Father day
-
-*शंभु चौधरी*-
पिता, पिता ही रहे ,
माँ न बन वो सके,
कठोर बन, दीखते रहे
चिकनी माटी की तरह।
चाँद को वो खिलौना बना
खिलाते थे हमें,
हम खेलते ही रहे,...
आपणी भासा म आप’रो सुवागत
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जून
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- सोंधी माटी का बिहार - डॉ. शांति जैन
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जून
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सोमवार, 29 जून 2009
सोंधी माटी का बिहार - डॉ. शांति जैन
दिशा-दिशा में लोकरंग का तार-तार है
महका-महका, सोंधी माटी का बिहार है।
भारत भू के मानचित्र का, जो धु्रवतारा
वहीं जहाँ पर लोकतंत्र की पहली धारा
अम्बपालिका के नूपुर की गूँज अभी तक
घोल रही कानों में मीठी रसधारा
प्रिय अशोक का स्तंभ बना इक यादगार है।
कहीं गूँजते आल्हा ऊदल के अफसाने
कजरी, झूमर औ फगुआ के मस्त तराने
चौपालों में चैता घाटो की बहार है।
सामाचाको सा मिथिला का खेल अनूठा
छठ मैया के गीतों से गंगातट गूँजा
अंग देश में सती बेहुला की पुकार है।
महावीर के चरणों से पावन वैशाली
तपोपूत है बोधिवृक्ष की डाली डाली
गुरुवाणी का मंत्र हृदय के आर-पार है।
देशरत्न राजेन्द्र से हुआ मस्तक ऊँचा
आज़ादी का मंत्र यहीं गांधी ने फूँका
जय प्रकाश का सपना सबका ऐतवार है।
कुँवर सिंह की कटी बाँह गंगा की थाती
कीर्ति पताका सात जवानों की फहराती
अमर शहीदों की यादों का ये मज़ार है
महका महका, सोंधी माटी का बिहार है।
दिशा-दिशा में लोकरंग का तार-तार है
महका-महका, सोंधी माटी का बिहार है।
भारत भू के मानचित्र का, जो धु्रवतारा
वहीं जहाँ पर लोकतंत्र की पहली धारा
अम्बपालिका के नूपुर की गूँज अभी तक
घोल रही कानों में मीठी रसधारा
प्रिय अशोक का स्तंभ बना इक यादगार है।
कहीं गूँजते आल्हा ऊदल के अफसाने
कजरी, झूमर औ फगुआ के मस्त तराने
चौपालों में चैता घाटो की बहार है।
सामाचाको सा मिथिला का खेल अनूठा
छठ मैया के गीतों से गंगातट गूँजा
अंग देश में सती बेहुला की पुकार है।
महावीर के चरणों से पावन वैशाली
तपोपूत है बोधिवृक्ष की डाली डाली
गुरुवाणी का मंत्र हृदय के आर-पार है।
देशरत्न राजेन्द्र से हुआ मस्तक ऊँचा
आज़ादी का मंत्र यहीं गांधी ने फूँका
जय प्रकाश का सपना सबका ऐतवार है।
कुँवर सिंह की कटी बाँह गंगा की थाती
कीर्ति पताका सात जवानों की फहराती
अमर शहीदों की यादों का ये मज़ार है
महका महका, सोंधी माटी का बिहार है।
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