
इसमें 22 हजार से अधिक हिन्दी पुस्तकें है एवं सौ के लगभग पत्र पत्रिकाओं से इसका वाचनालय समृद्ध हैं। आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री इससे सदैव जुड़े रहे एवं मार्गदर्शक रहे।
वर्तमान में सर्वश्री जुगलकिशोर जैथलिया, विमल लाठ, डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, महावीर बजाज, नन्दकुमार लढ़ा, अरुण प्रकाश मल्लावत, दाऊलाल कोठारी एवं दुर्गा व्यास प्रभूति कार्यकर्ता के रुप में सक्रिय हैं।


बालिका विद्या मन्दिर, झरिया
बालिका विद्या मंदिर झरिया के इतिहास में श्रीमती काशीबाई पढ़ियार का नाम चिरस्मरणीय रहेगा। इनके द्वारा प्रदत्त जमीन पर इस संस्था का भव्य भवन सर ऊँचा किये खड़ा है। छठे दशक के प्रारंभ में झरिया की श्रीमती काशीबाई ने अपने स्वर्गीय पति रतिलाल नानजी पढ़ियार की पुण्य स्मृति में नारी शिक्षा हेतु दस कट्ठा जमीन लोक शिक्षा समाज को प्रदान की। लोक शिक्षा समाज ने स्थानीय दानी-मानी सज्जनों के आर्थिक सहयोग से इस भूमि पर एक भव्य तिमंजिले भवन का निर्माण पूर्ण कराकर मारवाड़ी सम्मेलन, झरिया को सौंप दिया। मारवाड़ी सम्मेलन ने इस भवन में दिनांक 1.1.1961 से बालिका विद्या मन्दिर का संचालन प्रारंभ किया। कालक्रम से विद्यालय की लोकप्रियता के साथ-साथ छात्राओं की संख्या बढ़ती गई, जिसके कारण उक्त विद्यालय भवन में सुचारू रूप से अध्यापन और पाठ्येत्तर कार्यक्रमों के संचालन में स्थानाभाव की समस्या खलने लगी।
दिनांक 7.2.2002 को विद्यालय से सटी तीन कट्ठा जमीन श्रीमती तारा देवी पत्नी स्व.श्रवण अग्रवाल से खरीद कर विद्यालय के चाहरदिवारी के भीतर लिया गया। आज उक्त जमीन पर सुन्दर एवं आकर्षक बगीचा बना हुआ है। जिसके चारों ओर तरह-तरह के फूल, पौधे एवं गमले गलाए गये हैं। विगत कई वर्षों से प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त एवं 26 जनवरी के समारोह के अवसर पर उक्त जमीन पर ही झण्डोत्तोंलन का कार्यक्रम संपादित कराया जाता है।


माहेश्वरी पुस्तकालय
माहेश्वरी भवन, 4, शोभाराम बैशाख स्ट्रीट, कोल-7
माहेश्वरी पुस्तकालय की स्थापना 8 अगस्त 1914 ई. को 20 बाँसतल्ला स्ट्रीट में हुई। बड़ाबाजार लाईब्रेरी (1900 ई.) के बाद इस अंचल का यह दूसरा पुस्तकालय प्रारम्भ हुआ। सात वर्ष बाद इसे 4, शोभाराम बैशाख स्ट्रीट में माहेश्वरी सभा भवन में स्थानान्तरित किया गया, जो अभी तक उसी स्थान पर चल रहा है।
इसकी रजत जयन्ती 1943 ई., स्वर्ण जयन्ती 1966 ई., हीरक जयन्ती 1975 ई. व अमृत महोत्सव 1991 ई. में उत्साह पूर्वक मना चुके हैं। इसमें 22 हजार के लगभग पुस्तकों के अलावा बीसों पुरानी पत्रिकाएँ फाइलें भी शोधार्थियों हेतु उपलब्ध हैं।
वर्तमान में सोलह हिन्दी, अंग्रेजी अखबार व पच्चीस पत्रिका पढ़ने हेतु उपलब्ध हैं।
दाऊलाल कोठारी (सभापति), बलदेवदास बाहेती (उप-सभापति), अशोक कुमार सोनी (मंत्री), शिवकुमार बिन्नानी (उप-मंत्री), मदनमोहन कोठारी (कोषाध्यक्ष)।
कार्यकारिणी सदस्य: अरुण कुमार सोनी, आनन्द पचीसिया, संजय कुमार बिन्नानी, मनोज कुमार लाहोटी, मनोज कुमार झँवर, गोपालदास कोठारी।
सदस्य प्रतिनिधि: मनमोहन सोनी, नवरतन झँवर, गोपालदास लाखोटिया, किशन कुमार भंडारी, मदन मोहन कोठारी, लक्ष्मीनारायण सोनी, पदेन मंत्री, नरेन्द्र कुमार करनानी, सभा प्रतिनिधि।

सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय
186, चित्तरंजन एवंन्यू, कोलकाता-700007
सेठ सूरजमल जालान स्मृति भवन के अन्तर्गत सेठ सूरजमल जालान ट्रस्ट द्वारा संचालित सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय की स्थापना सेठ मोहनलाल जालान द्वारा सन् 1941 ई. में की गयी थी। आज यह कोलकाता का ही नहीं अपितु पूर्वी भारत के हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य के श्रेष्ठतम पुस्तकालयों में से एक है। पुस्तकालय में शोधकर्ताओं के लिए विशेष व्यवस्था है। वाचनालय में बाल-विभाग की भी सुव्यवस्था है, जिसमें सत्-साहित्य के द्वारा बालकों के आदर्श चरित्र निर्माण का प्रयास किया जाता है।
पुस्तकालय में संस्कृत, हिन्दी, राजस्थानी, अंग्रेजी तथा हस्तलिखित कुल 31870 पुस्तकें हैं। दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक एवं त्रैमासिक कुल 75 पत्र-पत्रिकाएँ नियमित आती हैं। साधारण एवं आजीवन सदस्यों की कुल संख्या 1222 हैं।
पुस्तकालय कार्यकारिणी समिति-श्री तुलाराम जालान-अध्यक्ष, श्री सागरमल गुप्त-मंत्री, श्री बजरंग प्रसाद जालान-सदस्य, श्री जुगलकिशोर जैथलिया-सदस्य, डॉ.प्रेमशंकर त्रिपाठी-सदस्य, श्री विश्वम्भर नेवर-सदस्य, श्री अरुण प्रकाश मल्लावत-सदस्य, श्री विधुशेखर शास्त्री-सदस्य, एवं श्रीमती दुर्गा व्यास-सदस्य।
लगभग 60 से अधिक वर्षों से पुस्तकालय के तत्वावधान में तुलसी जयंती समारोह प्रति वर्ष भव्य रुप से संपन्न होता रहा है। इस आयोजन को देश के लगभग सभी शीर्षस्थ विद्वानों ने संबोधित किया है।

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का संक्षिप्त इतिहास

(सन् 1935 से 2008 तक) - शम्भु चौधरी


मारवाड़ी सम्मेलन की स्थापना सन् 1935 में हुई थी। यद्यपि समाज के विभिन्न वर्गो के, जैसे-अग्रवाल, माहेश्वरी, ओसवाल, खण्डेवाल, विजयवर्गीय, ब्राह्मण, राजपूत-आदि के अपने बड़े या छोटे संगठन थे, जो प्रधानतः व्यापारिक एवं रुढ़िगत सामाजिक हितों की सुरक्षा के लिए सचेष्ट रहते थे, लेकिन दूसरी ओर समाज में ऐसे युवकों का प्रादुर्भाव होना प्रारम्भ हो गया था जो रुढ़िगत मान्यताओं को समाज के विकास के लिए हानिकारक मानते थे। अतः इनमें से कुछ संस्थाओं में ऐसे दल भी बन गये थे जो सुधारक की संज्ञा से परिचित होने लगे थे जबकि बाकी सबको सनातनी दल का अनुयायी कहा जाता था।

सम्मेलन की पृष्ठ भूमि:
I.D.Jalan


स्व.ईश्वरदास जालान, सम्मेलन के प्राण-पुरुष

बाद में जब देश में प्रगतिशीलता की हवा बहने लगी तो उनमें संघर्ष भी होने लगे, याने सनातनी दल और सुधारक दल दोनों में तीव्र संघर्ष होने लगा था। पर यह मानना होगा कि सनातनी दल का ही सभी सभाओं और संगठनों में अधिक महत्व था। बूढ़े और बुजुर्ग लोग सभी संस्थाओं पर हावी थे और वे हर तरह से जातियों की अग्र गति में बाधक थे। कलकत्ता उस समय भी सारे मारवाड़ी समाज की एक तरह से राजधानी ही था। यहाँ का मारवाड़ी एसोसिएशन मारवाड़ी समाज के हितों की रक्षा करनेवाली बड़ी संस्था थी। किसी जमाने में उसको अंग्रेजी सरकार का सम्भल भी प्राप्त था, जिसका उदाहरण था कि केन्द्रीय विधानसभा में एक प्रतिनिधि भेजने का उसे अधिकार था। जो लोग आज की राजनैतिक इकाइयों- राजस्थान और हरियाणा आदि से यहां आये और व्यापार- उद्योग में उन्नति की वे ही इन एसोसिएशनों आदि के सर्वेसर्वा थे। जो लोग इनसे बहुत वर्षों पहले यहाँ आकर बस गये थे, खास तौर से अजीमगंज और जियागंज में, वे एक प्रकार से न पूरे मारवाड़ी थे और न पूरे बंगाली। उनकी भाषा राजस्थानी होते हुए भी बंगला से बहुत प्रभावित थी।

समाज से बहिष्कृतः
मारवाड़ी समाज में सामाजिक विभेदों की शुरुआत सबसे पहले उस समय हुई, जब समाज के पढ़े-लिखे दो युवक-इन्द्रचन्दजी दुधोड़िया और इन्द्रचन्दजी नाहटा- विलायत यात्रा से 1890 में वापस आये। सनातनी दल ने उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया और उन्हें वापस विलायत लौटना पड़ा। उस समय से पढ़े-लिखे नवयुवकों में जो खलबली मची उसने धीरे-धीरे समाज सुधार का बीज बोया।
सन् 1901 में श्री विशुद्धानन्द सरस्वती विद्यालय के शिलान्यास के समय श्री कालीप्रसादजी खेतान को विलायत भेजने की घोषणा का स्वागत तो हुआ, लेकिन रसोइयाँ को अपने साथ ले जाने के उपरान्त भी जब वे कलकत्ता आए, तो उन्हें जाति बहिष्कृत कर दिया गया और उन्हें एक प्रकार के प्रायश्चित की पद्धति से गुजरना पड़ा। इस घटना ने भी युवकों की सोचने की प्रक्रिया को अधिक तीव्र किया।
धीरे-धीरे सनातनी और सुधारक दलों का मत-पार्थक्य युवकों के अन्य सुधारवादी कदमों को लेकर उभरता रहा। सन् 1926 में नागरमलजी लिल्हा द्वारा किया गया, विधवा-विवाह एवं रामेश्वरजी बिड़ला द्वारा अपने से नीची खांप में किया गया विवाह, इस विभेद को एक बड़े रुप में उभार कर लाया। परिणाम स्वरुप जमुनालालजी बजाज द्वारा स्थापित की गयी अखिल भारतीय अग्रवाल महासभा का अधिवेशन जब कलकत्ता में सन् 1926 में केशरदेव जी नेवटिया के सभापतित्व में हुआ तो नागरमलजी लिल्हा के विधवा-विवाह को लेकर उस अधिवेशन में भयंकर दल-दल फैला और समाज के 12 व्यक्तियों को समाज से बहिष्कृत किया गया।

वोट का अधिकार:
इसी बीच महात्मा गाँधी के आन्दोलन के फलस्वरुप सन् 1935 का भारत विधेयक आया। उसके सम्बन्ध में ब्रिटिश सरकार ने जो ह्नाइट पेपर प्रकाशित किया था उसमें, जैसा कि स्व0 ईश्वरदास जालान ने लिखा- ‘‘नवीन विधान की रुप-रेखा में ऐसा संकेत किया गया था, जो देशी राज्यों की प्रजा है उसे ब्रिटीश राज्य की प्रजा के नागरिक अधिकार नहीं दिये जायेंगे। जब मैंने उसे पढ़ा तो मुझे यह आशंका हुई कि मारवाड़ी समाज के व्यक्ति जो विभिन्न प्रदेशों में बसे हुए हैं उन्हें देशी राज्यों की प्रजा मानकर यदि नागरिक अधिकार नहीं प्राप्त हुए तो ये देश भर में विदेशियों की तरह समझे जायेंगे। ऐसा होने से न तो उनको वोट का अधिकार होगा और न कोई नागरिक अधिकार। ऐसी अवस्था में मारवाड़ी समाज की अपार क्षति होगी-मन में ऐसी आशंका जागृत हुई कि यदि यह प्रान्तीयता का विष देश में फैल गया तो मारवाड़ी समाज की अवस्था और भी नाजुक हो जायेगी। मैंने इसके सम्बन्ध में स्व0 कालीप्रसाद खेतान से बात की और वे मेरी इस बात से सहमत हुए कि इसका संशोधन आवश्यक है।’’
इसी बीच ब्रिटिश पार्लियामेंण्ट ने एक कमेटी बनाई थी, जिसमें नये संविधान के संबंध में लोगों से विचार-विमर्श किया जा रहा था। हमलोगों ने ऐसा विचार किया कि इस कमेटी के समक्ष अपनी ओर से भी किसी व्यक्ति को भेजना चाहिए। मारवाड़ी एसोसिएशन इस बात के लिए राजी नहीं हुआ, क्योंकि वे लोग विलायत-यात्रा के विरोधी थे। अन्त में हमलोगों ने मारवाड़ी ट्रेड एसोसिएशन की ओर से ब्रिटिश सरकार को पत्र दिया कि वह हम लोगों के प्रतिनिधि को विलायत आने की अनुमति दे और हमलोगों की जो माँग है उसे रखने का मौका दे। ब्रिटिश सरकार ने अनुमति दे दी, परन्तु कोई ऐसा योग्य व्यक्ति नहीं प्राप्त हो सका, जिसे वहाँ भेजा जाये। हम लोग चाहते थे कि स्व0 देवी प्रसाद खेतान इसके लिए उपयुक्त होंगे। परंतु इण्डियन चेम्बर ऑफ कामर्स ने इस कमेटी का बायकाट कर रखा था, इसलिए उनका वहाँ जाना संभव नहीं था। अन्त में मैं और श्री रामदेव जी चोखानी बम्बई गये और सर मन्नू भाई मेहता, जो बीकानेर के दीवान थे, उनसे मिले और उनका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया और कहा कि वे इस काम को अपने हाथों में ले परन्तु उनकी बातों से हमलोगों को कोई आशाजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। फिर हम लोग पं0 मदनमोहन जी मालवीय से मिले। उन्होंने भी ह्नाइट पेपर को पढ़ कर उचित समझा कि इस दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जायें। कलकत्ता वापस जाकर हमलोगों ने सर एन.एम. सरकार, जो उस समय के सुप्रसिद्ध बैरिस्टर थे और जो इस काम के लिए विलायत जाने वाले थे, उनसे मिले और उनसे अनुरोध किया कि वे इस विषय को अपने हाथों में ले और ब्रिटिश सरकार से इसे स्वीकृत कराने का प्रयत्न करें। सौभाग्यवश वे राजी हो गये। उन्होंने विलायत जाकर भारत के सेक्रेटरी आफ स्टेट से बातें की और सेक्रेटरी महोदय इस आवश्यक सुधार के लिये राजी हो गये और संशोधन करने का प्रस्ताव करते समय बोले मारवाड़ी समाज की कठिनाइयों को दूर करने के लिए यह संशोधन किया जा रहा है। परन्तु संशोधन करते समय उन्होंने यह अधिकार प्रान्तीय सरकारों को दे दिया। जब यह कानून बन गया तब तक अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की स्थापना हो चुकी थी। उसने यह प्रयत्न किया कि भारतवर्ष की जो प्रान्तीय सरकारें हैं वे इस अधिकार को प्रदान करें। केवल एक-दो राज्यों में कुछ असुविधा हुई और उसे सुधारने के लिए सेठ जमुनालाल जी बजाज के मार्फत सम्मेलन ने कांग्रेस द्वारा प्रयत्न किया। कांग्रेस की वर्किंग कमिटी ने इसे स्वीकार किया और अन्त में सभी प्रदेशों को यह अधिकार प्राप्त हो गया।

प्रथम अधिवेशनः
Ramdeo Chokhani
सन् 1935 में अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का जन्म हुआ। इस सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन का सनातनीदल के प्रमुख नेता स्व. रामदेव जी चोखानी ने सभापतित्व किया। सम्मेलन ने मारवाड़ी शब्द के अन्तर्गत आनेवाली सभी जातियों के व्यक्ति इसमें सम्मिलित होकर काम कर सकें। सम्मेलन का पहला अधिवेशन दिसम्बर सन् 1935 में कलकत्ता के मोहम्मद अली पार्क में सम्पन्न हुआ और सम्मेलन का कार्यालय मारवाड़ी छात्र निवास के भवन, 150, चित्तरंजन एवेन्यू, कलकत्ता-7 में रखा गया। उस सम्मेलन के प्रथम सभापित की हैसियत से स्व0 रायबहादुर रामदेव जी चोखानी ने जो भाषण किया उसके निम्न अंश इस सम्मेलन की भूमिका और मारवाड़ी समाज के बारे में ध्यान देने लायक हैं-
‘‘जिस महान एवं पवित्र उद्देश्य को लेकर हम लोग आज यहाँ उपस्थित हुए हैं वह उद्देश्य है सम्पूर्ण मारवाड़ी समाज का सामूहिक संगठन, ऐसा संगठन जो जाति में नवजीवन का संचार करनेवाला हो, उसके कार्यकर्त्ताओं में उल्लास, संजीवता एवं कर्मोद्यम का भाव भरनेवाला हो और जिसमें समाज की विभिन्न शाखाएँ सम्बद्ध हों, अपने जातीय हित और उससे भी वृहत्तर सम्पूर्ण देश के स्वार्थ सम्बन्ध रखनेवाले समस्त प्रश्नों पर विचार करें और अपना कर्तव्य स्थिर करें। अभी तक समाज की विभिन्न शाखाओं का जो संगठन हुआ है, श्रृंखलित न होने के कारण उसके द्वारा हम देश के सार्वजनिक जीवन पर अपना प्रभाव डालने तथा उसके सभी क्षेत्रों में अन्य समाजों के साथ अपनी सत्ता स्थापित करने में समर्थ नहीं हुए हैं। इस प्रकार के संगठन की आवश्यकता जो हम इस समय विशेष रुप से अनुभव कर रहे हैं इसका कारण है देश की परिस्थिति में परिवर्तन। आज समाज के वृद्ध एवं युवक दल में, सनातनी और सुधारक में जो इतना पार्थक्य दिख पड़ा है और दोनों एक दूसरे को कोसों दूर समझते हैं, उसका कारण भ्रम ही है। यह भ्रम दोनों का ही एक समान शत्रु है।’’
उस समय सम्मेलन के प्रथम सभापति जहाँ रामदेव जी चोखानी थे वहीं प्रधानमंत्री भूरामल जी अग्रवाल थे।
इस सम्मेलन में जो प्रस्ताव पास किये गये उनमें सबसे महत्व का प्रस्ताव यह था-यह सम्मेलन मारवाड़ी भाइयों से अनुरोध करता है कि वे नागरिक एवं राजनीतिक समस्त देशोन्नति के कार्य में दिलचस्पी लें और उनके चुनाव में सम्मिलित होकर तथा उनमें प्रवेश करके देशवासियों की सेवा करने का सुयोग प्राप्त करें और जो दूसरी महत्वपूर्ण बात इस सम्मेलन ने अपने प्रस्ताव में कही थी वह यह कि सम्मेलन भिन्न-भिन्न प्रान्तों में बसनेवाले मारवाड़ी बन्धुओं से अनुरोध करता है कि वे जिस प्रान्त के निवासी हों वहाँ के अन्य समुदायों के साथ मिलकर वहाँ के सार्वजनिक कार्यों में अधिकाधिक भाग लें जिससे उनके पारस्परिक प्रेम और सद्भावना को दृढ़ता प्राप्त हो।
इस प्रथम सम्मेलन में असम, बिहार, बंगाल, राजपूताना, पंजाब, संयुक्त प्रान्त, मध्य प्रान्त और मद्रास सभी स्थानों के प्रतिनिधि थे। इस सम्मेलन की सफलता चारों तरफ गूँज उठी।

सम्मेलन का दूसरा अधिवेशन:
Padampat Singhaniaसम्मेलन का दूसरा अधिवेशन कलकत्ते में ही करने के लिये तय हुआ जिसके सभापति संयुक्त प्रान्त (कानपुर) के प्रसिद्ध उद्योगपति स्व.पद्मपत सिंघानिया हुए और स्वागताध्यक्ष स्व.मंगतूराम जयपुरिया हुए। यह दूसरा अधिवेशन 13-14-15 मई 1938 को कलकत्ते के मोहम्मद अली पार्क में हुआ।
इस सम्मेलन में श्री पद्मपत सिंघानिया ने जो भाषण किया वह कई दृष्टियों से उत्पन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा-‘‘ब्राह्मण, ओसवाल, माहेश्वरी, अग्रवाल, खण्डेलवाल इत्यादि सबको उपस्थित पाकर और उनके चेहरे पर अंकित देश तथा समाज के उद्धार की लगन देखकर मुझे जो प्रसन्नता होती है वह केवल अनुभव की ही वस्तु है। उन्होंने सन् 1938 में एक बहुत महत्वपूर्ण बात कहीं जो वर्षों तक सम्मेलन के किसी सभापति ने नहीं कही। उन्होंने कहा- यहाँ पर मेरी इच्छा सामाजिक विषय पर विचार करने की थी। समाज की समस्या वर्षों से हमारे सामने है और हम उस पर विचार कर रहे हैं। किन्तु यह विषय इतना विवादास्पद है कि हमने आपस में कहीं तर्क-वितर्क किया भी हो, पर खास ध्यान आकर्षित करना उचित नहीं प्रतीत होता। मैं उसे भविष्य के लिये छोड़ देता हूँ किन्तु यह चेतावनी दे देना भी जरुरी समझता हूँ कि हम चाहें अथवा नहीं, सामाजिक समस्या का निकट भविष्य में सामना करना ही पड़ेगा। आज नहीं तो कल हमको एकत्र होकर अपने समाज के सम्पूर्ण संगठन की योजना और सामाजिक पहेलियों का निदान करना ही पड़ेगा।’’
स्व0 ईश्वरदास जालान ने जो बीज लगाया था वह योग्य विभूतियों की छत्र-छाया में उनकी तत्परता और त्याग से पल्लवित हो बढ़ने लगा और देश के सभी प्रान्तों के मारवाड़ी बन्धुओं का सहयोग पूर्णरुप से इस सम्मेलन को मिलने लगा। जगह-जगह पर प्रचारकों को भेजकर सम्मेलन की आवश्यकता और महत्ता बताने का प्रयत्न किया गया।

सम्मेलन का तीसरा अधिवेशन:
Badri Prasad Goyenkaसम्मेलन का तीसरा अधिवेशन संयुक्त प्रान्त की मुख्य व्यापारिक नगरी कानपुर में हुआ जिसके स्वागताध्यक्ष स्व0 पद्मपत सिंघानिया के छोटे भाई स्व0 लक्ष्मीपत सिंघानिया बने और उस महाधिवेशन के सभापति बद्रीदासजी गोयनका हुए। 15, 16, और 17 मार्च 1940 को सर बद्रीदासजी गोयनका के सभापतित्व में यह तीसरा अधिवेशन हुआ। उसके बारे में सम्मेलन की स्वागत समिति के कार्य विवरण में लिखा है कि कानपुर के मारवाड़ी भाइयों का उत्साह अपने को कार्यरुप में परिणित कर चुका था......। तोरण पताका वाद्य-यन्त्र नगर के मार्गो की शोभा बढ़ा रहे थे....। जब सर बद्रीदास जी गोयनका कानपुर स्टेशन पर पहुँचे तो कानपुर का स्टेशन मारवाड़ी बन्धुओं से भरा हुआ था। केसरिया पगड़ियाँ बाँधे सबके मुँह दमक रहे थे। अपूर्व उत्साह लहर ले रहा था। एक बड़े जुलूस में, जो आधा मील लम्बा होगा, सभापतिजी को फूलबाग ले जाय गया जहां अधिवेशन का पण्डाल था। उसकी रुपरेखा एक बड़े दुर्ग के सदृश दिखाई देती थी।
अधिवेशन दिन के तीन बजे होनेवाला था, लेकिन उसी वक्त दुर्भाग्य से पण्डाल में आग लग गई और सारा पण्डाल राख का ढेर हो गया था। सबके मुँह पर हवाइयां उड़ रही थीं पर उसी समय स्व0 पद्मपत के इस कथन ने कि सम्मेलन इसी जगह फौरन होगा, सबकी नसों में जोश भर दिया। परीक्षा की वह घड़ी थी, पर सिंघानिया बन्धुओं ने जिस उद्यम और तत्परता से काम किया उसी का परिणाम था कि सम्मेलन का अधिवेशन उसी स्थान पर 7 बजे शाम से प्रारम्भ हो गया।
सर बद्रीदासजी गोयनका ने अपने अध्यक्षीय भाषण में और बातों के साथ यह भी कहा-‘‘एक खास विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित किये बिना में नहीं रह सकता और वह विषय है फिजूल-खर्ची जो आए दिन सामाजिक त्यौहारों और उत्सवों पर देखने में आती है। मैं समाज के सभी लोगों से यह अनुरोध करता हूँ कि ऐसे सामाजिक अवसर पर वे अपने खर्च को उचित सीमा के बाहर न जाने दें। मेरा यह अनुरोध केवल उन्हीं से नहीं है जिनके पास धन का अभाव है वरन में उन लोगों से भी अनुरोध करता हूँ जिनके पास प्रचुर धन है, क्योंकि यह मानव स्वभाव है कि दूसरी श्रेणी की देखादेखी पहली श्रेणी के लोग अपनी सीमित आर्थिक अवस्था के बावजूद दिखावे और आडम्बर में उनकी नकल करने को आतुर दिखाई देते है।’’

सम्मेलन का चतुर्थ अधिवेशन:
Ramdeo poddarइसके बाद सन् 1941 में बम्बई के प्रसिद्ध उद्योगपति सेठ रामदेव जी पोद्दार के सभापतित्व में बिहार के एक प्रमुख व्यवसायी नगर भागलपुर में सम्मेलन का चतुर्थ अधिवेशन हुआ। भागलपुर (बिहार) में कलकत्ते को छोड़कर जो अधिवेशन हुआ जिसका बिहार मारवाड़ी सम्मेलन के इतिहास में विशेष स्थान है।
स्व0 रायबहादूर बंशीधर ढांढनिया भागलपुर में चतुर्थ महाधिवेशन के स्वागताध्यक्ष बने और उनके संरक्षण में सारे कार्य हुए। इस सम्मेलन के सभापति होकर बम्बई से सेठ रामदेवजी आनन्दीलाल जी पोद्दार आए थे। उन्होंने बहुत कारगर भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण में राष्ट्रीयता पर जोर देते हुए कहा-‘‘हमारा राजनैतिक स्वार्थ और भारत का राजनैतिक स्वार्थ एक है। मैं जातियता का पक्षपाती नहीं हूँ इसलिए अपनी जाति के लिए विशेष अधिकार प्राप्त करने की अभिलाषा नहीं रखता। जिस कार्य में भारत का हित है उसी कार्य में भारत की प्रत्येक जाति का हित है। मेंरे कहने का मतलब यह है अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का आदर्श राष्ट्रीय है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जिन देशी रियासतों के हम निवासी या प्रवासी है उनकी शासन प्रणाली में परिवर्तन करना तथा प्रतिनिधित्व प्राप्त करना और उस प्रणाली को विधानयुक्त बनाना हमारा प्रथम कर्त्तव्य है। उन्होंने जोर देकर कहा-हमारे समाज में गमी, विवाह और छोटे-छोटे प्रसंगों में धन का अपव्यय करने की प्रक्रिया है इससे सभी भाइयों को कष्ट तथा धन राशि और समय नष्ट होता है। अब युग परिवर्तन का आ गया है.... इसलिये इन अवसरों पर फिजूल खर्च नहीं करना चाहिए। जनता का ध्यान इधर जा रहा है। आशा है यह प्रक्रिया भी शीघ्र ही बन्द हो जायेगी।
इसी समय गाँधी जी के नेतृत्व में स्वतन्त्रता आन्दोलन की आखिरी लड़ाई- करो या मरो आन्दोलन अपने शिखर पर पहुँच गया था। उस आन्दोलन के बारे में 9 अगस्त 1942 को कांग्रेस की अखिल भारतीय समिति ने जो प्रस्ताव पारित किया उससे उत्साहित होकर देश के विभिन्न भागों में हजारों-लाखों लोग गिरफ्तार होकर जेल चले गये, उसमें मारवाड़ी सम्मेलन के भी सैकड़ों कार्यकर्त्ता विभिन्न प्रान्तों में जगह-जगह गिरफ्तार हो गये और समाज को बड़ा गौरव मिला। गिरफ्तार होने वालों में स्व.राम मनोहर लोहिया, स्व.बृजलाल बियाणी, स्व.सेठ गोविन्ददास, स्व. बसन्तलाल मुरारका, स्व.सीताराम सेकसरिया, स्व. मूलचन्द अग्रवाल, स्व. भागीरथ कानोड़िया, स्व. विजय सिंह नाहर, स्व. भँवरमल सिंघी और श्री सिद्धराज ढड्ढ़ा आदि थे।

सम्मेलन का पांचवां अधिवेशन:
Ramgopal Mohataजब ये कार्यकर्त्ता आन्दोलन में लगे हुए थे और जेल यातना सह रहे थे उस समय मई 1943 में दिल्ली में सम्मेलन का पांचवां अधिवेशन हुआ जिसके सभापति बीकानेर के लब्धप्रपिष्ठ स्व0 राम गोपाल मोहता हुए।
इस अधिवेशन के सभापति स्व0 रामगोपाल मोहता ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा-‘‘अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के मंच पर हम लोग सभी जाति, उपजाति एवम् फिरकों के राजस्थान निवासी मारवाड़ी कहलाने वाले लोग बिना किसी भेदभाव के एकत्र होकर सामूहिक रुप से अपना संगठन करके, अपनी सर्वागीण उन्नति करते हुए, अपने उचित स्वत्वों और अधिकारों की रक्षा करने के लिए कटिबद्ध हो रहे है। पृथक-पृथक फिरकों के जातीय समाजों के सम्मेलनों का जमाना अब खत्म हो चुका हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश में प्रान्तीयता के भावों का संघर्ष बहुत ही सोचनीय रुप धारण कर रहा हैं।’’

सम्मेलन का छठवां अधिवेशन:
Brijlal Biyaniसम्मेलन का छठवां अधिवेशन बड़े समारोहपूर्वक बम्बई में सुप्रसिद्ध राजनेता स्व0 बृजलाल बियाणी के सभापतित्व में हुआ। इस अधिवेशन में पहले पहल सम्मेलन ने अपने उद्देश्यों में संशोधन किया और समाज सुधार के प्रस्ताव भी लिये। उन समाज सुधारों के प्रस्तावों में पर्दा प्रथा, निवारक प्रस्ताव सर्वाधिक महत्वपूर्ण था।
इस अधिवेशन की स्वागत समिति के स्वागताध्यक्ष स्व.गजाधर सोमानी हुए।
30 अप्रैल सन् 1947 को नागपुर मेल से सम्मेलन के छठें अधिवेशन के सभापति स्व0 बृजलाल बियाणी बम्बई के बोरी बन्दर स्टेशन पधारे। उनके आते ही सारा वायुमण्डल राष्ट्रीय जय जयकारों से गूँज उठा। स्व0 बियाणी के सभापतित्व में जो अधिवेशन हुआ उसका उद्घाटन करते हुये बम्बई के तत्कालीन प्रधानमंत्री खेर साहब ने कहा-
‘‘देश में कोई ऐसा स्थान नहीं जहाँ मारवाड़ी समाज के लोग न रहते हो। अब तक हमें मारवाड़ी शब्द से केवल व्यापार करने वाली जाति का ही बोध होता था, किन्तु आपने जो विस्तृत एवं स्थायी अर्थ लगाया है वह प्रशासनीय है। अब आपलोग महिलाओं की उन्नति और अछूतोद्धार सम्बन्धी कार्यों को अपनाएँ।’’
बियाणीजी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जोर देकर कहा-‘‘मारवाड़ी भाई जहाँ रहते है वहाँ की जनता से समरस हो जायँ, वहीं अपनी जन्म-भूमि राजस्थान को सम्पूर्ण विस्मरण न करें।
उन्होंने आह्नान किया-समाज की प्रगति और विकास पर भी हमें ध्यान देना चाहिए। हमारा समाज प्राचीनता के बोझ से अभी तक दबा हुआ है....। मारवाड़ी सम्मेलन आज तक सामाजिक सुधार के क्षेत्र में कुछ अंश तक अलिप्त रहता आया है, पर अब समय आ गया है कि हमारा यह सम्मेलन अपनी इस अलिप्तता या उपेक्षा को त्याग कर सामाजिक सुधार के काम में तत्परता से लग जाय।’’

वर्तमान समय में सारे सुधारों में पर्दा निवारण को में प्रथम स्थान देता हूँ। पर्दे के कारण समाज की स्त्रियों का स्थान हीन है, उनकी प्रगति हो नहीं सकती और स्त्रियों की प्रगति के अभाव में सारे समाज की प्रगति कुण्ठित है।
स्त्रियों के लिए पर्दा हटाना बहुत आवश्यक है। मारवाड़ी समाज के सारे सुधारकों को इस कार्य में सम्पूर्ण शक्ति लगा देनी चाहिये। मारवाड़ी समाज के हर व्यक्ति का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने यहाँ की स्त्रियों के पर्दा निर्वारण कार्य में इसी क्षण जुट जाये। समाज के युवकों पर इस समय बहुत बड़ा दायित्व है। समाज के स्वरुप को बदलने का भार उस पर है और भावी समाज का उनको निर्माण करना है। इस अधिवेशन में स्व0 रामेश्वरजी केजड़ीवाल प्रधानमंत्री चुने गये, लेकिन उनका आकस्मिक निधन हो गया। अतः सन् 1950 में श्री नन्दकिशोर जालान को सम्मेलन का प्रधान मंत्री चुना गया।

सम्मेलन का सप्तम अधिवेशन:
Seth Govind Dasसम्मेलन का सप्तम महाधिवेशन भी कलकत्ता के मोहम्मद अली पार्क में 31 दिसम्बर 1953 से 2 जनवरी 1954 तक हुआ। इसके स्वागताध्यक्ष सम्मेलन के महाप्राण स्व0 ईश्वरदास जालान थे। जब स्व0 सेठ गोविन्द दास, एम0पी0 30 दिसम्बर 1953 को हावड़ा स्टेशन पर आये तो उनके स्वागतार्थ कलकत्ते की कई सार्वजनिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता और कलकत्ते के अन्य विशिष्ट और प्रभावशाली व्यक्ति उपस्थित थे।
सामाजिक क्रान्ति जिन्दाबाद
इस अवसर पर जो मारवाड़ी महिला सम्मेलन हुआ उसकी सभानेतृत्व स्व0 इन्दुमती गोयनका ने कहा हमें खुशी है कि हमारे समाज में भी अब जागृति के चिन्ह उत्पन्न हो रहे हैं। आज घोर से घोर अशिक्षित माताएँ भी अपनी बच्चियों को पढ़ाना आवश्यक मानने लगी हैं।
अपने भाषण के अन्त में स्व0 इन्दुमती गोयनका (जो मारवाडी़ समाज की कलकत्ता में सत्याग्रह करके गिरफ्तार होनेवाली पहली महिला थीं।) ने कहा-सामाजिक क्रान्ति जिन्दाबाद।

सम्मेलन का अष्टम रजत जयन्ती महाधिवेशन:
Gajjadhar Somaniसन् 1961 के दिसम्बर में जब सम्मेलन का रजत जयन्ती महाधिवेशन कलकत्ता के मोहम्मद अली पार्क के पण्डाल में हुआ और उसमें पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य मंत्री स्व.विधानचन्द्र राय सम्मेलन का उद्घाटन करने आये तो सारा पण्डाल एक करतल ध्वनि से गूँज उठा। उस सम्मेलन के मुख्य अतिथि बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. विनोदानन्द झा थे और महाधिवेशन के स्वागताध्यक्ष थे स्व. सेठ साहू शान्ति प्रसाद जैन।
अधिवेशन के प्रधान अतिथि बिहार के मुख्य मंत्री स्व0 विनोदानन्द झा ने अपने भाषण में कहा-मैंने देखा है मारवाड़ी समाज समय और स्थिति के अनुसार अपने जीवन में सुधार और परिवर्तन करने में किसी से पीछे नहीं हैं।
इस महाअधिवेशन के स्वागताध्यक्ष स्व0 साहू शान्तिप्रसाद जैन के भाषण के कुछ महत्वपूर्ण अंश अद्भुत कर रहे हैं-‘‘मारवाड़ी सम्मेलन समाज के सभी क्षेत्रों में व्यक्ति की चेतना को प्रबुद्ध और जागृत करता हैं, हमेशा करता रहेगा। सम्मेलन ने समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में अनेक कार्यक्रम अपनाये हैं। सम्मेलन ने विलायत यात्रा को प्रोत्साहित करना अपने कार्यक्रम का अंग मान था। वृद्ध विवाह, बाल विवाह, अनमेल विवाह, छुआछूत आदि प्रश्नों को लेकर सम्मेलन ने संघर्ष किया। इनमें से अधिकांश प्रश्न अब नहीं रहे हैं। कई वर्षों से सम्मेलन पर्दा प्रथा के विरुद्ध भारतव्यापी आन्दोलन कर रहा है और इसमें पर्याप्त सफलता भी पाई है। दहेज प्रथा के विरुद्ध में भी सम्मेलन ने समाज की चेतना जागृत की है, किन्तु इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना बाकी हैं। देश में शिक्षा की द्रुत गति से उन्नति हो रही है, परन्तु बहुत से ऐसे विद्यार्थी हंै जो क्षमता रहते हुए भी धनाभाव के कारण पढ़ नहीं सकते। सम्मेलन इस दिशा में भी सचेष्ट है। ऐसी प्रवृत्तियां अधिकाधिक बढ़ें, इसका प्रयास होना चाहिए।’’
इस अधिवेशन के अध्यक्ष स्व0 गजाधर सोमानी ने कहा-विवाहों में अपव्यय की भत्र्सना करते हुए उन्होंने कहा कि विवाहों में आज भी हम अपने वैभव का इतना प्रदर्शन करते हैं कि दूसरों की दृष्टि में हम खटकने लगते हैं। हमें उतना ही प्रदर्शन करना उचित है जो दूसरों के लिए सिरदर्द न बने।
रजत जयन्ती अधिवेशन में छात्रावास बनाने की जो योजना स्वीकृत की गयी थी और जिसके लिए चंदा लिया गया था, उस योजना के अनुरुप 16 कट्ठा जमीन सन् 1964 में खरीदी गई। लेकिन उसके बाद काम कुछ ढीला पड़ गया और सन् 1965 से सन् 1973 के बीच अगले अधिवेशन को छोड़कर कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं हो सका।

सम्मेलन का नौवाँ अधिवेशन:
Rameshwarlal Tantiaअक्टूबर 1966, महाराष्ट्र के पूना में हुआ, जिसके अध्यक्ष स्व0 रामेश्वर टाँटिया थे और स्वागताध्यक्ष श्री नन्दलाल पित्ती।

सम्मेलन का दसवां अधिवेशन:
Bhanwarmal Singhi30 दिसम्बर 1973 को रांची नगर में सम्मेलन का दसवां अधिवेशन प्रारम्भ हुआ, जिसके सभापति थे स्व. भंवरमल सिंघी। सम्मेलन का यह दसवां महाधिवेशन एक और दृष्टि से सम्मेलन के इतिहास में अद्वितीय था- वह यह कि मारवाड़ी सम्मेलन के महाधिवेशन के साथ ही बिहार प्रान्तीय मारवाड़ी सम्मेलन का भी अधिवेशन हुआ था।
इस सत्र में विभागीय उप-समितियाँ बनी। उनमें समाज सुधार समिति के श्री नंदलाल सुरेका, शिक्षा के श्री इन्द्रचन्द संचेती, राजस्थानी संस्कृति-साहित्य-कला के श्री रतन शाह, संगोष्ठी के श्री नरनारायण हरलालका, अर्थ के श्री दीपचन्द नाहटा, गो-सम्बर्धन के श्री बजरंगलाल लाठ, व्यापार आचारसंहिता के श्री विजय सिंह कोठारी, कानून एवं आयकर के श्री रमेश चन्द्र गुप्ता, सदस्यता अभियान के श्री मोहनलाल चोखानी एवं श्री नारायण प्रसाद बुधिया एवं पूर्वांचल के श्री जगन्नाथ प्रसाद जालान मंत्री चुने गये एवं समाज विकास के संपादन का भार श्री नन्दकिशोर जालान को दिया गया।
विवाहों में आशीर्वाद के समय नाश्ता कराना पिछले एक-दो वर्षों से आरम्भ हुआ था एवं पंडाल आदि में फिजूलखर्ची बढ़ रही थी। इसलिए इनके विरुद्ध अभियान चलाने का कार्यक्रम लिया गया। लगातार जनसभायें की गई और 24 जून 1974 से जनवरी 1975 तक बीसियों स्थानों पर विवाह-शादियों सम्बन्धी नियमावली हजारों की संख्या में वितरित की गई। इस आन्दोलन एवं प्रदर्शन का तत्काल असर हुआ और आशीर्वाद के समय 95 प्रतिशत शादियों में केवल पेय पदार्थ ही रखा जाने लगा और पंडाल एवं अन्य फिजूलखर्ची में भी काफी कमी आई। कलकत्ते में चलाये गये इस आन्दोलन की प्रतिक्रिया अखबारों में भी प्रभावोत्पादक तरीके से प्रकाशित हूई। अन्य प्रान्तों में भी सम्मेलन के प्रान्तीय अधिकारियों द्वारा दहेज, दिखावा एवं फिजूलखर्ची तथा पर्दा के विरुद्ध सभायें, प्रदर्शन आदि किये गये।

सम्मेलन का 11वाँ अधिवेशन:
सम्मेलन का 11वाँ अधिवेशन हैदराबाद में सन् 1976 में सम्पन्न हुआ। सिंघीजी के कार्यकाल की उपलब्धियों को ध्यान में रखकर लोगों ने श्री भंवरमल सिंघी से पुनः सभापति का पद स्वीकार करने का आग्रह किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

सम्मेलन का द्वादश अधिवेशन:
Major Ram Prasad Poddarउद्योग नगरी बम्बई में मार्च 1979 में हुआ जो तीन दिन तक चला। इसके अध्यक्ष संस्कृति और साहित्य के विकास में संलग्न स्व. रामप्रसाद जी पोद्दार को चुना गया। इस अधिवेशन की यह भी विशेषता थी कि खुले अधिवेशन में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भैरो सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री श्री शरद पवार उपस्थित थे।

सम्मेलन का त्रयोदश अधिवेशन:
अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का त्रयोदश महाधिवेशन भारतवर्ष की सुप्रसिद्ध नगरी बिहार प्रदेश के जमशेदपुर में मार्च 1982 में सम्पन्न हुआ। इस महाधिवेशन के सभापति पद के लिये ऐसे व्यक्ति का चयन हुआ जो पिछले दो सत्रों में प्रधानमंत्री थे और निवर्तमान सभापति के काल में उपाध्यक्ष थे और सन् 1950 से सन् 1961 सत्र के रजत जयन्ती अधिवेशन तक प्रधानमन्त्री रह चुके थे यानी श्री नन्दकिशोर जालान।

अ. भा. मारवाड़ी महिला सम्मेलन:
23 दिसम्बर सन् 1983 को बिहार प्रदेश की राजधानी पटना नगर में गाँधी मैदान के पार्श्व में एशिया के वृहत्तम सभा कक्षों में से एक कृष्ण मेमोरियल हाल में महिला अधिवेशन प्रारम्भ हुआ जिसमें हमारे समाज की 70 वर्ष की प्रौढ़ महिलाओं से लेकर 15 वर्ष तक की किशोरियों तक ने सम्मिलित होकर नारी-जागरण की उद्घोषणा की। इस अधिवेशन की अध्यक्षा थीं सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता और लेखिका श्री मती सुशीला सिंघी। स्वागताध्यक्षा थी श्रीमती सुशीला मोहनका, स्वागतमंत्री श्रीमती पुष्पा चोपड़ा एवं श्रीमती सरोज गुटगुटिया।

अ. भा. मारवाड़ी युवा मंच:
अ0भा0मारवाड़ी सम्मेलन के तत्वावधान में अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन युवा मंच का प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन असम प्रदेश की राजधानी गुवाहटी में 18-20 जनवरी 1985 को सम्पन्न हुआ, जिसका उद्घाटन जोधपुर के महाराजा गजराज सिंह ने किया। इस अधिवेशन के आयोजक थे पूर्वोत्तर प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन, युवा मंच के अध्यक्ष श्री सुरेश कुमार बेड़िया। इस अधिवेशन में गुवाहाटी के श्री प्रमोद्ध सर्राफ राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री अनिल जैना महामंत्री बनाये गये। अधिवेशन के तत्काल बाद ही इसका नाम अ.भा.मारवाड़ी युवा मंच कर दिया गया।

सम्मेलन का चौदहवां अधिवेशन:
Hari Shankar Singhaniaचौदहवां अधिवेशन, कानपुर, 15 मार्च 1986, सम्मेलन का 14वां अधिवेशन 15 मार्च 1986 को कानपुर में हुआ। इसके अध्यक्ष बनाये गये श्री हरिशंकर सिंघानिया एवं श्री रतन शाह महामंत्री बने।

सम्मेलन का पंद्रहवां अधिवेशन:
पंद्रहवां अधिवेशन, रांची, 18 फरवरी 1989, 15वां अधिवेशन 18 फरवरी 1989 को रांची में हुआ। स्व. रामकृष्ण सरावगी को इसका अध्यक्ष मनोनीत किया गया एवं स्व. दुलीचंद अग्रवाल महामंत्री बने।

सम्मेलन का सोहलवां अधिवेशन:
सोहलवां अधिवेशन, दिल्ली, 20 जून 1993, 16वां अधिवेशन 20 जून 1993 को दिल्ली में हुआ। जिसका
अध्यक्ष पुनः श्री नन्दकिशोर जालान को बनाया गया एवं श्री दीपचंद नाहटा मंत्री चुने गये।

सम्मेलन का 17वां अधिवेशन:
सम्मेलन का 17वां राष्ट्रीय अधिवेशन 7-8 जून 1997 को हैदराबाद में सम्पन्न हुआ, जहां श्री नन्दकिशोर जालान पुनः सभापति चुने गए। श्री सीताराम शर्मा महामंत्री निर्वाचित हुए। इस अधिवेशन का उद्घाटन आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री कृष्णकांत ने किया।

सम्मेलन का 18वां अधिवेशन:
अठारहवां अधिवेशन, कानपुर, 1-2 जून 2001, श्री मोहनलाल तुलस्यान सम्मेलन के आगामी अध्यक्ष निर्वाचित हुए एवं कानपुर में 1-2 जून 2001 को आयोजित 18वें अधिवेशन में पदभार ग्रहण किया एवं श्री सीताराम शर्मा पुनः महामंत्री निर्वाचित हुए। कानपुर शहर का सम्मेलन से पुराना रिश्ता है। सम्मेलन के 1938 में निर्वाचित द्वितीय अध्यक्ष सेठ पद्मपत सिंघानिया कानपुर से थे। सम्मेलन का तीसरा अधिवेशन 1940 में कानपुर में ही सम्पन्न हुआ। 1986 में पुनः सम्मेलन का 14वां अधिवेशन कानपुर में हुआ। जहां सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री हरिशंकर सिंघानिया अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2001 ने एक बार फिर कानपुर में सम्मेलन को राष्ट्रीय अधिवेशन के लिये आमंत्रित किया है। इनके ही कार्यकाल में कोलकाता शहर में सम्मेलन का भवन खरीदा गया।

सम्मेलन का 19वां अधिवेशन:
उन्नीसवां अधिवेशन, मुम्बई, 9-11 जनवरी 2004 को मुम्बई में सम्मेलन का 19वां राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ जिसे राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने सुशोभित किया। इस आयोजन में श्री तुलस्यान अध्यक्ष पुनर्निर्वाचित हुए तथा श्री भानीराम सुरेका महामंत्री निर्वाचित किये गये।

सम्मेलन का 20वां अधिवेशन:
20वां राष्ट्रीय अधिवेशन, 5-6 अगस्त 2006, भुवनेश्वर-अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का 20वां राष्ट्रीय अधिवेशन भुवनेश्वर के जयदेव भवन में एक सादे समारोह के बीच सम्पन्न हुआ क्योंकि उद्घाटन दिवस की पूर्व संध्या को उड़ीसा की पूर्व मुख्यमंत्री नंदिनी सत्पथी के देहावसान के कारण राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था।
5 अगस्त को सायं 5.30 बजे उद्घाटन सत्र का शुभारंभ हुआ जिसमें सबसे पहले उड़ीसा की पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं उड़िसा की विशिष्ट लेखिका नन्दिनी सत्पथी की स्मृति में दो मिनट का मौन पालन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। इस अवसर पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व.रामनिवास मिर्धा मुख्य अतिथि तथा राज्य के कृषि मंत्री श्री देवी प्रसाद मिश्र मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित थे।
तदुपरान्त नव- निर्वाचित सभापति श्री सीताराम शर्मा को तुमुल हर्षध्वनि एवं तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सम्मेलन के आगामी सत्र के लिए निवर्तमान अध्यक्ष श्री मोहनलाल तुलस्यान ने अध्यक्ष पदभार समर्पित किया।
पद्भार ग्रहणोपरान्त अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के 16वें सभापति श्री सीताराम शर्मा ने श्री तुलस्यान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए एवं एक सक्रिय कार्यकर्त्ता के रुप में उनके सहयोग देने की भावना को अपने लिए प्रेरणाप्रद बताते हुए अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में कहा-
‘‘मारवाड़ी सम्मेलन की स्थापना के उपरांत के सात दशकों में, एक नयी राजनैतिक एवं आर्थिक विश्व-व्यवस्था स्थापित हुई हैं। खुली अर्थव्यवस्था एवं वैश्वीकरण ने तमाम मूल्यों, आस्थाओं एवं संकल्पों में आमूल परिवर्तन किया है। आने वाला समय आर्थिक क्षेत्र में और अधिक संघर्षपूर्ण एवं ज्यादा जागरुकता को विवश करेगा।’’
20वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्री रामनिवास मिर्धा ने अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए कहा कि अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के इस 20वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित होकर में गौरवान्वित हूँ।

सम्मेलन का 21वां अधिवेशन:
अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन के 21वें राष्ट्रीय अधिवेशन एवं 74वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन तैरापंथ भवन, अध्यात्म साधना केंन्द्र, छत्तरपुर, महरौली, नयी दिल्ली में 20-21 दिसंबर 2008 को हुआ। अधिवेशन का उद्घाटन भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि के रुप में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री राम निवास मिर्धा उपस्थित थे। इस अवसर पर श्री नन्दलाल रुँगटा राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपा गया।
श्री रामअवतार पोद्दार को महामंत्री, श्री अत्माराम सोंथलिया को कोषाध्यक्ष एवं समाज विकास के कार्यकारी संपादन का भार श्री शम्भु चौधरी को दिया गया।
नव-निर्वाचित अध्यक्ष श्री नन्दलाल रुँगटा ने अध्यक्ष श्री सीताराम शर्मा से पद्भार ग्रहण किया एवं अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में श्री रूँगटा ने कहा कि इस सफर में जहाँ हमने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की वहीं समाजिक कुरीतियों के विरूद्ध सम्मेलन सदा से कार्य करता रहा है और आज भी इस दिशा में अग्रसर है। आपने आगे कहा कि समाज के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के प्रमुख कारणों में समाज में व्यापक आडम्बर एवं दिखावेपन की प्रवृत्ति है। इस प्रवृति को दूर करने के प्रयास होने चाहिए।’’

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