आपणी भासा म आप’रो सुवागत

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मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011

चाळो राजस्थानी बांचणो सीखां-४ - शंभु चौधरी

राघव अर निधि रौ रिजल्ट निकळ्यौ।
राघव और निधि का रिजल्ट निकल गया।


निधि फस्ट डिविजन पास होगी।
निधि प्रथम श्रेणी से पास हो गई


राघव थर्ड डिविजन होयौ।
राघव तीसरी श्रेणी से पास हुआ।


राघव फूट-फूट कै रोबो लाग्यौ।
राघव फूट-फूट कर रोने लगा।


यादां घणी है, बातां घणी है।
यादें बहुत सी है, बातें भी बहुत है।


म्हैं भावां रै अर यादां रै समन्दर मांय हिबोला खावता।
हम विचारों और यादों के समन्दर में डूबकी लगते हुए।


अखबार छोटो हुवै चायै मोटो।
अखबार छोटा हो या बड़ा।


बाबूजी आपरै टाबरिये सागै मेळो देखण गया।
पिता जी अपने बच्चों के साथ मेला देखने गये।


सारा टाबर सबड़ड़-सबड़ड़ खीर सूंतण लागग्या।
सभी बच्चे खीर को गटकने लगे।


रुपिया री वैवस्था कोनी व्हेइ सकी।
रुपया की व्यवस्था नहीं हो सकी।


ब्याज माथै रुपियां री वैवस्था करावौ।
ब्याज दे दूंगा पर रुपया की व्यवस्था करवा दो।


अगाला दिन बुला’र रुपिया दे’र मदद कीदी।
अगले दिन बुलाकर रुपया देकर मदद किया।


पापाजी घरै कोनी। औ मोबाइल घरै ई रैवे है।
पापा जी घर पर नहीं हैं। यह मोबाइल घर पर ही रहता है।


घणौ जरूरी काम है।
बहुत जरूरी काम था।


वां रो विसवास कोनी राख सक्यौ।
उनका विश्वास नहीं रख सके।


राजस्थानी - हिन्दी
सबड़ड़-सबड़ड़ - चाट-चाट कर खाना
वैवस्था - व्यवस्था
बुला’र - बुलाकर
दे’र - देकर
कोनी - नहीं
घणौ - बहुत
विसवास - विश्वास

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