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रविवार, 6 नवंबर 2011

तुलसी जी का ब्याह-

तुलसाँजी औड़ै कुंवारा हो राम!


आसाढ़ सुदी ग्यारस णै देव सोज्यावै ईं लिए उनणै ‘‘देव सयाणी ग्यारस’’ कह्यो जावै तथा कातक सुदी ग्यारस णै ‘‘देव उठणी या जागरणी ग्यारस’’ कह्यो जावै। ईं बीच में आपणा घरां में कोई बड़ो शुभ काम कोणी कियो जावै। अर देव उठणी ग्यारस णै सैं सूँ पैला तुलसाँजी रो ब्याव कियो जाय। ई अवसर पर आपणै घरां में लुगाईयां एक लोक गीत भी गाया करै जिको बोहत ही लोकप्रिय गीत है।

तुलसाँजी रो ब्याव के अवसर पर गावै जावै वालो लोकगीत -

सांतू सहेल्यां ळ-मिल चाळी,
तो सांतू ईं इक उणियारै हो राम!
भरने गई जळ जमना रो पाणी,
सांतु री सांतु यूँ उठ बोळी-
तुलसाँजी औड़ै कुवांरा हो राम!
साथनियां रो ओ ताणो
तुलसाँजी’रे कालजे खुभगो अर वै....



(सात सहेलियां एक साथ जमना तट पर पानी भरने जाती है। और सातूं सहेलियां आपस में मिलकर तुलसाँ नाम की लड़की को ताना मारने लगी। ‘‘अरै या तो अभी भी कुंवारी है’’ बस यह बात तुलसाँजी को चुभ जाती है।)

रोवत ठिणकत आई बाई तुलसॉ
तो बाबोजी गोद विठाई हो राम!
कै बाई तन्नै भाउजी मारी?
तो कै मायड़ दुतकारी हो राम!



(इस तरह उसके दादाजी तुलसाँ को अपने गोद में बैठाकर उसका लाड़-प्यार करते हुए पुचकारते हुए एक-एक का नाम ले-ले कर उससे पुछते हैं कि तुमको किसने छेड़ा, तब तुलसाँ बोलती है।)


ना बाबोजी कोई म्हानै मारी
नो कोई दुतकारी हे राम!
म्हारी सहेल्यां यूं मैणै बोली-
‘‘तुलसाँजी औड़ै कुवांरा हो राम!’’


(इस तरह तुलसाँ रो-रो कर अपना दुखड़ा दादाजी को बताती है। तब दादाजी उसको भ्रह्माजी, चांद, सूरज के साथ विवाह की बात कहते है। तो तुलसाँ जबाब में कहती है कि ना-ना आपणै घरै जो सालगराम जी है वही मुझे पसंद है आप उसी से मेरा ब्याह रचा दो।)


बाबोजी -
तो कै विरमाजी परणावां हो राम!
के बाई चांदो वर हे राम!
तो कै सूरज परबाबां हो राम!
तुलसाँजी -
म्हारै तो बाबोजी सालगराम बर हेरो
वे म्हारै मन भाया हो राम
वो री म्हारी जोड़ी हो राम!


(इस प्रकार जब तुलसीजी नै अपनी इच्छा बता दी तो पिताजी उके ब्याह की तैयारी करने में जूट गये।)


आळा-गीळा बांस कटाया, तो तोरण-थांम रुपाया हो राम!
पाटा सूतां ताणियां खिंचाई, मांडेळा मांड़ा छबाया हो राम!
लाडू-पेड़ा सरस जलेबी, तुलसा री जान जिमाई रो राम!
पीली हळ्दी पीला ही चावल, तुलसा रो गांठ जुडायो हो राम!
पान-सुपारी रोक रुप्यो तुलसा री गांठ जुड़ायी हो राम!


(इस प्रकार जब सभी तैयारी हो जाती है और बाई तुलसाँ का हाथ पीळा कर ब्याह की सभी रश्में विधि पूर्वक पूरी की जाती है बाई तुलसाँ की बिदाई कर दी जाती है।)


पैळो फेरो लियो बाई तुलसॉ,
तुलसाँ बाबोजी णै प्यारा हो राम!
दूजो फेरो लियो बाई तुलसॉ,
तुलसाँ दादीजी रा दुलारा हो राम!
तीजो फेरो लियो बाई तुलसॉ,
तुलसाँ भाऊजी णै प्यारा हो राम!
चौथे फेरो लियो बाई तुलसॉ,
तुलसाँ मायड़ री लाडल हो राम!
तुलसाँ हुई रै पराई हो राम!



राजस्थानी शब्दों का हिन्दी मायने-
ताणो - ताना, खुभगो - चुभना, भाउजी - भाभीजी, मायड़ - मां ने, बाबोजी - पिताजी या दादाजी, सालगराम - शालीग्राम, काला पत्थर जिसे कृष्ण भगवान का स्परूप माना गया है। , तोरण-थांम रुपाया - विवाह के अवसर पर बांस का एक खंभा घर क आंगन में गाड़ना, ताणियां - पीले रंग से रंगा हुए चौकोर कपड़े को उस बांस से बांध देना जो आंगन में लगाया गया है, मांडेळा मांड़ा छबाया - धर के अंदर और बाहर तंबू लगवाना।

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